Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

भीतर दबे गुबार को बाहर निकालने के लिए रेज रूप है अच्छा ऑप्शन, जानें कैसे कर सकता है मदद

घर दफ्तर ट्रैफिक हो या जीवन की आपाधापी में कभी न कभी वो पल आ ही जाता है जब अंदर भरे गुस्से और उबाल को आप कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। दबा हुआ गुस्सा आपको इमोशनली नुकसान पहुंचा सकता है। इस गुस्से को बाहर निकालने में रेज रूम काफी कारगर हो सकता है। इस बारे में सीमा झा ने एक खास पड़ताल की है। आइए जानें।

By Jagran News Edited By: Swati Sharma Updated: Sat, 07 Sep 2024 04:28 PM (IST)
Hero Image
गुस्से को बाहर निकालना जरूरी है, ताकि मेंटल हेल्थ बेहतर रहे। (Picture Courtesy: Freepik)

नई दिल्ली, सीमा झा। ‘काफी गर्मी है तुम लोगों में, मैं भी थोड़ा गर्म हो लेता हूं...।’ यह बोलकर युध्रा सामने रखी इस्त्री में जलते कोयले पर हाथ रखता है और उसकी राख को अपने चेहरे पर मलते हुए वहां मौजूद लोगों को ताबड़तोड़ मारना शुरू कर देता है...। यह दृश्य है इस महीने प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘युध्रा’ का। फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि नायक अपना गुस्सा काबू में नहीं रख पाता। इसी गुस्से ने ही उसके पिता की जान ली है, क्योंकि वह भी इसी तरह आपे से बाहर हो जाया करते थे। वास्तव में एक अशांत, कुंठित मन का विद्रूप चेहरा सिनेमा के माध्यम से जैसा प्रदर्शित किया जाता है, वह उससे कहीं अधिक क्रूर व विध्वंसक हो सकता है। इसी विध्वंसक ऊर्जा के प्रति सतर्क कर रहा है रेज रूम। देश के कई शहरों में इसका चलन बढ़ रहा है। रेज रूम यानी स्मैश रूम या क्रोध कक्ष दबी हुई कुंठा, गुस्से या गुबार को तत्काल बाहर निकालने का साधन दे रहा है।

दर्द से मुक्ति

कुछ 100 या 1000 वर्गफीट वाले कमरे में बना रेज रूम वह जगह है जहां पुराने कीबोर्ड, टीवी, कांच के गिलास, कुछ फर्नीचर मौजूद हैं। एक तरफ विशेष चित्रों से सजे पंचिंग बैग हैं। यहां हथौड़े, डंडे के साथ आत्मरक्षा के लिए पहने जाने वाले उपकरण जैसे सेफ्टी सूट, सेफ्टी बूट, चेहरा बचाने के लिए शील्ड, चश्मे आदि भी हैं। सुरक्षा उपकरणों से लैस होने के बाद लोग हथियार की मदद से पुरानी चीजों को तोड़ते हैं। उन टूटने की आवाजों में कुंठा, दबे हुए गुस्से से मुक्ति का रास्ता खोजते हैं। क्या फायदा है इसका?

भारत के अलग-अलग शहरों में रेज रूम चेन बनाने का सपना लेकर निकलीं बेंगलुरू की अनन्या शेट्टी आइआइटी मद्रास से भौतिक शास्त्र में मास्टर हैं। वे इसे खुलकर समझाती हैं और बताती हैं, ‘रेज रूम में कोई आपको जज नहीं करता, गुस्सा पीने या संयमित रहने की सलाह नहीं दी जाती।

बस आपके भीतर छुपे हुए दर्द से मुक्त करने का साधन दिया जाता है। यह इसकी लोकप्रियता का बड़ा कारण है।’ इंदौर स्थित कैफे भड़ास नामक रेज रूम के संस्थापक अतुल मलिकराम कहते हैं, ‘गुस्सा, कुंठा, तनाव भीतर किसी कोने में दबाने से अच्छा है उसे तुरंत बाहर निकाल देना। अन्यथा जीवन में बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा।’

यह भी पढ़ें: हाथ-पैर कांपना, धड़कनें तेज होना हो सकते हैं एंग्जायटी के लक्षण, मैनेज करने के लिए अपनाएं असरदार तरीके

कर लो दिल खाली

रेज रूम का चलन मुंबई, बेंगलुरू, सूरत, कोच्चि, हैदराबाद व चेन्नई जैसे शहरों में काफी मशहूर हो रहा है। अनन्या के अनुसार, रेज रूम मनोविज्ञान के केथारसिस थ्योरी यानी रेचन सिद्धांत पर आधारित है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार रेचन का अर्थ बताते हुए कहते हैं, ‘रेचन यानी भीतर जो कुछ जमा हुआ है वह बाहर निकालें। दुख है तो रो दें, गुस्सा है तो निकाल दें। लेकिन बार-बार रेज रूम आते रहें तो समस्या आपके गुस्से में नहीं, आपके भीतर मौजूद है।’ इस पर अतुल मालिकराम बताते हैं कि वे ऐसे लोगों पर नजर रखते हैं। उनकी काउंसलिंग कराते हैं। बता दें कि तोड़-फोड़कर गुस्सा निकालना रेज रूम का एक हिस्सा है।

वहां फन रूम, म्यूजिक रूम, फूड कार्नर, कैफे व काउंसलर का भी प्रबंध है। हर वर्ग में लोकप्रिय रेजरूम की अवधारणा युवाओं को खासी पसंद आ रही है। इसका कारण सुविधासंपन्न युवाओं में बढ़ती अधीरता है। अतुल एक वाकया बताते हैं कि उनके यहां एक लड़की आई। रेज रूम में उपलब्ध एक कमरा जो चारों तरफ से बंद होता है, उसने उस कमरे को अंदर से बंद कर लिया। उसे किसी तरह से बाहर निकाला। पता चला कि ब्रेकअप से परेशान वह लड़की आत्महत्या करने वाली थी।

रेज रूम पसंद करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है। अनन्या के अनुसार, महिलाओं को भावनात्मक रूप से समझदार बनने की सलाह दी जाती है। अधिक गुस्सा ठीक नहीं, आक्रोश व्यक्त करना सही नहीं, इससे वे दबाव में रहती हैं। अचानक भीतर भरा हुआ गुस्सा फूट पड़ता है। ऐसे में रेज रूम उन्हें राहत देने का काम कर रहा है।

रेज रूम में होने वाली गतिविधियां-

  • बोतल, कप, टीवी, कांच का गिलास, कटोरी आदि तोड़ना।
  • ब्रेकअप के बाद उभरी भावनाओं से राहत पाने के लिए ब्रेकअप थेरेपी।
  • वर्कप्लेस के कारण हुए तनाव की थेरेपी।

500 से 2500 रुपये प्रति व्यक्ति है रेज रूम में आने की कीमत। यह 15 से 30 मिनट का सेशन हो सकता है। यहां आने के लिए कम से कम उम्र 18 साल है।

यह भी पढ़ें: Chronic Stress चूस ले रहा है आपकी सारी एनर्जी, तो मैनेज करने के लिए अपनाएं कुछ असरदार तरीके