क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस, जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
International Day of Sign Languages 2023 हर साल 23 सितंबर अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों को सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना। बाधिर लोगों के लिए सांकेतिक भाषा काफी मायने रखता है। इसमें उंगलियों या हाथ के इशारों के माध्यम से बातचीत की जाती है।
By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Fri, 22 Sep 2023 06:30 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। International Day of Sign Languages 2023: दुनियाभर में हर साल 23 सितंबर को इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज यानी अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। जो लोग बोल या सुन नहीं पाते हैं, उनके लिए सांकेतिक भाषा बहुत मायने रखता है। इसमें शरीर के हाव-भाव से व्यक्ति से बातचीत की जाती है। इसी हाव-भाव को साइन लैंग्वेज कहा जाता है।
क्या है सांकेतिक भाषा
जब हम शरीर के अंगों के माध्यम से अपनी बात कहते हैं, तो यह सांकेतिक भाषा कहलाता है। जैसे कोई सुन नहीं पाता है, तो उसे उंगलियों या हाथ के इशारों के माध्यम से अपनी बात समझाते हैं। दिव्यांग लोगों के लिए सांकेतिक भाषा का काफी महत्व है।
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अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा का इतिहास
23 सितंबर, 2018 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा मनाने की घोषणा की थी। अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार 2018 में मनाया गया था। यह दिन बधिर व्यक्तियों के विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा 2023 का थीम
लोग सांकेतिक भाषा को लेकर जागरूक रहें और इसके महत्व को समझें, इसी उद्देश्य से हर साल 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिससे बाधिरों को नई बातों की जानकारी मिलती है।इस साल अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस की थीम '"A World Where Deaf People Everywhere Can Sign Anywhere" यानी एक ऐसी दुनिया जहां सुनने में असमर्थ लोग (deaf people) संकेतों की मदद से किसी से भी और कहीं भी अपनी बात कह सकें। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 70 मिलियन से अधिक लोग बधिर हैं।
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