बेरोजगारी, गरीबी और अशिक्षा जैसे मुद्दों को जन्म दे रही लगातार बढ़ती आबादी
11 जुलाई का दिन पूरी दुनिया के लिए बहुत ही खास है क्योंकि आज विश्व जनसंख्या दिवस है। इसे मनाने का मकसद लगातार बढ़ती आबादी की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है कि कैसे ये एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। समय रहते इसे कंट्रोल करने पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर स्थिति और खराब हो सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल की तरह एक बार फिर 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है। लगातार बढ़ती जनसंख्या इस समय पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। जिसके चलते गरीबी, भूखमरी, बेरोजमारी, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से जूझना पड़ रहा है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत दुनिया का सांतवा बड़े देश है, लेकिन जनसंख्या की दृष्टि से सबसे पहला। पृथ्वी पर अभी जितने ंइंसान हैं, उतने पहले कभी नहीं थे। 1950 में दुनिया की आबादी 2.5 अरब थी। महज चार दशकों में यह आंकड़ा दोगुने से भी ज्यादा हो गया और आसार है साल 2080 तक यह 10 अरब तक पहुंच सकता है।
एक ओर जहां चीन में आबादी तेजी से कम हो रही है वहीं भारत में ये तेजी से बढ़ रही है। भारत की जनसंख्या जापान के मुकाबले बारह गुना ज्यादा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। इसके चलते बेरोजगारी और अशिक्षा की समस्या बढ़ी है।
बढ़ती आबादी से होने वाले नुकसान
खाद्य आपूर्ति की समस्या
बढ़ती जनसंख्या के सबसे बड़े दुष्परिणामों का सबसे पहला उदाहरण है खाद्य आपूर्ति की समस्या। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में अनाज का उत्पादन कम हो रहा है, जिससे लोगों को भरपूर मात्रा में चीजें नहीं मिल पा रही है। जिससे बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। खराब सेहत से उनके शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है।
सुविधाओं की कमी
लगातार बढ़ती जनसंख्या से लोगों को मूलभूत सुविधाएं, जैसे- साफ पानी, रहने के लिए पक्के मकान, भोजन आदि नहीं मिल पा रही हैं।ये भी पढे़ंः- इस थीम के साथ मनाया जा रहा है इस साल World Population Day, कुछ ऐसे हुई थी इसकी शुरुआत