Solar Eclipse 2024: इंसान ही नहीं, पशु-पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों और पेड़-पौधों पर भी पड़ता है सूर्य ग्रहण का असर
साल का पहला सूर्य ग्रहण चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2024) से पहले 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। इस दौरान चांद सूरज के आगे आकर उसे पूरी तरह ढक लेगा ऐसे में यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण है। आपने इंसानों पर पड़ने वाले इसके कई प्रभावों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको बताएंगे पशु-पक्षियों और कीड़े-मकोड़ों पर पड़ने वाला इसका हैरतअंगेज असर। आइए जानें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Solar Eclipse 2024: 8 अप्रैल को चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2024) से पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह उत्तरी अमेरिका के बहुत बड़े इलाके में नजर आएगा, लेकिन भारत में इसे नहीं देखा जा सकेगा। यह सूर्य ग्रहण पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, मध्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग और आयरलैंड में दिखाई देगा।
चूंकि, चांद पूरी तरह से सूरज को ढक लेगा, ऐसे में इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाएगा। इंसानों पर तो सूर्य ग्रहण प्रभाव के बारे में आपने कई बार पढ़ा-सुना होगा, लेकिन आज इस आर्टिकल में हम आपको पक्षियों, जानवरों और कीड़े-मकोड़ों पर पड़ने वाले इसके कुछ ऐसे प्रभावों के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानने के बाद आप भी सोच में पड़ जाएंगे। आइए जान लीजिए इसके बारे में।
वैज्ञानिकों को है इंतजार
इस पूर्ण सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिकों को भी काफी इंतजार है। वजह है, पक्षियों, जानवरों, कीड़े-मकोड़ों और पेड़ पौधों पर पड़ने वाला इसका असर। जी हां, चूंकि इस घटना के दौरान अंधेरा छा जाता है और तापमान में भी गिरावट देखने को मिलती है। ऐसे में सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि जानवरों और जीव-जंतुओं के लिए भी यह एक अजब दृश्य होता है। दरअसल, वैज्ञानिक पहले भी इससे जुड़ी स्टडी कर चुके हैं, जिनमें पशु-पक्षियों और कीड़े-मकोड़ों का अजीब तरह का व्यवहार सामने आ चुका है। आइए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें।
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पक्षी करते हैं अजीब तरह का व्यवहार
बता दें, कि साल 2017 में हुए अमेरिकी एक्लिप्स के दौरान वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी, जिसमें पूर्ण सूर्यग्रहण के वक्त पक्षी सबसे ज्यादा कन्फ्यूज नजर आए। दिन की रोशनी में बदलाव के चलते उन्हें वह शाम या रात जैसा लगा, और वह बीच में ही सब कुछ छोड़कर आराम करने चल दिए, लेकिन जैसे ही अंधेरा छंटा उन्हें यह समझने में काफी मुश्किल हुई कि आखिर यह हो क्या रहा है। यह रिसर्च कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई थी।