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El Nino Effect: धरती के स्वर्ग कश्मीर से गायब हुई बर्फ,जानें किन वजहों से गुलमर्ग में इस साल नहीं हुई बर्फबारी

El Nino Effect धरता की स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में लोग अक्सर सर्दियों का समय बिताने आते हैं। इस दौरान लोग अक्सर स्नोफॉल का मजा उठाते हैं। हालांकि इस साल सभी हैरान रह गए जब जनवरी शुरू होने के बाद भी देश के लोकप्रिय स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग में बर्फबारी देखने को नहीं मिली। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यह अल नीनो इफेक्ट की वजह से हुआ।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Wed, 17 Jan 2024 05:07 PM (IST)
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जानें क्यों गुलमर्ग में नहीं हुई इस साल बर्फबारी

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। El Nino Effect: सर्दियों का मौसम जहां कई लोगों के लिए काफी परेशानियों भरा होता है, तो वहीं कई लोग बेसब्री से इस मौसम का इंतजार करते हैं। सर्दियों में कई लोग बर्फ के साथ खेलने को बेताब रहते हैं। यही वजह है कि विंटर सीजन आते ही लोग कश्मीर, शिमला या मनाली जैसी जगहों पर स्नोफॉल एंजॉय करने जाते हैं। हालांकि, इस साल की सर्दी बर्फ प्रेमियों के लिए निराशाजनक रही। दरअसल, इस सीजन गुलमर्ग समेत लगभग पूरे कश्मीर बर्फ देखने तक को नहीं मिली। ऐसे में न सिर्फ पर्यटक बल्कि स्थानीय निवासी भी मौसम में हुए इस बदलाव से निराश हैं।

वहीं, इसे लेकर मौसम विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि इस स्थिति के लिए अल नीनो इफेक्ट और जलवायु परिवर्तन की परस्पर क्रिया जिम्मेदार है, जिसके कारण कश्मीर में तापमान में बढ़ोतरी हुई है और बारिश भी नहीं हुई। ऐसे में विस्तार से जानते हैं अल नीनो इफेक्ट और कश्मीर से गायब हुई बर्फ के पीछे की वजह के बारे में-

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क्या है अल नीनो?

अल नीनो मौसम से जुड़ी एक विशेष घटना स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा होने पर बनती है। आसान शब्दों में कहे तो इस स्थिति की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। यह दुनिया भर में मौसम के पैटर्न को प्रभावित करती है। भारत में, यह मानसून प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे देश के कुछ हिस्सों में वर्षा कम हो जाती है और अन्य में बाढ़ आ जाती है।

उदाहरण के लिए, पिछले साल उत्तर भारत में सदी का सबसे सूखा अगस्त देखने को मिला था। ऐसा तब हुआ जब उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण विनाशकारी भूस्खलन हुआ था। यह घटनाएं भी जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ अल नीनो के प्रभाव था।

पहले भी कश्मीर से गायब हुई बर्फ?

क्लाइमेट में हुए बदलाव और अल- नीनो इफेक्ट की ही वजह से देश का लोकप्रिय स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग इस साल असामान्य रूप से सूखे रहे हैं। एक ऑनलाइन मौसम पोर्टल के अनुसार, इस क्षेत्र में आमतौर पर जनवरी में औसतन 130.61 सेमी बर्फबारी होती है, लेकिन इस साल अभी तक कोई बर्फबारी नहीं हुई है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि कश्मीर में बर्फबारी नहीं हुई है। लेह-लद्दाख के मौसम विज्ञान केंद्र द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2016 और 1998 भी गुलमर्ग के लिए सूखे ही रहे थे।

क्यों नहीं हुई गुलमर्ग में बर्फबारी?

गुलमर्ग समेत कश्मीर के अन्य हिस्सों में बारिश न होने की मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा है। आसान भाषा में समझे, तो इसका मतलब यह है कि पश्चिमी विक्षोभ अरब सागर से कम नमी लाए, जिसकी वजह से कम वर्षा हुई। साथ ही अल नीनो का लगातार प्रभाव एक और बर्फ गायब होने का एक कारण है। इसके अलावा अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पर्यावरण का सर्कुलेशन पैटर्न प्रभावित हुआ है, जो बर्फबारी न होने एक कारण है।

बर्फबारी न होने के नुकसान

जलवायु संकट और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से क्षेत्र में मौसम के पैटर्न में आए बदलाव का असर सिर्फ पर्यटन पर ही नहीं, बल्कि इसके अन्य गंभीर परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। इसकी वजह से क्षेत्र में पानी की उपलब्धता पर असर पड़ेगा। पिघलते ग्लेशियर और बर्फ सिन्धु-गंगा के मैदानी इलाकों में पानी का प्राथमिक स्रोत बनते हैं। हिमाचल में पिघली हुई बर्फ कई आड़े-तिरछे झरनों में बदल जाती है।

ऐसे में बर्फबारी कम होने से इन झरनों पर असर पड़ सकता है। इससे कश्मीर और हिमाचल प्रदेश दोनों में सेब की खेती पर भी असर पड़ेगा। सेब का पकना बर्फबारी पर निर्भर करता है। ऐसे में इस साल बर्फबारी न होने की वजह से गुणवत्ता के साथ-साथ पैदावार भी प्रभावित होने की संभावना है।

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Picture Courtesy: Instagram