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भारतीय चित्रकला का अनूठा नमूना है कालीघाट चित्रकला, खूबसूरती देखकर आप भी हो जाएंगे हैरान

कालीघाट चित्रकला (Kalighat Painting) भारतीय कला का एक अनमोल खजाना है। इस शैली में गणेश जी और अन्य देवी-देवताओं का बेहद खूबसूरत चित्रण किया गया है। कालीघाट चित्रकला न केवल भारतीय कला की विरासत है बल्कि यह दुनिया भर में भारतीय कला की पहचान भी है। आइए इस चित्रकला शैली के बारे में और गहराई से जानने की कोशिश करते हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 16 Sep 2024 11:08 AM (IST)
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कलकत्ता में हुई थी कालीघाट चित्रकला की शुरुआत (Picture Courtesy: Instagram)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कलकत्ता के कालीघाट मंदिर में उत्पन्न हुई कालीघाट चित्रकला, भारतीय कला की एक अत्यंत महत्वपूर्ण शैली है। 18वीं सदी में अपनी जड़ें जमाने के बाद, इसने 19वीं सदी में व्यापक लोकप्रियता हासिल की। इस शैली की सबसे बड़ी विशेषता है हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक पात्रों का जीवंत चित्रण। इस आर्टिकल में हम इसी चित्रकला के बारे में जानने की कोशिश करेंगे कि इसकी विशेषताएं क्या है और कैसे इसका विस्तार हुआ।

गणेश जी की कहानियों का अद्भुत चित्रण

कालीघाट चित्रकला में भगवान गणेश से जुड़ी अनेक रचनाएं देखने को मिलती हैं। इन चित्रों में गणेश जी को विभिन्न रूपों में दर्शाया गया है, कभी वे विद्या के देवता के रूप में, तो कभी विघ्नहर्ता के रूप में। इन चित्रों में गणेश जी की बाल लीलाओं, उनके वाहन मूषक और उनके प्रिय लड्डू का भी अत्यंत जीवंत चित्रण किया गया है।

Kalighat Painting

(Picture Courtesy: Instagram)

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अलग-अलग देवी-देवताओं और पौराणिक प्रसंगों का चित्रण

गणेश जी के अलावा, कालीघाट चित्रकला में कार्तिकेय, सरस्वती, भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार, परशुराम, भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं, पूतना वध और कालिया मर्दन जैसे अनेक पौराणिक प्रसंगों को भी चित्रित किया गया है। इन चित्रों में कलाकारों ने अपनी कल्पना शक्ति का भरपूर उपयोग किया है और देवी-देवताओं को बेहद मानवीय रूप में दर्शाया है।

कालीघाट चित्रकला का विस्तार

24 परगना और मिदनापुर जैसे क्षेत्रों से निकले कलाकारों ने इस कला का खूब प्रसार किया। कालीघाट चित्रकला की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज दुनिया के कई बड़े संग्रहालयों में इस शैली के चित्र मौजूद हैं। लंदन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में लगभग 645 कालीघाट चित्रों का संग्रह है।

इसके अलावा, ऑक्सफोर्ड, प्राग, पेनसिलवेनिया और मास्को के संग्रहालयों में भी इस शैली के चित्र बड़े पैमाने पर संग्रहित हैं। भारत में विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, कलकत्ता, इंडियन म्यूजियम, बिड़ला एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर और कला भवन, शांतिनिकेतन जैसे कई जगहों पर भी इस शैली के चित्र देखे जा सकते हैं।

कालीघाट चित्रकला की खासियत क्या है?

चपटे सिर और बड़ी आंखें- कालीघाट चित्रकला की सबसे बड़ी विशेषता है चित्रों में दर्शाए गए पात्रों के चपटे सिर और बड़ी-बड़ी आंखें।

पारंपरिक रंगों का प्रयोग- शुरुआत में कलाकार पारंपरिक रंगों जैसे हल्दी, अपराजिता के फूल और दीये से तैयार कालिख का प्रयोग करते थे। बाद में रासायनिक रंगों का भी प्रयोग होने लगा।

बड़े आकार के पट चित्र- कालीघाट चित्रकला में पट चित्रों का आकार आमतौर से बड़ा होता था, क्योंकि इनमें किसी चरित्र की पूरी गाथा चित्रित की जाती थी। इन चित्रों को स्थानीय बोलचाल में पट और उसके रचनाकारों को पटुआ कहा जाता था।

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