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कैंसर से हारकर भी टेक्नोलॉजी की दुनिया में अमर हो गए Steve Jobs, पढ़िए उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनकहे किस्से

एक समय था जब Apple एक छोटी-सी कंपनी थी लेकिन देखते ही देखते इसने दुनियाभर में करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बना ली। इस सफलता का श्रेय इसके संस्थापक Steve Jobs को जाता है जिन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते हुए टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई ऊंचाइयां छुईं। आइए आज स्टीव की 13वीं पुण्यतिथि (Steve Jobs 13th Death Aniversary) पर जानें उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनकहे किस्से।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 05 Oct 2024 01:18 PM (IST)
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Steve Jobs की 13वीं पुण्यतिथि आज, पढ़िए उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अनकहे किस्से (Image Source: X)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। 5 अक्टूबर, 2011 को स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) का कैंसर के कारण निधन हो गया था। बता दें, जॉब्स की दूरदर्शिता और इनोवेशन ने ही Apple को दुनिया की सबसे बेहतरीन कंपनियों में से एक बनाने का काम किया है। एक साधारण परिवार में पैदा हुए स्टीव की तकनीक में गहरी रुचि थी। किशोरावस्था से ही उन्होंने कंप्यूटरों के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया था। आज, उनकी पुण्यतिथि (Steve Jobs 13th Death Aniversary) पर, आइए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्सों को याद करते हैं, जिन्हें लेखक वॉल्टर आइजैक्सन ने उनकी आधिकारिक बायोग्रॉफी 'स्टीव जॉब्स' किताब में लिखा है।

भारत ने कैसे बदला टेक्नोलॉजी का जादूगर?

कल्पना कीजिए, दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक, स्टीव जॉब्स, भारत में एक छोटे से गांव में, मुंडन करके, खादी के वस्त्र पहने, अपने माता-पिता से छिपकर रह रहे थे। यह सच है। जॉब्स नीम करोली बाबा से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने भारत में सात महीने बिताए। जब वे वापस लौटे तो इतने बदल चुके थे कि उनके माता-पिता भी उन्हें पहचान नहीं पाए। यह कहानी जॉब्स की आधिकारिक जीवनी में दर्ज है, इसमें जॉब्स कहते हैं, "मेरा सिर मुंडा हुआ था। मैंने खादी के भारतीय वस्त्र पहन रखे थे और मेरी त्वचा गहरी चॉकलेटी भूरे लाल रंग में बदल चुकी थी। मैं वहां वैसे ही बैठा रहा। मेरे माता-पिता मुझे तलाशते हुए मेरे सामने से ही पांच बार गुजरे। और अंततः मेरी मां ने मुझे पहचानते हुए स्टीव कहा और मैंने हां में जवाब दिया।

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स्टीव जॉब्स की यूनिफॉर्म

जब सोनी ने अपने कर्मचारियों को एक यूनिफॉर्म दिया, तो स्टीव जॉब्स भी एपल के लिए ऐसा ही कुछ चाहते थे। इसके लिए स्टीव ने इस्सी मियाके से संपर्क किया, लेकिन एपल के इंजीनियरों ने इस विचार को पसंद नहीं किया। जॉब्स ने इस समस्या का एक सरल समाधान निकाला, उन्होंने मियाके से कई काली टर्टलनेक टी-शर्ट बनवाईं और हर दिन इन्हें ही पहनने लगे। इस तरह उन्होंने न केवल अपनी पसंद के कपड़े पहनने की परेशानी से छुटकारा पा लिया, बल्कि एक खास पहचान भी बना ली।

जॉब्स का अजीबोगरीब जुनून

स्टीव जॉब्स हमेशा काम को लेकर अनुशासित रहते थे। वे हमेशा साफ-सुथरा और सुंदर काम को पसंद करते थे। अप्रैल 1977 में सैन फ्रांसिस्को में एपल का पहला वेस्ट कोस्ट कंप्यूटर फेयर आयोजित किया जाना था, वहीं इसी दौरान एपल - 2 की लॉन्चिंग भी निर्धारित थी। जॉब्स उस समय काफी गुस्सा हो गए, जब कंप्यूटर के डिब्बों पर उन्हें हल्के-से दाग नजर आए। उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को सबसे पहले उनकी पॉलिश करने के काम में लगा दिया। वही एपल-2 के डिजाइन को लेकर उन्होंने पैंटोन कंपनी की सेवाएं ली थी, जिसके बार बेज कलर के दो हजार से ज्यादा शेड्स थे। लेकिन स्टीव को उनमें से कुछ भी पसंद नहीं आया। वे इससे भी कुछ अलग शेड बनवाना चाहते थे।

टेक्नोलॉजी के दो दिग्गजों की तनातनी

टेक जगत के दो सबसे बड़े नाम, स्टीव जॉब्स और बिल गेट्स, हमेशा से प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। दोनों ही टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक-दूसरे को मात देने की होड़ में लगे रहते थे। यह प्रतिद्वंद्विता उनके व्यक्तिगत रिश्ते में भी साफ तौर पर झलकती थी।

एक बार 1987 की गर्मियों में, बिल गेट्स ने स्टीव जॉब्स से मिलने के लिए नेक्स्ट कंपनी के मुख्यालय, पेलो अल्टो गए थे। जॉब्स उस वक्त नेक्स्ट पर काम कर रहे थे। यह मुलाकात दोनों के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते को और गहरा करने वाली थी।

जैसे ही गेट्स मुख्यालय पहुंचे, उन्हें लॉबी में इंतजार करने के लिए कहा गया। जॉब्स उन्हें आधे घंटे तक इंतजार करवाते रहे। गेट्स शीशे की दीवारों के उस पार से जॉब्स को देख सकते थे कि वह कैसे जानबूझकर व्यस्त दिखने की कोशिश कर रहे हैं, इधर-उधर घूम रहे हैं और लोगों से बातचीत कर रहे हैं। यह स्पष्ट था कि जॉब्स गेट्स को जानबूझकर इंतजार करवा रहे थे।

यह घटना दोनों के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते की एक झलक थी। जॉब्स हमेशा से अपने काम और प्रोडक्ट्स को लेकर बेहद भावुक रहते थे और वह चाहते थे कि हर चीज परफेक्ट हो। जबकि गेट्स अधिक व्यावहारिक और व्यवसायिक दृष्टिकोण रखते थे। दोनों के अलग-अलग व्यक्तित्व और काम करने के तरीके ने उनके बीच हमेशा तनाव बनाए रखा।

हालांकि, बावजूद इसके कि जॉब्स ने गेट्स के साथ इस तरह का व्यवहार किया, गेट्स ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि वह जॉब्स से काफी प्रभावित थे। उन्होंने जॉब्स की दूरदर्शिता और प्रोडक्ट्स के प्रति समर्पण की प्रशंसा की थी।

यह घटना हमें दिखाती है कि कैसे प्रतिद्वंद्विता और सम्मान एक साथ मौजूद हो सकते हैं। जॉब्स और गेट्स दोनों ही टेक्नोलॉजी की दुनिया के दिग्गज थे और उन्होंने एक-दूसरे को प्रेरित किया।

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