Hindi Diwas 2024: 65 करोड़ लोगों की पहली भाषा है हिंदी, जानें कैसे देश के विकास में दे रही है बड़ा योगदान
भाषा का राष्ट्र निर्माण में क्या योगदान होता है इस बात का अंदाजा महात्मा गांधी की कही इस बात से लगाए कि ‘राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है’। हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर हिंदी की व्यापकता और संचार की शक्ति के बारे में डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने अपने विचार साझा किए। आइए जानें हिंदी के राष्ट्र निर्माण में योगदान और कैसे हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
नई दिल्ली, डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय। आज भारत विश्व की सबसे तीव्र गति से उभरने वाली आर्थिकी है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में देश की हैसियत लगातार बढ़ रही है। जब किसी राष्ट्र को विश्व बिरादरी महत्व और स्वीकृति देती है तथा उसके प्रति अपनी निर्भरता में वृद्धि पाती है तो उस राष्ट्र की तमाम चीजें स्वतः महत्वपूर्ण हो जाती हैं। भारत की विकासमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति हिंदी के लिए वरदान-सदृश है। आज विश्वस्तर पर उसकी स्वीकार्यता और व्याप्ति अनुभव की जा सकती है। पहले जिन देशों में हिंदी लगभग न के बराबर थी अब वहां भी उसकी अनुगूंज सुनी जा सकती है।
प्रतियोगी परीक्षाओं में बढ़ा प्रभुत्व आज नई पीढ़ी के लिए हिंदी भारत बोध और राष्ट्रीय अस्मिता का साधन है। हिंदी अब प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अपना प्रभुत्व दिखला रही है। नीट से लेकर संघ लोक सेवा आयोग तक हिंदी भाषा और माध्यम लेकर छात्र परीक्षाएं दे रहे हैं। इन परीक्षाओं में हिंदी और भारतीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या अंग्रेजी से अभी भी कम है लेकिन पास होने वाले छात्रों का औसत अधिक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत छठी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। इसे ईमानदारी से लागू करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एम.बी.बी.एस. और इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिंदी में भी शुरू करवा दिया। अब सारे विषय हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में पढ़ाए जा सकते हैं। हिंदी अब आइ.आइ.टी. से लेकर आइ.आइ.एम. तक में प्रवेश कर चुकी है।
मानविकी के अलावा विधि, वाणिज्य, विज्ञान, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में हिंदी में शिक्षण होने लगा है। यह बड़ा बदलाव है। तकनीकी क्षेत्र में प्रभावी कार्य आज का दौर तकनीक का है और तकनीक लगातार सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होती जा रही है। हिंदी भी नई तकनीक के सहारे ई पेपर, ई जर्नल एवं ई बुक के रूप में वैश्विक स्तर पर पहुंच रही है। अब उपग्रह प्रसारित चैनलों, सिनेमा से लेकर ओ.टी.टी. तक हिंदी का बोलबाला है। हिंदी के इस फैलाव में डिजिटल दुनिया और इंटरनेट मीडिया की सबसे बड़ी भूमिका है। अब हिंदी वायस सर्च क्वेरी 400 प्रतिशत की दर से हर साल बढ़ रही है और इंटरनेट मीडिया हिंदी जानने वालों का सबसे बड़ा पटल बन गया है। गूगल के अनुसार पिछले दस वर्षों में इंटरनेट पर उपलब्ध होने वाली सामग्री हिंदी में 94 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। भाषाई इंटरफेस की वजह से इस समय जो तकनीकी सुविधा अंग्रेजी में उपलब्ध है, वह हिंदी में भी उपलब्ध है। अंग्रेजी की तुलना में इंटरनेट मीडिया पर हिंदी ज्यादा लोकप्रिय है। भारत निकट भविष्य में विश्व का सबसे बड़ा इंटरनेट उपभोक्ता देश बनने जा रहा है जिसका सबसे प्रभावी माध्यम हिंदी रहने वाली है। अब भाषाओं का प्रशिक्षण भी ई-लर्निंग के माध्यम से संभव है।
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65 करोड़ लोगों की पहली भाषा
विश्व में व्यापक प्रसार आज हिंदी संपूर्ण विश्व में 65 करोड़ लोगों की पहली भाषा और 50 करोड़ लोगों की दूसरी और तीसरी भाषा है। आज की हिंदी अपने जिस वैभव के साथ विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है, वह अनेक बोलियों से मिलकर बनी है। उसका वर्तमान रूप इन्हीं से निर्मित हुआ है। हिंदी के विकास में इन बोलियों के अलावा देश भर के संतों, कवियों, भक्तों और साहित्यकारों की विशेष भूमिका रही है। हिंदी भारत की सांस्कृतिक एकता का मजबूत आधार बन गई है। भारतीय राज्यों में यह गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब, कश्मीर तथा पूर्वोत्तर के राज्यों और अधिकांश केंद्र शासित प्रदेशों में द्वितीय भाषा के रूप में व्यवहार की जाती है। इसी प्रकार नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कुवैत, इराक, फीजी, मारीशस, थाईलैंड, सूरीनाम, त्रिनिदाद और गयाना जैसे देशों में यह दूसरी एवं तीसरी भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है। यह शेष विश्व में लगभग 20 करोड़ लोगों द्वारा चौथी, पांचवीं और विदेशी भाषा के रूप में प्रयुक्त होती है। इस तरह संपूर्ण विश्व में 135 करोड़ लोग किसी- न- किसी रूप में हिंदी को बोल या समझ लेते हैं।