Move to Jagran APP

Mughal Jewels: बेहद खास रहे हैं मुगलों के जमाने के ये बेशकीमती आभूषण, कीमत जानकर आप भी रह जाएंगे दंग

भारत को सोने की चिड़िया यूं ही नहीं कहा गया है। बता दें यहां 300 सालों तक मुगल सल्तनत का शासन रहा है। ऐसे में कई बादशाहों ने सत्ता संभाली। ये हीरे-जवाहरात के शौकीन थे और देश की अलग-अलग जगहों से इन्हीं का कलेक्शन इक्ट्ठा करके इन्होंने अपने साथ ले जाने की भी तमाम कोशिशें की। ऐसे में आइए जानते हैं मुगल काल के कुछ अनोखे रत्नों के बारे में।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 09 Mar 2024 08:22 PM (IST)
Hero Image
जानिए मुगल काल के कुछ अनोखे और बेशकीमती रत्नों के बारे में
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Mughal Jewels: 16वीं से 19वीं शताब्दी तक भारत के ज्यादातर हिस्सों में मुगल राजवंश का शासन रहा है। इन 300 सालों में कई बादशाह हुए जिन्होंने शासन की बागडोर संभाली। इनके पास बेइंतहा दौलत ही नहीं, बल्कि इनके खजाने में बेशकीमती हीरे-जवाहरात भी शामिल थे। गौरतलब है कि मुगल अपने रॉयल और आर्टिस्टिक लाइफस्टाइल के कारण जाने जाते थे। इनके पास विभिन्न प्रकार के कीमती रत्नों का भंडार था, जैसे- हीरा, पन्ना, माणिक, नीलम और मोती आदि। आइए जानते हैं मुगल काल के कुछ अनोखे और बेशकीमती रत्नों के बारे में।

तैमूर रूबी (Timur Ruby)

बता दें, ब्रिटिशर्स केवल कोहिनूर हीरा ही नहीं बल्कि 'तिमूर रूबी' को भी भारत से चुरा ले गए। यह 353 कैरट का लाल रंग का एक खनिज पदार्थ है। चूंकि यह नादिर शाह से लेकर शाह शुजा और महाराजा शेर सिंह से लेकर दलीप सिंह तक कई हाथों से गुजरा, ऐसे में इसपर इसके मालिक रहे, मुगल सम्राटों जैसे- शाहजहां, औरंगजेब और फर्रुखसियर का नाम अंकित है। 1849 में एंग्लो-सिख युद्ध के बाद इसे अंग्रेजों ने ले लिया और अब यह यूनाइटेड किंगडम के क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।

यह भी पढ़ें- Anant-Radhika Pre Wedding में नीता अंबानी ने पहनी मुगल काल के हीरे की अंगूठी, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

मयूर सिंहासन (Peacock Throne)

साल 1628 में जब शाहजहां गद्दी पर बैठा, तो उसने उस्ताद साद इ गिलानी को मयूर सिंहासन बनाने का आदेश दिया। बेशकीमती रत्नों और एक लाख तोला सोने से बना यह सिंहासन सात साल में बनकर तैयार हुआ था। 22 मार्च 1635 को पहली बार शाहजहां इस मयूर सिंहासन पर बैठा था। इसपर तीन प्रमुख कवियों कलीम, सैदा और कुदसि की कविताएं उकेरी गई थीं, और इसके ऊपर दो मोर भी बने थे, जिनकी पीठ पर रत्न जड़े थे। सिंहासन के ऊपर चतुर्भुज आकार की छतरी थी। इसके अलावा इस सिंहासन में 3 रत्न जड़ित पायदान थे, जिनमें चढ़कर शाहजहां सिंहासन पर बैठता था। ये मुगल शक्ति और गौरव का प्रतीक तो था ही, बल्कि इसे दुनिया के अजूबों में से एक माना जाता था। बता दें, मयूर सिंहासन को 1739 में नादिर शाह ने लूट लिया और आज इसके कुछ ही टुकड़े बचे हैं। आज शाहजहां के इस गायब हुए सिंहासन की कीमत मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक खरब 35 अरब 9 करोड़ 43 लाख 67 हजार 572 रुपये है।

कोहिनूर (Koh-i-Noor)

इस हीरे के सफर की शुरुआत काकतीय वंश के साथ हुई। इसके बाद ये तुगलक वंश से होते हुए मुगलों के पास पहुंचा। इतिहास को देखें, तो ये जिस किसी के पास भी पहुंचा, शुरुआत में तो उसका खूब वर्चस्व रहा, लेकिन बाद में उन्हें सबकुछ गंवाना पड़ा। इसका खनन तकरीबन 800 साल पहले आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिला स्थित गोलकुंडा की खदान से किया गया। पहले इसका वजन 186 कैरेट था, लेकिन इसे कई बार तराशा गया और आज इसका मूल रूप 105.6 कैरेट है। बता दें, यह मुगल सम्राटों बाबर, हुमायूं, शाहजहां और औरंगजेब सहित कई हाथों से होकर गुजरा, लेकिन कोहिनूर को भी एंग्लो-सिख युद्ध के बाद अंग्रेजों ने ले लिया था और अब यह ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।

दरिया-ए-नूर (Daria-i-Noor)

182 कैरेट का यह फीका गुलाबी रंग का हीरा दुनिया के सबसे बड़े तराशे गए हीरों में से एक है। फारसी में इसके नाम का अर्थ है "प्रकाश का समुद्र" या "प्रकाश का महासागर"। माना जाता है कि इसका खनन गोलकुंडा की खदानों से किया गया था और यह नूर-उल-ऐन हीरे के साथ ग्रेट टेबल हीरे का हिस्सा था। दरिया-ए-नूर पर मालिकाना हक, शाहजहां समेत कई मुगल सम्राटों के पास था, जिनका नाम भी इसपर उकेरा हुआ था। यह हीरा भी 1739 में नादिर शाह ने ले लिया था और अब यह ईरानी क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।

ग्रेट मुगल हीरा (Great Mogul Diamond)

ग्रेट मुगल हीरा भी भारत के सबसे बड़े और भारी वजन वाले रत्नों में से है। इसे 1650 में जब गोलकुंडा की खान से निकाला गया था, तो इसका वजन 787 कैरेट था, यानी कोहिनूर से करीब छह गुना भारी। 1665 में फ्रांस के जवाहरातों के व्यापारी ने इसे अपने समय का सबसे बड़ा रोजकट हीरा बताया था। बता दें, इस हीरे को 1739 में नादिर शाह ने लूट लिया और तभी से यह गायब है। हालांकि, कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि इस हीरे को बाद में ओर्लोव हीरे में तराशा गया, जो अब रूसी शाही राजदंड का हिस्सा है।

यह भी पढ़ें- अब तक ये भारतीय हसिनाएं कर चुकी हैं मिस वर्ल्ड का खिताब अपने नाम, देखें पूरी लिस्ट

Picture Courtesy: X