Odissi Dance: ओडिशा के मंदिरों में हुई थी ओडिसी नृत्य की शुरुआत, जानें इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बात
भारतीय शास्त्रीय नृत्य में ओडिसी नृत्य का खास स्थान है। इसकी शुरुआत ओडिशा में मंदिरों में हुई थी। भगवान कृष्ण के जीवन और अन्य पौराणिक कहानियों को इस नृत्य के जरिए दृशाया जाता है। इस नृत्य से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातों के बारे में इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं। आइए जानते हैं क्या है ओडिसी नृत्य की खासियत।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नृत्य या डांस (Dance) कला का एक ऐसा रूप है, जिसके जरिए अपनी भावनाओं को प्रकट करना काफी खूबसूरत, लेकिन बेहद मुश्किल काम है। यही वजह है कि इस कला में निपुण होने में सालों लग जाते हैं। भारत में नृत्य कला का उद्गम प्राचीन काल में हुआ था। अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में नृत्य को अलग-अलग ढंग और वेशभूषा की मदद से प्रस्तुत किया जाता है। नृत्य के इन रूपों को शास्त्रीय नृत्य (Folk Dance) कहा जाता है। शास्त्रीय नृत्य का एक अहम प्रकार है ओडिसी नृत्य (Odissi)। आज इस आर्टिकल में हम आपको नृत्य कला की इस शैली के बारे में बताने वाले हैं। आइए जानते हैं, ओडिसी नृत्य से जुड़ी कुछ अहम बातें।
कैसे हुई शुरुआत?
जैसा कि इसके नाम से समझा सकता है, ओडिसी नृत्य कला की शुरुआत, ओडिशा राज्य में मंदिरों में हुई थी। यह नृत्य कला इतनी प्राचीन है कि इसला उल्लेख छठवीं से लेकर नौवीं शताब्दी में शिलालेखों में भी पाया जाता है। इस नृत्य की शुरुआत प्राचीन समय में मंदिरों में हुई थी। तब से लेकर आजतक यह नृत्य शैली जीवित है और शास्त्रीय नृत्य की सबसे पुरानी शैलियों में से एक है।
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