नासिक के अंगूर अपने मीठे और रसदार स्वाद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन अंगूरों का उत्पादन नासिक जिले की विशेष जलवायु और मिट्टी के कारण होता है। यहां के अंगूर का उपयोग ताजे खाने, जूस बनाने, और वाइन बनाने के लिए किया जाता है।
यह भी पढ़ें: सितंबर में गेटअवे पर जाने के लिए परफेक्ट हैं ये हिल स्टेशन, क्वालिटी टाइम बिताने के लिए जरूर करें सैर
रत्नागीरि के अल्फांसो आम
रत्नागीरि के आम दुनियाभर में अपने रसदार, मीठे और सुगंधित स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं। ये आम बेहद उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं जो रत्नागीरि में उगाए जाते हैं और इन्हें दुनियाभर में बेचा जाता है। अल्फांसो आम का उपयोग ताजे खाने, जूस बनाने, और आइसक्रीम बनाने के लिए किया जाता है।
(Picture Courtesy: Instagram)
सोलापुर चादर
सोलापुर चादर एक प्रकार का कंबल है जो सोलापुर जिले में उत्पादित किया जाता है। ये चादर अपनी उच्च गुणवत्ता, गर्म रखने की क्षमता, और सुंदर डिजाइन के लिए जाना जाता है।
(Picture Courtesy: Instagram)
सांगली हल्दी
सांगली हल्दी दुनियाभर में अपने चटक पीले रंग, गंध और कर्क्युमिन की ज्यादा मात्रा के लिए जानी जाती है। इसका इस्तेमाल चिकित्सीय कारणों में भी किया जाता है। सांगली में उगाई जाने वाले ये हल्दी काफी समय तक बिना खराब होने के डर के स्टोर की जा सकती है।
(Picture Courtesy: Instagram)
कोल्हापुरी गुड़
कोल्हापुर के गुड़ का रंग काफी हल्का होता है और इसका स्वाद इतना मीठा कि इसकी खुशबू से ही आपके मुंह में पानी आ जाए। ये गुड़ दुनियाभर में मशहूर है। अन्य गुड़ की तुलना में इसे काफी शुद्ध माना जाता है, क्योंकि हल्के रंग का होने के कारण इसमें से आसानी से अशुद्धियों को साफ किया जा सकता है।
(Picture Courtesy: Instagram)
जलगांव केला
जलगांव केला एक प्रकार का केला है जो जलगांव जिले में उत्पादित किए जाते हैं। ये केला अपने मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है। इसका इस्तेमाल चिप्स, जैम और जेली बनाने के लिए भी किया जाता है।
(Picture Courtesy: Instagram)
पैठणी साड़ी
मराठी संस्कृति को दर्शाती
पैठणी साड़ी दुनियाभर में मशहूर है। ये औरंगाबाद के पैठान क्षेत्र में बनाई जाती है। मराठी शादियों और त्योहारों में इस साड़ी का खास महत्व माना जाता है। इन साड़ियों में असली जरी का काम किया जाता है, जिसे कारीगर हाथ से बनाते हैं। इस साड़ी की उम्र लगभग 100 साल तक या उससे ज्यादा भी होती है।
(Picture Courtesy: Instagram)
मराठावाड़ा केसर आम
इन आमों का रंग और स्वाद केसर जैसा होता है। इसलिए इसे केसर आम कहा जाता है। इस आम की उपज ज्यादातर नानदेड़ और औरंगाबाद क्षेत्र में होते हैं।
(Picture Courtesy: Instagram)
लसलगांव के प्याज
लसलगांव में एशिया का सबसे बड़ा प्याज का मार्केट है। यहां की मिट्टी में सल्फर की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके कारण यहां के प्याजों की गंध और स्वाद ज्यादा तीखा होता है। इनका रंग हल्का लाल होता है और ये तुलात्मक रूप से आकार में भी थोड़े बड़े होते हैं।
महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी
महाबलेश्वर महाराष्ट्र का एक हिल स्टेशन है, जो पश्चिमी घाट में स्थित है। यहां की स्ट्रॉबेरी काफी मशहूर हैं। इसका स्वाद काफी मीठा होता है और इनका रंग भी गहरा लाल होता है। ये इन्हें अन्य स्ट्रॉबेरी से अलग बनाता है।
(Picture Courtesy: Instagram)
वाघ्या घेवडा
ये राजमा का एक प्रकार है, जो हल्के भूरे या गुलाबी रंग का होता है और इस पर लाल रंग की धारियां होती हैं। ये देखने में बाघ की खाल जैसा लगता है। इसलिए इसे वाघ्या घेवडा कहा जाता है। ये महाराष्ट्र के सतारा जिले में उगाया जाता है।
सोलापुर टेरी टॉवल
सोलापुर को सिटी ऑफ टेक्सटाइल कहा जाता है। चादरों के साथ-साथ यहां के तौलिए भी काफी मशहूर हैं। जकार्द तकनीक से इन तौलियों पर डिजाइन बनाया जाता है, जो इनकी खास पहचान माने जाते हैं।
सोलापुर के अनार
सोलापुर के अनार काफी मीठे होते हैं और यहां के तापमान और नमी के कारण इनकी अमल्ता भी स्वाद में बढ़ोतरी होती है। ये अन्य अनारों की तुलना में ज्यादा भारी होते हैं और इनमें दानें भी खूब होते हैं।
(Picture Courtesy: Instagram)
मंगल्वेधा ज्वार
ये सोलापुर जिले के मंगल्वेधा तालुका में उगाए जाते हैं। इनका स्वाद हल्का मीठा होता है और ये काफी पौष्टिक भी होते हैं।
करवती टुस्सर सिल्क साड़ी
ये साड़ियां महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में हाथ से बुनाई करके बनाई जाती हैं। इस साड़ी के बॉर्डर पर बने खास डिजाइन से इसकी पहचान की जा सकती है। इस सिल्क से अब सिर्फ साड़ी ही नहीं, बल्कि ड्रेस, दुप्पटे आदि भी बनाए जाते हैं।
(Picture Courtesy: Instagram)इनके अलावा, अजरा घंसल चावल, पुणेरी पगड़ी, रत्नागिरी कोकम, भीलवाड़ा की मिर्च, कोल्हापुरी चप्पल, दहानु घोलवाड़ सपोटा, बीड कस्टर्ड सेब, जलना के मीठे संतरे, वायगांव की हल्दी, पुरंदर अंजीर, अंबेमोहर चावल, नवपुर तुर दाल, वेंगुरला के काजू और सांगली के प्याज को भी GI Tag मिला हुआ है।
यह भी पढ़ें: ऊटी की इन जगहों पर शूट हुई हैं बॉलीवुड की कुछ सुपरहिट फिल्में, एक बार आप भी जरूर करें दीदार