क्या है Digital Arrest जिसे लेकर पीएम मोदी ने जताई चिंता, बताया कैसे करें इससे अपना बचाव
हाल ही में पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 115वां एपिसोड प्रसारित हुआ। इस दौरान उन्होंने कई विषयों पर बातचीत की। साथ ही उन्होंने इस दौरान Digital Arrest का भी जिक्र किया और इसे चिंता का विषय बताते हुए इससे बचने का उपाय भी बताया है। आइए जानते हैं क्या है Digital Arrest और कैसे करें इससे बचाव।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम मन की बात का रविवार को 115वां एपिसोड प्रसारित हुआ। इस दौरान पीएम मोदी से कई सारे विषयों पर चर्चा की। इन्हीं में से एक विषय Digital Arrest था, जो पिछले कई समय से पूरे देश में चिंता विषय बना हुआ है। बीते कई दिनों यह शब्द कई बार सुनने और पढ़ने में आ रहा है। वहीं, आज पीएम मोदी ने इसका जिक्र कर एक बार फिर इस शब्द को चर्चा में ला दिया है।
इस दौरान पीएम मोदी ने यही भी बताया कि डिजिटल अरेस्ट कैसे अपना बचाव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए रूको, सोचो और फिर एक्शन लो। बीते कई समय से डिजिटल अरेस्ट चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे क्या होता है Digital Arrest और क्यों पीएम मोदी ने इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।यह भी पढ़ें- आखिर क्यों शादी के बाद महिलाओं की रोजगार दर में आ रही है गिरावट, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से समझें वजह
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट- असल में साइबर फ्रॉड का एक नया तरीका है, जिसमें ठग पुलिस, CBI, ED, कस्टम, इनकम टैक्स या नारकॉटिक्स अधिकारी बनकर पीड़ित व्यक्ति को कॉल करते हैं और फिर उन पर या उनके करीबियों पर कुछ अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं। इसके बाद स्कैमर इस मामले को निपटाने के लिए तुरंत वीडियो कॉल की मांग करता है और उन्हें कॉल या वीडियो कॉल पर अरेस्ट करने के लिए डराते हैं।
इसके बाद वीडियो कॉल पर पीड़ित को जाली आईडी या अदालती दस्तावेज दिखाकर डराया जाता है और उन पर "गिरफ्तारी" से बचने के लिए 'जुर्माना' देने का दबाव डाल जाता है।
कितना सही है डिजिटल अरेस्ट?
अगर आप डिजिटल अरेस्ट के बारे में समझ गए हैं, तो अब आपको बता दें कि असल में डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं होती। हकीकत में ये धमकियां पूरी तरह से फर्जी होती हैं। इसका मकसद सिर्फ पीड़ित व्यक्ति से जल्द से जल्द पैसा ठगना होता है और इसलिए पुलिस आदि होने का दावा कर स्कैमर्स लोगों से पैसे ठगने के लिए उन्हें इस तरह से पैनिक करते हैं।
गृह मंत्रालय भी कर चुका है सतर्क
देश में बढ़ रहे साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट के मामले को देखते हुए गृह मंत्रालय लगातार लोगों को सतर्क और सावधान रहने की सलाह दे रहा है। इस क्रम में गृह मंत्रालय की साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस ब्रांच साइबर दोस्त लगातार अपने पोस्ट के जरिए लोगों को डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ जागरूक कर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर साइबर दोस्त ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट सिर्फ एक स्कैम है और कोई भी लीगल अधिकारी कभी भी कॉल या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करते हैं।डिजिटल अरेस्ट सिर्फ एक स्कैम है। कोई भी वैद्य अधिकारी आपको कभी कॉल या वीडियो कॉल पर अरेस्ट नही करते हैं। साइबर अपराधों से अलर्ट रहने के लिए @CyberDost को फॉलो करें। अगर आप धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत 1930 पर रिपोर्ट करें।#I4C #AapkaCyberDost pic.twitter.com/C04YFNPhRF
— Cyber Dost (@Cyberdost) October 26, 2024
ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट से बचाव
- स्कैमर्स पीड़ितों को डराने-धमकाने के लिए ऐसे हालात बनाते हैं, जिस पर लोग आसानी से भरोसा कर लेते हैं। ऐसे में तुरंत कोई प्रतिक्रिया देने से पहले शांति से सोचने के लिए कुछ समय निकालें।
- अगर कोई कानून प्रवर्तन एजेंसी से होने का दावा करता है, तो उनके वीडियो कॉल न करें और न ही किसी तरह का कोई मनी अमाउंट उन्हें ट्रांसफर करें। उनकी अच्छे से जांच-पड़ताल करें और ऑफिशियल सोर्स की भी अच्छे से जांच करें।
- फोन या वीडियो कॉल पर अपनी कोई संवेदनशील व्यक्तिगत या फाइनेंशियल स्टेटस से जुड़ी जानकारी बिल्कुल भी शेयर न करें। खासकर किसी भी अनजान नंबर से साथ ऐसे करने से बचें।
- सही और लीगल सरकारी एजेंसियां किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत या गिरफ्तारी के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करेंगी। इसलिए ऐसे कॉल आने पर बचकर रहें।
- अगर आपको कोई संदिग्ध कॉल आती है, तो तुरंत अपनी लोकल पुलिस या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) को इसकी रिपोर्ट करें।