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मेघालय की जनजातीय संस्कृति को दर्शाता है बेहदीनखलम महोत्सव, बेहद खास है इसे मनाने की वजह

हमारे देश की खूबसूरती यहां की परंपराओं में देखने को मिलती हैं। मेघालय राज्य में मानसून में फसलों की बुवाई के बाद एक बेहद खास महोत्सव मनाया जाता है जिसका नाम है बेहदीनखलम (Behdienkhlam)। इस त्योहार में मेघालय के जैंतिया जनजातियों की संस्कृति की खास झलक देखने को मिलती है। आइए इस त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Sun, 30 Jun 2024 04:53 PM (IST)
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क्या हैं मेघालय के बेहदीनखलम महोत्सव की खासियत? (Picture Courtesy: Instagram)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Behdienkhlam Festival of Meghalaya: हर राज्य की अपनी परंपराएं और कुछ रीति-रिवाज होते हैं, जो वहां के स्थानीय समुदायों द्वारा स्थापित किए गए होते हैं। इन्हीं परंपराओं से उस जगह की खूबसूरती और निरखती है और साथ ही, लोगों में एकता का भाव भी पनपता है। अपने राज्य की संस्कृति को अपने भीतर समेटने वाले ये त्योहार अलग-अलग समय पर अलग-अलग वजहों से मनाए जाते हैं। ऐसे ही भारत नॉर्थ-ईस्ट के राज्य मेघालय में एक बेहद खास त्योहार मनाया जाता है, जिसमें वहां की जनजातिय समुदाय और प्रकृति के बीच के अनोखे रिश्ते की बेहद अनूठी झलक देखने को मिलती है। इस उत्सव का नाम है 'बेहदीनखलम' (Behdienkhlam)। इस महोत्सव को मेघालय की जैंतिया जनजाति के लोग, जोवाई हील्स पर मनाते हैं।

 (Picture Courtesy: Instagram)

क्या है बेहदीनखलम महोत्सव?

बेहदीनखलम (Behdienkhlam) का अर्थ होता है- बुरी शक्तियों को भगाना। इसलिए इस त्योहार को मनाने के पीछे का उद्देश्य भी हैजा और महामारियों से इस जगह रहने वाले लोगों की सुरक्षा की कामना करना है। इसके साथ ही, इस महोत्सव में भगवान से आशीर्वाद मांगा जाता हैं कि वे उनके समुदाय को समृद्धि और अच्छी फसल का वरदान दें।

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क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

इस त्योहार को हर साल फसल की बुवाई के बाद जुलाई के महीने में मनाया जाता है। बारिश के सुहाने मौसम में इस त्योहार का उल्लास लोगों के चेहरे की खुशी को दोगुना कर देता है। दरअसल, यह जैंतिया जनजातियों, जिन्हें पनार नाम से भी जाना जाता है, का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य महोत्सव है। पनार जनजाती मेघालय के खासी समुदाय का एक भाग है। बारिश के महीने में गंदे पानी की वजह से हैजा यानी कोलेरा होने का खतरा रहता है। इसलिए इस उत्सव में इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने और इससे अपनी रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती है।

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कैसे मनाया जाता है यह महोत्सव?

यह उत्सव इतना खास होता है कि इसमें महिलाएं और पुरुष दोनों ही बराबरी में भाग लेते हैं। मेघालय के इस प्रमुख त्योहार का आयोजन मुखिया दलोई की अगुवानी में किया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के आखिरी दिन में लोग ऐतनार नाम की जगह पर इकट्ठा होते हैं और साथ मिलकर नाचते-गाते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दौरान लोग वहां के लोकगीत गाते हैं और ढोल-मंजीरे बजाकर इस महोत्सव का आनंद लेते हैं।

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नाच-गाने के साथ-साथ इस उत्सव में कई तरह के खेल भी खेले जाते हैं, जिसमें फुटबॉल जैसा डैडलावाकोर खेल सबसे प्रमुख है। इस खेल को खेलने के लिए लकड़ी की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है और दो गुट बांटे जाते हैं, जिसे उत्तर और दक्षिण इलाके में रहने वाले लोगों के हिसाब से बांटा जाता है। इस खेल के साथ ऐसी मान्यता भी जुड़ी है कि जो पक्ष यह खेल जीतता है, उसके इलाके में अगले साल भरपूर मात्रा में फसल की उपज होती है।

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बेहदीनखलम उत्सव में कई रस्में भी निभाई जाती हैं, जो इस त्योहार को और खास बनाती हैं। इस सांस्कृतिक महोत्सव यात्रा के दौरान, इस जनजाती के सभी पुरुष हर घर की छत पर बांस के डंडे मारते हैं। यह एक प्रतीकात्मक परंपरा है, जो बुरी आत्माओं और बीमारियों को भगाने के लिए किया जाता है।

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इस परंपरा में महिलाएं शामिल नहीं होतीं। इस दौरान उनका मुख्य काम होता है अपने पूर्वजों के लिए भोग बनाना। इस त्योहार में पूर्वजों को बलि का भोग लगाया जाता है। इन्हीं परंपराओं में एक रिवाज है एक-दूसरे के विरोध में लड़ाई करना। इसके लिए वाह-एत-नार नाम के कीचड़ से एक भारी बीम को निकलना पड़ता है। इस भारी लकड़ी के खंभे को कीचड़ से निकालने के लिए लोग एकजुट होकर इसे खींचते हैं या घोड़ों का भी इस्तेमाल करते हैं।

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