Lifestyle News: आर्टिफिशियल वायुमंडल से तैयार होंगे फसल के नये किस्म के पौधे, देश में पहली बार लैब हुई स्थापित
किसी भी फसल की नई किस्म तैयार करके किसानों तक पहुंचाने में कृषि विज्ञानियों को दस से पंद्रह वर्ष लग जाते हैं लेकिन अब तीन से पांच वर्ष में नई किस्में तैयार की जा सकेंगी। ऐसा संभव होगा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में स्थापित स्पीड एक्सल ब्रीडिंग लैब के जरिये। स्पीड ब्रीडिंग कम समय में नई किस्में विकसित करने की एक आधुनिक तकनीक है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। किसी भी फसल की नई किस्म तैयार करके किसानों तक पहुंचाने में कृषि विज्ञानियों को दस से पंद्रह वर्ष लग जाते हैं, लेकिन अब तीन से पांच वर्ष में नई किस्में तैयार की जा सकेंगी। ऐसा संभव होगा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में स्थापित स्पीड एक्सल ब्रीडिंग लैब के जरिये।
स्पीड ब्रीडिंग कम समय में नई किस्में विकसित करने की एक आधुनिक तकनीक है। विज्ञानी लैब में लाइट, स्पेक्ट्रम लाइट (सतरंगी लाइट), नमी, कार्बनडाइक्साइड के जरिये दिन व रात की विधि को मैनीपुलेट करके कृत्रिम रूप से तैयार प्रकाश, हवा, पानी से नई किस्में बनाएंगे। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सोमवार को इस सेंटर का उदघाटन किया।
कंट्रोल चैंबरों में 40 हजार पौधों पर किया जा सकता है शोध
उन्होंने कहा कि स्पीड ब्रीडिंग भविष्य में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और बढ़ती वैश्विक आबादी को खिलाने में मदद कर सकती है। देश में पहली बार किसी विश्वविद्यालय में इस तरह की लैब स्थापित की गई हैं।करीब 541.87 वर्ग मीटर में बनाई गई इस लैब में आठ कंट्रोल चैंबरों में 40 हजार पौधों पर शोध की जा सकती है। पीएयू के वीसी डॅा.सतबीर सिंह गोसल ने नई ब्रीडिंग सुविधाओं को खेती के सफर का मील का पत्थर कहा।
पीएयू के स्कूल आफ बायोटेक्नोलाजी की निदेशक डॅा.प्रवीण छुनेजा कहती हैं कि भारत सरकार के बायोटेक्नोलाजी विभाग की मदद से लैब को स्थापित किया गया है।
इस पर करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आई है। यह लैब भविष्य की खेती के लिए विज्ञानियों और किसानों के लिए नए रास्ते खोलेगी। इस लैब का लाभ उन विज्ञानियों को मिलेगा, जो विभिन्न फसलों की किस्में तैयार करते हैं।