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300 साल पुरानी है रूस की गजेल कलाकारी, जिससे चीनी-मिट्टी के बर्तनों को मिलती है खास पहचान

रूस विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक होने के साथ-साथ अपनी समृद्ध कला और संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। यह देश अपनी शक्तिशाली सैन्य शक्ति और विशाल भूगोल के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही अपनी कलात्मक विरासत के लिए भी। आज हम आपको यहां की गजेल कला (Gazel art) के बारे में बताएंगे जो चीनी-मिट्टी के बर्तनों को खास पहचान देती है।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sun, 15 Sep 2024 02:02 PM (IST)
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बेहद खास है रूस की गजेल कलाकारी, चीनी-मिट्टी के बर्तनों को मिलती है नई पहचान (Image Source: X)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गजेल कला, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली एक पारंपरिक कला है, जो रूस की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। इस कला में, कुशल कारीगर चीनी मिट्टी के बर्तनों पर विभिन्न रंगों और डिजाइनों से सुंदर चित्र बनाते हैं। इन चित्रों में अक्सर रूसी गांवों का जीवन, प्रकृति, और धार्मिक प्रतीक दर्शाए जाते हैं। गजेल कला के माध्यम से, रूसी कलाकारों ने न केवल अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, बल्कि उन्होंने रूसी लोगों की जीवन शैली और संस्कृति को भी जीवंत रखा है।

इस जगह से हुआ विकास

रूस की राजधानी मास्को से मात्र 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'गजेल' नामक स्थान सदियों से कला और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह वह जगह है जहां स्थानीय कलाकारों ने सदियों से चीनी मिट्टी के बर्तनों पर अद्वितीय चित्रकारी की कला को जीवंत रखा है।

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 17वीं शताब्दी के मध्य में ही गजेल में इस कला ने विस्तार पा लिया था। उस समय के कलाकारों ने अपनी असाधारण प्रतिभा और कल्पनाशीलता से चीनी मिट्टी के बर्तनों को रंग-बिरंगे चित्रों और जटिल पैटर्नों से सजाना शुरू किया था। इन चित्रों में अक्सर स्थानीय जीवन, प्रकृति और धार्मिक प्रतीकों को दर्शाया जाता था।

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गजेल कला: नीले रंग का जादू

रूस के गजेल गांव में जन्मी गजेल कला, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली एक खास तरह की चित्रकारी है। इस कला का नाम ही इस गांव के नाम पर रखा गया है। यह कला अपनी अनूठी शैली और रंगों के सम्मिश्रण के लिए जानी जाती है।

शुरुआती दिन

शुरुआत में, गजेल के कारीगरों ने सफेद रंग के चीनी मिट्टी के बर्तनों पर नीले रंग से चित्र बनाना शुरू किया था। सफेद रंग की सादगी और नीले रंग की गहराई का संयोजन एक अद्भुत दृश्य पैदा करता था। इसीलिए नीले रंग को गजेल कला का प्रमुख रंग माना जाता है। नीले रंग का इस्तेमाल करके कारीगरों ने न केवल बर्तनों को सजाया बल्कि उनमें एक अनूठी आत्मा भी फूंक दी।

रंगों का खेल

हालांकि नीला रंग गजेल कला की पहचान है, लेकिन समय के साथ कलाकारों ने अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हुए अन्य रंगों का भी प्रयोग करना शुरू कर दिया। सफेद, पीले, हरे और भूरे रंगों को भी गजेल कला में शामिल किया गया। इन रंगों के विभिन्न संयोजनों से कलाकारों ने अनेक खूबसूरत चित्र बनाए।

गजेल कला: एक सम्राट का आदेश और विश्वव्यापी प्रसिद्धि

मास्को के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में स्थित लगभग 30 गांवों ने सदियों से गजेल कला के माध्यम से रूस को खूबसूरत सिरेमिक उत्पादों से समृद्ध किया है। इन गांवों के कारीगरों ने अपनी कुशलता और रचनात्मकता से गजेल कला को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।

एक शाही आदेश

17वीं शताब्दी में, रूस के तत्कालीन सम्राट एलेक्सी ने एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया था। उन्होंने पूरे मास्को में गजेल कला से सजे सिरेमिक टी-पॉट और जगों की आपूर्ति करने का आदेश दिया था। सम्राट का यह आदेश गजेल कला के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस आदेश के बाद, गजेल के कारीगरों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया और गजेल कला की मांग में तेजी से वृद्धि हुई।

विकास और विश्वव्यापी लोकप्रियता

19वीं सदी तक गजेल कला और अधिक विकसित हुई। कलाकारों ने अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हुए नए-नए डिजाइन और पैटर्न विकसित किए। गजेल कला की खूबसूरती और अनूठापन ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया। आज, गजेल कला के उत्पाद दुनिया भर में बड़े पैमाने पर बिकते हैं और कला संग्रहालयों में प्रदर्शित किए जाते हैं।

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