क्या आप जानते हैं! खुद बाघों के शिकारी थे Jim Corbett, जिन पर रखा गया भारत के पहले टाइगर रिजर्व का नाम
एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट जिन्हें Jim Corbett के नाम से भी जाना जाता है का जन्म 25 जुलाई 1875 (Jim Corbett Birth Date) को हुआ था। वो कमाल के शिकारी थे जिन्हें उत्तराखंड में बाघों और तेंदुओं के से इंसानों की रक्षा के लिए बुलाया जाता था। हालांकि यह बेहद दिलचस्प कहानी है कि इनके नाम पर उत्तराखंड के नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) का नाम क्यों पड़ा? आइए जानें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Jim Corbett's Birth Anniversary: Jim Corbett National Park का नाम आपने सुना होगा। बाघों की एक झलक देखने के लिए काफी उत्सुक लोग इस टाइगर रिजर्व में दूर-दूर से घूमने आते हैं और काफी एन्जॉय भी करते हैं। मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के साथ जंगली जानवरों को देखना काफी रोमांचक होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस व्यक्ति के नाम पर इस टाइगर रिजर्व का नाम रखा गया है, उसका जीवन भी काफी रोमांचक था।
कौन थे जिम कॉर्बेट?
एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट उर्फ जिम कॉर्बेट एक बेहद प्रसिद्ध शिकारी थे, जिनका जन्म 25 जुलाई 1875 (Jim Corbett’s Birth Anniversary) को नैनीताल में हुआ था। इनके पिता एक पोस्टमास्टर थे और इनके 12 भाई-बहन थे। मात्र चार वर्ष की आयु में सिर से पिता का साया छिन जाने के बाद इनकी मां मैरी ने घर की जिम्मेदारी उठाई। हालांकि, इतने बड़े परिवार के लिए उतना काफी नहीं था। इसलिए जिम कॉर्बेट ने रेलवे में नौकरी ले ली, लेकिन इनका सफर इससे कहीं अलग था।
बचपन से ही जिम को जंगल से बेहद लगाव था और वे अपना ज्यादातर समय वहीं बिताते थे। उन्होंने जंगल के बारे में बड़ी बारीकी से जाना, जिसके बारे में वे कहते थे कि इसे किताबों के जरिए नहीं सीखा जा सकता। इसके लिए जंगल को अपने भीतर समाना जरूरी है। जिम कॉर्बेट के कमाल के शिकार कौशल का श्रेय उनके जंगल के प्रति प्रेम को देना गलत नहीं होगा।
(Picture Courtesy: corbettnationalpark.in)
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एक दर्जन से ज्यादा बाघों को उतारा था मौत के घाट
वो जंगल को बखूबी समझने लगे थे। उनकी शिकार करने की कला भी इसी वजह से इतनी बेहतर बनी, क्योंकि वे जानवरों के हमला करने के तरीकों को जान चुके थे। अपने जीवन में उन्होंने कुल 19 बाघ और 14 तेंदुओं का शिकार किया और इसी वजह से वे दुनियाभर के मशहूर शिकारियों में गिने जाते हैं। इन्होंने सबसे पहले चंपावत बाघिन का शिकार किया था, जिसने 436 लोगों को मौत के घाट उतारा था। जिम कॉर्बेट का जादू ऐसा था कि आज भी कुमाऊ और गढ़वाल क्षेत्र के लोगों में इनकी प्रसिद्धि बरकरार है। गढ़वाल और कुमाऊ क्षेत्रों में आदमखोर बाघों और तेंदुओं ने काफी उतपात मचाया हुआ था। जान-माल की ऐसी हानि को रोकने के लिए वहां की सरकार ने जिम कॉर्बेट को बुलावा भेजा और उन्होंने कई बाघों और तेंदुओं का शिकार करके उनसे वहां रहने वाले लोगों का रक्षा की है। (Picture Courtesy: corbetttreatresort.com)आजादी के बाद छोड़ा भारत
जिम कॉर्बेट न सिर्फ एक बेहतरीन शिकारी थे, बल्कि वे कमाल के कहानीकार भी थे। अपने शिकार से जुड़े तमाम किस्से वे लोगों को सुनाते थे और लोग बड़ी तल्लीनता से उनकी कहानियां सुना करते थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं, जिसमें उन्होंने अपने जीवन से जुड़े कई किस्सों और लोगों के बारे में बताया है। इनकी मशहूर किताबों में मैन ईटर ऑफ कुमाऊं और जंगल लोर शामिल हैं। वे कमाल के फोटोग्राफर भी थे। हालांकि, आजादी के बाद जिम भारत छोड़कर केन्या चले गए थे और अपने जीवन के अंत तक वहीं रहे।जिम कॉर्बेट के पीछे की कहानी क्या है?
अब सवाल यह उठता है कि जिम कॉर्बेट के भारत छोड़कर चले जाने के बाद भी उनके नाम पर नेशनल पार्क का नाम क्यों रखा गया। तो आपको बता दें कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का नाम हमेशा से यह नहीं था। इस नेशनल पार्क का नाम सबसे पहले हेली नेशनल पार्क रखा गया था, जो उस जगह के गवर्नर के नाम पर रखा गया था। हालांकि, आजादी के बाद इसका नाम बदलकर राम गंगा नेशनल पार्क रखा गया, जो वहां से गुजरती नदी के नाम पर रखा गया, लेकिन 1956 में इसका नाम फिर से बदलकर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रखा गया। कॉर्बेट का मानना था कि बाघों को सुरक्षा की जरूरत है और सड़कों के निर्माण और बंदूकों आदि के कारण बाघों को बचाना मुश्किल होता जाएगा। इसलिए ऐसी जगहें होनी चाहिए, जहां इन्हें सुरक्षा मिल सके और ऐसे हुई टाइगर रिजर्वस की शुरुआत। इसलिए जिम कॉर्बेट के नाम पर इस नेशनल पार्क का नाम रखा गया। (Picture Courtesy: corbettnationalpark.in)यह भी पढ़ें: Corbett National Park में जंगल सफरी के लिए आ रहे हैं तो मौसम देखकर निकलें, कैसिंल होने पर नहीं मिलेगा रिफंडअक्सर पूछे जाने वाले सवाल
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आप जीप या कैंटर बुक कर सकते हैं।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रामनगर के पास है।
भारत का सबसे पहला नेशनल पार्क हैली नेशनल पार्क था, जिसे अब जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता है।
यह भारत का सबसे पहला टाइगर रिजर्व होने के साथ-साथ यहां बड़ी संख्या में बाघ देखने को मिलते हैं।