Women's Day 2024: वर्किंग वुमन्स के लिए ऐसे बनाएं ऑफिस का माहौल सुरक्षित और खुशनुमा
Womens Day मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है। 8 मार्च को दुनियाभर में इंटरनेशनल वुमन्स डे मनाया जाता है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं तो आपका भी फर्ज बनता है उनका सहयोग करें। ऑफिस के माहौल को सुरक्षित और खुशनुमा बनाकर आप महिलाओं की कामयाबी में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। वुमन्स डे मनाने का मकसद महज महिलाओं को उनके कार्यों के लिए सम्मानित करना और थैंक यू बोलना भर नहीं है, बल्कि यह दिन उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताने और जागरूक करने का भी दिन है। आज की महिलाएं हर एक रोल में अपने आपको फिट करने की कोशिश कर रही हैं। वो घर में बच्चे, बूढ़े मां-बाप को भी देख रही हैं और ऑफिस में मीटिंग-प्रेेजेंटेशन्स को भी हैंडल कर रही हैं। हर एक चैलेंज को मुस्कुरा कर एक्सेप्ट कर रही हैं।
घर और ऑफिस के काम को बैंलेंस करने के साथ इन दोनों में सक्सेसफुल होने के लिए उनका सहयोग करना बहुत जरूरी है। आज महिलाएं ऑफिस में काम के बोझ से इतना परेशान नहीं होती, जितना बाकी चीज़ों से। कंपनी पॉलिसीज़, लिंग भेदभाव, काम के अनुसार पैसे न मिलने जैसी कई दूसरी चुनौतियों का भी सामना कर रही हैं, जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकने का काम करते हैं, तो करियर में आगे बढ़ने के लिए कैसे ऑफिस में उनके लिए हेल्दी माहौल तैयार किया जा सकता है, आइए जानते हैं इस बारे में।
बोलने की आजादी दें
महिला कर्मचारियों के लिए एक कंफर्टेबल माहौल तैयार करें, जहां अगर कोई उन्हें किसी भी तरह से परेशान करता है, तो वो उसके खिलाफ बिना डर बोल सकें। हालांकि 2013 में एक यौन उत्पीड़न कानून बनाया गया था, जिसके तहत महिलाओं को यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार मिला हुआ है।बेसिक सपोर्ट दें
नेहाल गुप्ता, Managing Director Accelerated Money For U (AMU) का कहना है कि, 'एक आदर्श कार्यस्थल वह है जहां महिलाएं न केवल सम्मानित महसूस करती हैं, बल्कि उन्हें अपनी पूरी क्षमता से योगदान देने का अवसर भी मिलता है। इस दिशा में पहला कदम भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। गलत व्यवहार करने वालों के लिए कठोर दंड सुनिश्चित करना जरूरी है। काम व घर के बीच संतुलन बनाने में मदद, मैटरनिटी लीव जैसे ऑप्शन्स महिलाओं को उनके करियर में सहायता प्रदान करते हैं। उनकी शारीरिक सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना, साथ ही उन्हें उनके काम के लिए उचित पारिश्रमिक देना ये भी बहुत जरूरी है। इन चीज़ों से महिलाएं घर के साथ-साथ अपने काम को भी जरूरी समय दे पाती हैं।'
तान्या स्वेता, को-फाउंडर एंड सीईओ, id8 media solutions ने बताया कि, 'हम महिलाओं के सपनों, इच्छाओं और उनके टैलेंट को बढ़ावा देने के पीछे नहीं रहते। हमारा वर्क कल्चर हमारे रूट्स को दर्शाते हैं। हम ईमानदारी, क्वॉलिटी, नए विचार का खुलकर स्वागत करते हैं फिर चाहे वो कोई महिला दे रही हो या पुरुष। ट्रांसपेरेंट कम्युनिकेशन, फेयर पॉलिसी हर किसी के लिए है। जिससे न सिर्फ टीम के सदस्यों के बीच विश्वास पैदा होता है, बल्कि एक निष्पक्ष और प्रोडक्टिव माहौल भी तैयार होता है। कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा, आराम और वर्क-लाइफ को प्रियोरिटी देकर, हम उन्हें आगे बढ़ने और सफल होने के लिए सशक्त बनाते हैं।'
अदिति चर्तुवेदी, डायरेक्टर, AISECT का कहना है कि “लैंगिक असमानताओं का मुकाबला करने, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और समावेशी विकास की परंपरा विकसित करने के लिए महिलाओं को वित्तीय जानकारी होना जरूरी है। उल्लेखनीय विकास के बावजूद समूचे भारत में महिलाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से औपचारिक सेवाओं तक उनकी पहुंच सीमित हो जाती है और आर्थिक आत्मनिर्भरता कम हो जाती है। खासकर, ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सीमित वित्तीय साक्षरता और जागरूकता की कमी की वजह से बाधाएं आती हैं। काफी सारी महिलाएं बैंकिग उत्पादों, बचत के तरीकों और वित्तीय प्लानिंग से अनजान होती हैं। ऐसे में उनके औपचारिक वित्तीय व्यवस्था के शोषण और उससे बहिष्कृत हो जाने का डर रहता है। औपचारिक वित्तीय सेवाएं ना केवल महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अपने पैसों को मैनेज करने में सक्षम बनाती हैं, बल्कि वे अपने परिवारों की भी आर्थिक मदद कर पाती हैं। इससे उन्हें नौकरी करने या फिर अपना खुद का कारोबार चलाने में मदद मिलती है।'