पहले सिर्फ पुरुष ही कर सकते थे केरल का मशहूर Kathakali नृत्य, जानें कैसे हुई महिलाओं की इसमें एंट्री
क्या आप जानते हैं कि Ancient Dance Forms में से एक कथकली (Kathakali) की शुरुआत और कहीं नहीं बल्कि भारत के केरल (Kerala) राज्य से हुई थी? कथकली दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें कथा का मतलब है कहानी और कली यानी प्ले। आपको जानकर हैरानी होगी कि 300 साल से ज्यादा पुराने इस नृत्य में पहले सिर्फ पुरुष ही भाग ले सकते थे।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। History of Kathakali: भारत में करीब 200 अनोखे Dance Forms हैं, लेकिन इन सब में कथकली खास इसलिए है क्योंकि इसे बहुत ही कठिन माना जाता है। इस कला में माहिर होने के लिए आपको कई साल लग सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसका मेकअप करने में 4 घंटे और इसे हटाने में 2 घंटे लगते हैं। अब आप सोचेंगे कि भला इतने मेकअप की क्या जरूरत है? ऐसे में बता दें कि कथकली में हर रंग की अपनी अहमियत है। हरे रंग को रोमांस (Love) से जोड़कर देखा जाता है, तो वहीं लाल रंग गुस्से (Anger) को दिखाता है। काला रंग तमस (Darkness of Mind) और सफेद रंग सात्विकता को परिभाषित करता है।
300 साल से ज्यादा पुराना है ये नृत्य
कथकली नृत्य को रंग-बिरंगे मेकअप और वेशभूषा के लिए भी जाना जाता है। इसकी उत्पत्ति करीब 300 साल पहले केरल में हुई थी। नाटक, संगीत, नृत्य, भक्ति, श्रृंगार और वेशभूषा के साथ भारतीय महाकाव्यों से अतीत की महान कहानियों को जोड़ते हुए इस डांस फॉर्म में ज्यादातर चेहरे के इशारों और भावों का इस्तेमाल किया जाता है।यह भी पढ़ें- बिहार का सिक्की आर्ट, जिसमें प्राकृतिक घास से तैयार की जाती है तरह-तरह की कलाकृतियां
बेहद खास होती है कथकली की वेशभूषा
माना जाता है कि कथकली की शुरुआत 17वीं शताब्दी से हुई थी। आज यह सिर्फ भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। अपनी वेशभूषा के कारण भी कथकली बेहद खास है। इसमें पहनी जाने वाली पोशाक का वजन 12 किलो तक भी हो सकता है। यही वजह है कथकली को इतना डिमांडिंग डांस फॉर्म माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि कलरीपायट्टु (Kalaripayattu) के सैनिक इसे परफॉर्म करते थे।