क्या आप जानते हैं किस देश ने बच्चों पर शारीरिक हिंसा के खिलाफ बनाया था सबसे पहले कानून
बच्चों की परवरिश के करते समय कई बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है। एक जरूरी बात यह भी है कि उनके मन में अपने अभिभावक या टीचर के खिलाफ कोई डर न हो। लेकिन बच्चों को शारीरिक सजा देने से उन पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते है। इसलिए इसके खिलाफ कानून भी बने हैं। आइए जानें कहां यह कानून सबसे पहले लागू हुआ था।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों के बेहतर विकास के लिए जरूरी होता है कि उन्हें प्यार भरा माहौल मिले। उन्हें अपनी बात सामने रखने में कोई डर महसूस न हो और वे अपने माता-पिता और टीचर्स पर भरोसा कर पाएं। लेकिन वहीं, अगर बच्चों को हर बात पर डांटा जाए या उनकी पिटाई की जाए, तो उनके भीतर डर बैठ जाता है और वे ज्यादा आक्रामक स्वाभाव के भी हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के बेहतर विकास के लिए कई देशों में उन्हें शारीरिक सजा (Corporal Punishment) देने पर मनाही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह कौन-सा सबसे पहला देश था, जिसने ऐसा कानून बनाया था। आइए जानें।
किस देश ने बनाया सबसे पहले लागू किया यह कानून?
बच्चों पर शारीरिक सजा के खिलाफ कानून सबसे पहले स्वीडन ने बनाया था। इस कानून को 1979 में बनाया गया था। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जब इस कानून को बनाया गया था, उससे पहले 53 प्रतिशत लोग इस कानून के खिलाफ थे। लेकिन इस कानून को पारित करने के कुछ सालों बाद लोगों के विचार में काफी परिवर्तन हुआ और जो लोग इस कानून के खिलाफ थे, उनकी संख्या 53 प्रतिशत से घटकर महज 11 प्रतिशत बच गई थी। स्वीडन के इस कानून से अन्य कई देशों ने भी प्रेरणा ली और इस कानून को पारित किया।
(Picture Courtesy: Freepik)यह भी पढ़ें: नौकरी छोड़ने का बना लिया है मन, तो ऐसे रखें बॉस के सामने अपना डिसीजन
इन देशों में भी है यह कानून
साल 2024 तक लगभग 65 से ज्यादा देशों ने भी बच्चों पर शारीरिक सजा के खिलाफ कानून बनाया। इस कानून के मुताबिक, सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि घरों में और केयर सेंटरों में भी इस कानून के कारण बच्चों को शारीरिक सजा नहीं दी जा सकती है। इन देशों में स्वीडन के अलावा, फिनलैंड, ऑस्ट्रिया, यूरोप के कई देश और दक्षिण अमेरिका शामिल हैं।