Mughal Jewels: बेहद खास रहे हैं मुगलों के जमाने के ये बेशकीमती आभूषण, कीमत जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
भारत को सोने की चिड़िया यूं ही नहीं कहा गया है। बता दें यहां 300 सालों तक मुगल सल्तनत का शासन रहा है। ऐसे में कई बादशाहों ने सत्ता संभाली। ये हीरे-जवाहरात के शौकीन थे और देश की अलग-अलग जगहों से इन्हीं का कलेक्शन इक्ट्ठा करके इन्होंने अपने साथ ले जाने की भी तमाम कोशिशें की। ऐसे में आइए जानते हैं मुगल काल के कुछ अनोखे रत्नों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Mughal Jewels: 16वीं से 19वीं शताब्दी तक भारत के ज्यादातर हिस्सों में मुगल राजवंश का शासन रहा है। इन 300 सालों में कई बादशाह हुए जिन्होंने शासन की बागडोर संभाली। इनके पास बेइंतहा दौलत ही नहीं, बल्कि इनके खजाने में बेशकीमती हीरे-जवाहरात भी शामिल थे। गौरतलब है कि मुगल अपने रॉयल और आर्टिस्टिक लाइफस्टाइल के कारण जाने जाते थे। इनके पास विभिन्न प्रकार के कीमती रत्नों का भंडार था, जैसे- हीरा, पन्ना, माणिक, नीलम और मोती आदि। आइए जानते हैं मुगल काल के कुछ अनोखे और बेशकीमती रत्नों के बारे में।
तैमूर रूबी (Timur Ruby)
बता दें, ब्रिटिशर्स केवल कोहिनूर हीरा ही नहीं बल्कि 'तिमूर रूबी' को भी भारत से चुरा ले गए। यह 353 कैरट का लाल रंग का एक खनिज पदार्थ है। चूंकि यह नादिर शाह से लेकर शाह शुजा और महाराजा शेर सिंह से लेकर दलीप सिंह तक कई हाथों से गुजरा, ऐसे में इसपर इसके मालिक रहे, मुगल सम्राटों जैसे- शाहजहां, औरंगजेब और फर्रुखसियर का नाम अंकित है। 1849 में एंग्लो-सिख युद्ध के बाद इसे अंग्रेजों ने ले लिया और अब यह यूनाइटेड किंगडम के क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।
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मयूर सिंहासन (Peacock Throne)
साल 1628 में जब शाहजहां गद्दी पर बैठा, तो उसने उस्ताद साद इ गिलानी को मयूर सिंहासन बनाने का आदेश दिया। बेशकीमती रत्नों और एक लाख तोला सोने से बना यह सिंहासन सात साल में बनकर तैयार हुआ था। 22 मार्च 1635 को पहली बार शाहजहां इस मयूर सिंहासन पर बैठा था। इसपर तीन प्रमुख कवियों कलीम, सैदा और कुदसि की कविताएं उकेरी गई थीं, और इसके ऊपर दो मोर भी बने थे, जिनकी पीठ पर रत्न जड़े थे। सिंहासन के ऊपर चतुर्भुज आकार की छतरी थी। इसके अलावा इस सिंहासन में 3 रत्न जड़ित पायदान थे, जिनमें चढ़कर शाहजहां सिंहासन पर बैठता था। ये मुगल शक्ति और गौरव का प्रतीक तो था ही, बल्कि इसे दुनिया के अजूबों में से एक माना जाता था। बता दें, मयूर सिंहासन को 1739 में नादिर शाह ने लूट लिया और आज इसके कुछ ही टुकड़े बचे हैं। आज शाहजहां के इस गायब हुए सिंहासन की कीमत मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक खरब 35 अरब 9 करोड़ 43 लाख 67 हजार 572 रुपये है।