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कपड़े को बिना छुए की जाती है चित्रकारी, जानें 400 साल पुरानी Rogan Painting की और क्या है खासियत

किसी भी देश की सभ्यता और इतिहास के बारे में जानने के लिए वहां कि पेंटिंग्स और कलाकृतियों को जानना चाहिए। भारत में गुजरात के कच्छ जिले से शुरू रोगन पेंटिंग (Rogan Painting) भी अपने भीतर इतिहास के कई पन्ने सहेजे बैठी है। फारस में शुरू हुई इस पेंटिंग ने भारत आकर यहां की सांस्कृतिक विरासत में अपनी खास जगह बना ली है।

By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Mon, 16 Sep 2024 07:58 AM (IST)
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कला का अनूठा नमूना है रोगन चित्रकारी (Picture Courtesy: gujarattourism.com)

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Rogan Painting: कच्छ के रेगिस्तान से उठते धूल के कणों में, एक अनोखी कला का जन्म हुआ। यह कला है रोगन पेंटिंग, जहां रंगों का जादू तेल की बूंदों से मिलकर एक अद्भुत चित्रकारी का निर्माण करता है। अगर आप आर्ट और एस्थेटिक्स में रूचि रखते हैं, तो रोगन पेंटिंग (Rogan Painting) के नाम से मशहूर इस कला के बारे में आप जितना जानेंगे, आपकी उत्सुकता उतनी ही बढ़ती जाएगी। इस आर्टिकल में इस पेंटिंग से जुड़ी कुछ जरूरी, लेकिन रोचक बातों के बारे में जानेंगे। आइए जानें।

रोगन पेंटिंग- एक इतिहास की झलक

कहा जाता है कि रोगन पेंटिंग की शुरुआत फारस से हुई थी, जिसे अब ईरान कहा जाता है। 400 साल पहले यह कला गुजरात के निरोना गांव पहुंची और यहां के खत्री समुदाय ने इसे अपनाया। मुगल काल में भी इस कला का खूब बोलबाला था। रोगन का फारसी में अर्थ होता है वार्निश या तेल।

Rogan Painting

(Picture Courtesy: gujarattourism.com)

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रंगों का जादू

रोगन पेंटिंग में रंगों को अरंडी के तेल के साथ तैयार किया जाता है। अरंडी के बीजों को हाथ से मसला जाता है और फिर एक पेस्ट में उबाला जाता है। इस पेस्ट को रंगीन पाउडर के साथ मिलाकर पानी में घोला जाता है। पीले, लाल, नीले, हरे, काले और नारंगी जैसे विभिन्न रंगों के पेस्ट को मिट्टी के बर्तन में रखकर सूखने से बचाया जाता है। लोहे की छड़ का उपयोग करके इन रंगों को कपड़े पर उकेरा जाता है।

कपड़े पर रंगों का खेल

रोगन पेंटिंग में कपड़े पर डिजाइन बनाने के लिए धातु के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है। पहले कलाकार कपड़े पर डिजाइन बनाते थे और फिर उसी डिजाइन को धातु के ब्लॉक पर उकेर देते थे। इस ब्लॉक को रंग में डुबोकर कपड़े पर दबाया जाता था। आजकल इस तकनीक का उपयोग कुशन कवर, बेड स्प्रेड, स्कर्ट, कुर्ते, पर्दे, मेजपोश आदि को डिजाइन करने के लिए किया जाता है।

एक कला जिसकी रक्षा जरूरी है

समय के साथ रोगन पेंटिंग के कलाकार कम होते जा रहे हैं। लेकिन कुछ कलाकार आज भी इस कला को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रोगन पेंटिंग भारत की एक अनमोल विरासत है और इसे संरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।

रोगन पेंटिंग- एक कला जो दिलों को छू लेती है

रोगन पेंटिंग सिर्फ एक कला नहीं है, बल्कि यह एक भावना है। यह कला कच्छ के रेगिस्तान की तरह ही उबड़-खाबड़ और रंगीन है। यह कला हमें बताती है कि कैसे साधारण चीजों से अद्भुत चीजें बनाई जा सकती हैं।

कुछ जरूरी तथ्य

  • रोगन पेंटिंग को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
  • रोगन पेंटिंग के उत्पादों की मांग विदेशों में भी काफी है।
  • भारत सरकार ने रोगन पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

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