300 साल पुरानी है रूस की गजेल कलाकारी, जिससे चीनी-मिट्टी के बर्तनों को मिलती है खास पहचान
रूस विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक होने के साथ-साथ अपनी समृद्ध कला और संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। यह देश अपनी शक्तिशाली सैन्य शक्ति और विशाल भूगोल के लिए जितना प्रसिद्ध है उतना ही अपनी कलात्मक विरासत के लिए भी। आज हम आपको यहां की गजेल कला (Gazel art) के बारे में बताएंगे जो चीनी-मिट्टी के बर्तनों को खास पहचान देती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गजेल कला, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली एक पारंपरिक कला है, जो रूस की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है। इस कला में, कुशल कारीगर चीनी मिट्टी के बर्तनों पर विभिन्न रंगों और डिजाइनों से सुंदर चित्र बनाते हैं। इन चित्रों में अक्सर रूसी गांवों का जीवन, प्रकृति, और धार्मिक प्रतीक दर्शाए जाते हैं। गजेल कला के माध्यम से, रूसी कलाकारों ने न केवल अपनी कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, बल्कि उन्होंने रूसी लोगों की जीवन शैली और संस्कृति को भी जीवंत रखा है।
इस जगह से हुआ विकास
रूस की राजधानी मास्को से मात्र 57 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'गजेल' नामक स्थान सदियों से कला और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह वह जगह है जहां स्थानीय कलाकारों ने सदियों से चीनी मिट्टी के बर्तनों पर अद्वितीय चित्रकारी की कला को जीवंत रखा है।ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, 17वीं शताब्दी के मध्य में ही गजेल में इस कला ने विस्तार पा लिया था। उस समय के कलाकारों ने अपनी असाधारण प्रतिभा और कल्पनाशीलता से चीनी मिट्टी के बर्तनों को रंग-बिरंगे चित्रों और जटिल पैटर्नों से सजाना शुरू किया था। इन चित्रों में अक्सर स्थानीय जीवन, प्रकृति और धार्मिक प्रतीकों को दर्शाया जाता था।
यह भी पढ़ें- सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल का पता लगाती थी यह घड़ी, आज National Archaeological Museum में है मौजूद
गजेल कला: नीले रंग का जादू
रूस के गजेल गांव में जन्मी गजेल कला, चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली एक खास तरह की चित्रकारी है। इस कला का नाम ही इस गांव के नाम पर रखा गया है। यह कला अपनी अनूठी शैली और रंगों के सम्मिश्रण के लिए जानी जाती है।