World Vitiligo Day 2024: छूने से फैलती है सफेद दाग की बीमारी, जानें विटिलिगो से जुड़े ऐसे ही मिथकों की सच्चाई
विटिलिगो त्वचा से जुड़ी एक समस्या है जिसे सफेद दाग भी कहा जाता है। इसमें त्वचा पर सफेद चकत्ते बन जाते हैं। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है। इस बीमारी को लेकर लोगों में मन में कई तरह की गलतफहमियां हैं जिसके चलते समाज से उनके साथ अलग-थलग व्यवहार किया जाता है। जानेंगे ऐसे ही मिथकों के पीछे का सच।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विटिलिगो जिसे 'श्वेत कुष्ठ' या सफेद दाग के नाम से भी जाना जाता है। एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसकी शुरुआत शरीर में खुजली से होती है और फिर धीरे-धीरे शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद रंग के छोटे-बड़े चकत्ते बनने लगते हैं। हालांकि इसमें किसी तरह का दर्द या कोई दूसरी समस्या नहीं होती, लेकिन ये देखने में खराब लगते हैं। इस बीमारी को लेकर लोगों में कई तरह की गलतफहमियां हैं, जिसके चलते विटिलिगो के मरीजों से साथ दूसरे लोग अच्छा व्यवहार नहीं करते। इससे उनकी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। हर साल 25 जून को वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करने के साथ ही इससे जुड़े मिथकों को भी दूर करना है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही मिथकों के बारे में।
मिथ- छूने से फैलते हैं सफेद दाग।
सच्चाई- एक्सपर्ट्स के अनुसार, सफेद दाग कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। मतलब यह छूने, स्लाइवा या पर्सनल चीजें शेयर करने से बिल्कुल भी नहीं फैलता। ये भी पढ़ेंः- इन वजहों से हो सकती है सफेद दाग की समस्या, ऐसे करें इसकी पहचान और इलाज
मिथ- मछली खाने के बाद दूध पीने से होती है सफेद दाग की समस्या
सच्चाई- सफेद दाग से जुड़ी ये गलतफहमी सबसे कॉमन है, जिस पर लोग आज भी आंख मूंंद कर भरोसा करते हैं, जबकि ये सच नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें खानपान का किसी भी तरह का रोल नहीं।
मिथ- सफेद दाग की इलाज संभव नहीं।
सच्चाई- ये सच नहीं है। ज्यादातर मामलों में समय से उपचार लेने पर यह समस्या पूरी तरह ठीक हो सकती है। विटिलिगो के इलाज के लिए दवाएं और तकनीक दोनों मौजूद हैं। हालांकि उपचार लंबे समय तक चल सकता है।मिथ- खट्टी चीजें खाने से बढ़ती है सफेद दाग की समस्या।
सच्चाई- इस समस्या के बढ़ने का खानपान से कोई लेना-देना नहीं है। किसी खास तरह की चीज खाने से न ही यह बढ़ता है और न ही ठीक होता है।