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World TB Day 2024: सावधान! कहीं जानलेवा न बन जाए टीबी, सतर्क रहना है जरूरी

टीबी को आज भी दुनिया की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक माना जाता है। सही समय पर और समुचित इलाज न हो तो यह बीमारी जानलेना भी बन सकती है। 24 मार्च को दुनियाभर में विश्व टीबी दिवस मनाया जाएगा। इस मौके पर आइए जानते हैं टीबी संक्रमण के कारणों गंभीरता और बचाव के जरूरी उपायों के बारे में सब कुछ।

By Jagran News Edited By: Ruhee Parvez Updated: Wed, 20 Mar 2024 04:28 PM (IST)
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24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।
नई दिल्ली। World TB Day 2024: अगर कई हफ्तों तक बुखार और लगातार खांसी की समस्या बनी हुई है, वजन में कमी और थकान जैसी समस्याएं हैं, तो यह टीबी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। दरअसल, यह एक बैक्टीरिया जनित गंभीर प्रकार का संक्रमण है, जिससे भारत समेत दुनियाभर में हर वर्ष लाखों लोग प्रभावित होते हैं। टीबी का बैक्टीरिया, मरीज के खांसने या किसी अन्य कारण से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में जाता है, तो उसे संक्रमित कर देता है। यह संक्रमण फेफड़ों, मस्तिष्क, हड्डियों में हो सकता है।

टीबी के बारे में विस्तार से जानने के लिए जागरण के ब्रह्मानंद मिश्र ने डॉ. रोहित कुमार (एसो. प्रोफेसर पल्मोनरी मेडिसिन, वीएमएमसी सफदरजंग, नई दिल्ली) से बातचीत की।

आमतौर पर फेफड़ों में टीबी होने पर रक्त के जरिये अन्य अंगों तक टीबी का फैलाव हो जाता है। हाल में द लांसेट इंफेक्सियस डिजीज का अध्ययन बताता है कि टीबी के लगभग 80 प्रतिशत मरीजों में लगातार बलगम या खांसी जैसे लक्षण देखने को नहीं मिले। दूसरी ओर, कुछ वर्षों में ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है, जो इस बीमारी को लेकर चिंता बढ़ा रही है।

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होता क्यों है टीबी

टीबी के मरीज के खांसने पर ड्रॉपलेट पार्टिकल निकलते हैं, अगर ऐसे में उसके संपर्क में कोई आ जाए, तो संक्रमित होने की प्रबल आशंका रहती है। आमतौर पर, इससे फेफड़ों में टीबी होने का खतरा रहता है। कभी-कभी भोजन या मरीज के सीधे संपर्क में आने से भी टीबी हो सकता है।

हालांकि, किसी की इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) बेहतर होगी, तो उसके बीमार होने की गुंजाइश भी कम रहेगी। वैसे तो टीबी का जोखिम हर किसी को रहता है, लेकिन संक्रमित होने या न होने के पीछे इम्युनिटी की बड़ी भूमिका रहती है। अगर इम्युनिटी कमजोर होगी, तो टीबी समेत कई अन्य तरह के संक्रमण होने का जोखिम रहता है।

असावधानी और अस्वच्छता भी कारण

आमतौर पर घनी बसावट वाली जगहों पर, जैसे शरणार्थी कैंपों, कारागारों में टीबी का ट्रांसमिशन अधिक होता है। आसपास स्वच्छता नहीं होने से कई तरह के संक्रमण का जोखिम रहता है। अगर घर में किसी एक व्यक्ति को टीबी है, तो उसके खांसने से अन्य लोगों को भी टीबी होने की आशंका रहती है। दूसरा, मरीज को किडनी, कमजोर लिवर, कैंसर, एचआइवी जैसी कोई बीमारी या स्वास्थ संबंधी समस्या है, उसे टीबी की प्रबल आशंका रहती है। एचआइवी और टीबी एक साथ बहुत मामले देखने में आते हैं।

टीबी होने के लक्षण

  • सामान्य तौर पर टीबी होने पर लगातार बुखार आता है।
  • भूख कम और वजन में तेजी से कमी आने लगती है।
  • फेफड़ों में टीबी होने पर खांसी और बलगम में खून आने की समस्या आ सकती है।
  • बोन टीबी होने पर हड्डियों में दर्द, लिम्फ नोड टीबी में शरीर में गांठें, ब्रेन टीबी में दौरे, सिर में लगातार दर्द जैसी समस्याएं आती हैं।
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बचाव के टिप्स

  • बचाव का सबसे आसान उपाय है- टीका। बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जाता है। वैक्सीन गंभीर प्रकार के संक्रमण से बचाव करती है।
  • अपनी प्रतिरक्षा मजबूत रखनी चाहिए।
  • अगर डायबिटीज है, तो उसका इलाज पूरा कराएं, सतर्क रहें और शुगर लेवल को नियंत्रित रखें।
  • दिनचर्या को नियमित रखें, समय पर भोजन और नींद का पालन जरूर करें।
  • अगर किसी को टीबी है, तो इलाज बीच में न छोड़ें। इससे अन्य लोगों को भी संक्रमित होने से बचाया जा सकता है।
  • इलाज के लिए आज बहुत सारी और अच्छी गुणवत्ता की दवाएं उपलब्ध हैं। सरकारी स्तर पर इसे मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है।
  • टीबी का कोर्स थोड़ा लंबा होता है, कम से कम छह महीना का होता है, उसे हर हाल में पूरा करना चाहिए।
  • आमतौर पर दो-तीन महीने में राहत होने पर मरीज दवा बंद कर देते हैं, इससे ड्रग रेजिस्टेंस भी आ जाता है।
  • भोजन में प्रोटीन और पोषक तत्वों की प्रचुरता रखें, ताकि इम्युनिटी बेहतर रहे।
  • अगर बहुत अधिक तनाव में होंगे, तो इम्युनिटी कम हो जाती है। ऐसे में तनाव मुक्त दिनचर्या का पालन करना आवश्यक है।
  • अपने आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए, अधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर नहीं रहना चाहिए।
Picture Courtesy: Freepik