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कमाल की है जापान की Daisugi तकनीक, बिना पेड़ों को काटे भी मिल जाती है लकड़ी

पेड़ों को काटना हमारे पर्यावरण के लिए कितना नुकसानदेह है यह जानते हुए भी रोज कई पेड़ों को काटा जाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है उनसे मिलने वाली लकड़ी जिसका इस्तेमाल इमारतें फर्नीचर और कागज बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि जापान में एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो पेड़ों को मरने से भी बचाती है और इंसानों को लकड़ियां भी मिल जाती है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Sun, 28 Jul 2024 12:36 PM (IST)
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बड़ी गजब की है जापान की Diasugi तकनीक (Picture Courtesy: Instagram)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Diasugi Japanese Technique: घर, फर्नीचर और कई चीजों को बनाने के लिए इंसान पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं। कागज बनाने के लिए, यह आज से नहीं, बल्कि सदियों से होता आया है। हालांकि, अब पेड़ों को काटने की रफ्तार बढ़ गई है, जो ग्लोबल वॉर्मिंग की सबसे बड़ी वजह है। ऐसे में जापान को एक मिसाल की तरह देखा जा सकता है, जो लकड़ियों के लिए पेड़ों को नहीं काटता, बल्कि इसके बदले एक ऐसी तकनीक अपनाता है, जिससे बिना पेड़ों को काटे वहां के लोगों को लकड़ियां मिल जाती हैं।

(Picture Courtesy: Instagram)

बिना पेड़ों को काटें मिलती है लकड़ी

इस खास तकनीक को दाईसुगी कहा जाता है। इस तकनीक के जरिए पेड़ को बिना मारे, उससे लकड़ियां ली जाती हैं। आमतौर पर होता यूं है कि लकड़ी के लिए जिस पेड़ को काटा जाता है, वह सूख जाता है या मर जाता है। इससे पर्यावरण को कितना नुकसान होता है, इसका अंदाजा आप अपने आस-पास नजर फेर कर देख सकते हैं। बढ़ता वायु प्रदूषण और तपती गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। पर्यावरण को होने वाले इस नुकसान को कम करने के लिए जापानी लोगों ने इस तकनीक की खोज की।

(Picture Courtesy: Instagram)

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600 साल पुरानी है ये तकनीक 

जापान की यह खास तकनीक, दाईसुगी, करीब 600 साल पुरानी है। यानी इस तकनीक की शुरुआत लगभग 14-15वीं शताब्दी के बीच हुई होगी। इस तकनीक में पेड़ को बिना नुकसान पहुंचाए नई लकड़ियां उगाई जाती हैं, जिसका इस्तेमाल इंसान करते हैं और पेड़ भी सुरक्षित रहता है।

(Picture Courtesy: Instagram)

ऐसे काम करती है ये तकनीक

दाईसुगी तकनीक में पेड़ के तने को लगभग 1 मीटर की ऊंचाई से काटा जाता है। उस पेड़ की ठूंठ से नई शाखाएं निकलनी शुरू हो जाती हैं, जिन्हें बढ़ने दिया जाता है। इसके बाद उन साखाओं को भी 50 सेंटीमीटर की ऊंचाई से काट दिया जाता है। उनमें जो कमजोर साखाएं होती हैं, उन्हें काट दिया जाता है और सिर्फ मजबूत साखाओं को बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।

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ऐसे धीरे-धीरे पेड़ के ऊपर एक जंगल जैसा बन जाता है। जिसकी कुछ समय तक देखभाल की जाती है। इस तरह पेड़ से लकड़ियां काटी जाती हैं और उसे कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता। अक्सर पेड़ों को लकड़ियों के लिए काटे जाने के बाद, वह पेड़ किसी काम का नहीं बचता और मर जाता है। जापान की दाईसुगी तकनीक पेड़ों को मरने से बचाने में मददगार साबित होता है और इंसानों की लकड़ियों की जरूरत भी पूरी हो जाती है।

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