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Super Moon 2023: स्टर्जन से लेकर ब्लू मून तक, जानें 'सुपरमून' के अलग-अलग नाम क्यों रखे जाते हैं?

Super Moon 2023 भारत का चंद्रयान चांद पर लैंडिग करने जा रहा है। इसी मौके पर हम आपको सुपर मून और इनको अनोखे नामों के बारे में बताने जा रहे हैं। इस साल कुल 4 सुपर मून देखने को मिलेंगे जिसमें से दो दिख चुके हैं और दो दिखना बाकी हैं। पहला सुपर मून जून में दिखा दूसरा 1st अगस्त तीसरा 30 अगस्त और चौथा सितंबर में।

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Wed, 23 Aug 2023 04:48 PM (IST)
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Super Moon 2023: स्ट्रॉबेरी, स्टर्जन, ब्लू मून और हार्वेस्ट मून में क्या अंतर है?
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Super Moon 2023: इस वक्त पूरे देश की नजरें चांद की तरफ ही हैं। वजह है इसरो का चंद्रयान जो बुधवार यानी 23 अगस्त के दिन चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। इस समय न सिर्फ हिन्दुस्तानियों बल्कि पूरी दुनिया की नजरें चंद्रयान की लैंडिंग पर बनी हुई हैं। जब बात चांद की हो रही है, तो आज हम आपको सुपर मून से जुड़े कुछ रोचर तथ्य बताने जा रहे हैं। इस साल दुनियाभर में कुल 4 सुपरमून दिखने वाले थे, जिसमें से दो दिख चुके हैं और दो बाकी हैं।

अगस्त के महीने में दो सुपरमून दिखाई देने वाले हैं। पहला सुपरमून महीने की पहली तारीख को दिखा और अब दूसरा 30 अगस्त की रात को दिखने वाला है। तो आइए जानते हैं क्या है इसकी खासियत।

क्या है सुपर मून?

चांद से जुड़ी एक बेहद दुर्लभ घटना में से एक सुपर मून भी है। सुपरमून को साल में सिर्फ दो से तीन बार देखा जा सकता है। जिस दिन सुपर मून होता है, उस दिन चांद का आकार काफी ज्यादा बड़ा दिखता है। सुपरमून तब होता है जब अंतरिक्ष में होने वाली विशेष घटनाओं के कारण चंद्रमा सामान्य से अधिक बड़ा और चमकीला दिखता है। ऐसा तब होता है जब चांद, सूरज और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूरज की तेज रोशनी चंद्रमा पर पड़ती है। इस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। इसी वजह से सुपरमून के दिन चांद पहले से कहीं बड़ा और चमकदार दिखता है।  

सुपर मून और ब्लू मून में क्या फर्क है?

इस बार अगस्त में दो बार सुपरमून देखें जा सकते हैं। पहला एक अगस्त को दिखेगा, तो दूसरा 30 अगस्त को देखा जा सकता है। 30 तारीख को दिखने वाला चांद आकार में आम दिनों से कहीं ज्यादा बड़ा दिखेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन चांद पृत्थवी से ज्यादा करीब हो जाएगा, जिसे ब्लू मून कहा जा रहा है। 

ब्लू मून दिखने में नीले रंग का नहीं होता। यह भी चमकदार सफेद ही दिखता है। असल में, जब एक ही महीने में दो सुपरमून दिखाई देते हैं, तो दूसरे सुपरमून को ब्लू मून कहा जाता है। इसलिए अगस्त में दिखने वाले पहले चांद को स्टर्जन मून कहा जा रहा है और दूसरे को ब्लू मून।

अब क्या होता है स्टर्जन मून?

ओल्ड फॉर्मर्स एल्मैनक की मानें तो अगस्त के महीने में अगर फुल मून पड़ता है, तो उसे पारंपरिक तौर पर स्टर्जन मून कहा जाएगा। इसके पीछे वजह है स्टर्जन नाम की मछली। दरअसल, कई सालों पहले अगस्त यानी गर्मी के मौसम में में ग्रेट लेक्स और लेक चैम्पलेन में स्टर्जन नाम की मछली की तादाद काफी ज्यादा हुआ करती थी।

इन मच्छलियों का साइज काफी बड़ा होता है। इसलिए इस महीने पड़ने वाले फुल मून को स्टर्जन मून का नाम दिया गया। हालांकि, अब इनकी संख्या पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है।

फुल मून के हैं और भी कई नाम

जैसा कि आप जानते हैं कि इस साल कुल 4 सुपर मून देखने को मिलने वाले हैं। जिनमें से सबसे पहला जून के महीने में देखा गया था। इसे स्ट्रॉबेरी मून का नाम दिया गया, क्योंकि जून में स्ट्रॉबेरीज़ की खेती होती है और सुपर मून भी इस दौरान देखा गया।

दूसरा और तीसरा सुपर मून अगस्त में देखने को मिलेगा, जिसे स्टर्जन मून और ब्लू मून का नाम दिया गया है। वहीं, साल का आखिरी सुपर मून सितंबर में देखने का मिलेगा, जिसका नाम हार्वेस्ट मून दिया गया है। 

हार्वेस्ट मून नाम क्यों पड़ा?

आमतौर पर सूरज डूबते ही चांद निकल आता है, लेकिन चारों तरफ अंधेरा ही रहता है। हालांकि, सितंबर में आने वाले सुपरमून की वजह से देर रात तक रौशनी रहती है, जिससे किसानों को फसल काटने का ज्यादा समय मिल जाता है। यही वजह है कि सितंबर में आने वाले सुपर मून को हार्वेस्ट मून कहा जाता है।

फुल मून यानी पूर्णिमा के नाम मूल अमेरिकी लोककथाओं से मिलते हैं। उस समय की जनजातियां मौसम के अलग-अलग नाम रखती थीं, ताकि उसे आसानी से पहचाना जा सके। सितंबर में होने वाले सुपर मून का नाम हार्वेस्ट मून इसलिए पड़ा, क्योंकि किसान फसल काटने के लिए फुल मून पर निर्भर हुआ करते थे।