किसी भी त्योहार या शुभ अवसर पर आपको बंगाली घरों में फर्श पर सुंदर सफेद रंग से बने डिजाइन देखने को मिल जाएंगे। इसे अल्पना कहते हैं जो एक प्रकार का फोक आर्ट (Bengali Folk Art Alpana) है। इसका बंगाली संस्कृति में काफी महत्व है। खासकर दुर्गा पूजा और लक्ष्मी पूजा में। आइए जानते हैं क्या है इसका महत्व और कैसे बनाई जाती है अल्पना।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बंगाल की धरती पर, जहां हर कोने पर कला और संस्कृति का जादू बिखरा हुआ है, वहां अल्पोना या अल्पना (Bengali Folk Art Alpana) एक ऐसा अनमोल रत्न है, जो सदियों से बंगाली संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। फर्श पर उकेरी गई ये मनमोहक कलाकृतियां न केवल आंखों को भाती हैं, बल्कि बंगाली समाज की आस्था, विश्वास और रीति-रिवाजों को भी दर्शाती हैं। यहां हम कला के इस अनोखे रूप के बारे में बताने वाले हैं कि क्या है अल्पना और बंगाली संस्कृति में इसका क्या महत्व (Bengali Culture Alpana Significance) रहा है।
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अल्पना क्या है?
अल्पना एक तरह की फ्लोर आर्ट है, जिसे चावल के आटे, पानी और कभी-कभी हल्दी या कुमकुम से बनाए गए पेस्ट से फर्श पर उकेरा जाता है। यह कला मुख्य रूप से बंगाल में प्रचलित है। हालांकि भारत के अन्य हिस्सों में भी इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अल्पना में ज्यामितीय आकृतियां, फूल, पत्ते, जानवर और देवी-देवताओं आदि के चित्र बनाए जाते हैं।
हालांकि, समय के साथ इसमें काफी बदलाव आया है। पहले अल्पना सिर्फ सफेद रंग की नजर आती थी, लेकिन मॉर्डनाइजेशन के साथ-साथ अब रंग-बिरंगी अल्पना भी बनाई जाती है, जिसमें आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
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बंगाली संस्कृति में अल्पना का महत्व क्या है?
अल्पना को धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि अल्पना देवी-देवताओं को प्रसन्न करती हैं और घर में सुख-शांति लाती हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा या लक्ष्मी के समय लगभग सभी घरों में आपको जमीन पर सुंदर अल्पना देखने को मिल जाएगी। अल्पना को महिलाएं बनाती हैं, जिससे माना जाता है कि इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद देती हैं।
लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) के समय अल्पना में पैरों के चिन्ह बनाना महत्वपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे देवी लक्ष्मी घर में आती है और साथ में सुख-समृद्धि लाती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा या लक्ष्मी पूजन के समय पैरों के निशान बनाए जाते हैं।सिर्फ धार्मिक ही नहीं, अल्पना सौंदर्य की दृष्टि से भी काफी महत्व रखती है। अलग-अलग डिजाइन और मोटिफ से बने अल्पना घर की खूबसूरती बढ़ाते हैं, जो त्योहारों के रंग को और पक्का करते हैं। साथ ही, अल्पना बनाने के लिए परिवार के सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं, जिससे आपक में सौहार्द की भावना जागती है।
सामाजिक कार्यक्रमों के लिए उस जगह की महिलाएं एक साथ मिलकर अल्पना बनाती हैं, जो उनके बीच मिठास घोलने का काम करता है। साथ ही, अल्पना बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
अल्पना के अलग-अलग प्रकार
शास्त्रीय अल्पना- इसमें जटिल ज्यामितीय आकृतियां और देवी-देवताओं के चित्र बनाए जाते हैं।लोक अल्पना- इसमें फूल, पत्ते, जानवर और ग्रामीण जीवन से जुड़े दृश्य बनाए जाते हैं।
आधुनिक अल्पना- इसमें पारंपरिक अल्पना को आधुनिक कला के साथ मिलाकर नए डिजाइन बनाए जाते हैं।
कैसे बनाई जाती है अल्पना?
अल्पना बनाने के लिए सबसे पहले चावल के आटे, पानी और अन्य सामग्रियों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार किया जाता है। फिर रुई या सूती कपड़े को उंगलियों के बीच दबाकर इस पेस्ट का इस्तेमाल करके फर्श पर अलग-अलग प्रकार के डिजाइन बनाए जाते हैं।
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