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क्या होता है माइक्रो मैनेजमेंट और कैसे यह वर्क प्लेस पर आपकी प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी को कर सकता है डाउन?

अगर आप किसी सीनियर पोस्ट पर हैं या फिर आपके पास उस काम का एक्सपीरियंस हैं लेकिन फिर भी आपसे ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति हर एक छोटी से छोटी चीज में आपको गाइड कर रहा है और कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है तो इसे माइक्रो मैनेजमेंट कहा जाता है। इससे कर्मचारियों में तनाव का स्तर बढ़ता है और काम करने की इच्छा घटने लगती है।

By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Wed, 21 Aug 2024 03:05 PM (IST)
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क्या है माइक्रोमैनेजमेंट और इसके दुष्प्रभाव (Pic credit- freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जरा सोचिए आपको खाना बनाने का शौक है और आप इसे सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन एकाएक कोई आकर आपको कोई डिश बनाने के स्टेप बाई स्टेप इंस्ट्रक्शन दें, तो कैसे लगेगा? स्योर है गुस्सा ही आएगा और चिढ़ मचेगी। वर्क प्लेस पर ऐसा करना माइक्रोमैनेजमेंट कहलाता है।   

समझें माइक्रोमैनेजमेंट का चक्कर

माइक्रो मैनेजमेंट में बॉस या आपका सीनियर आपकी हर छोटी से छोटी एक्टिविटीज पर नजर रखता है और आपको कंट्रोल करने की कोशिश करता रहता है। इससे कर्मचारियों के काम करने की इच्छा कम होने लगती है और वो बहुत ज्यादा तनाव महसूस करते हैं। स्ट्रेस के चलते या तो काम ही नहीं हो पाता या फिर क्वॉलिटी वर्क नहीं हो पाता। जो न इम्प्लॉई के लिए अच्छा होता है, न कंपनी के लिए। सीधे शब्दों में कहें तो इससे प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी डाउन होने लगती है। 

माइक्रो मैनेजमेंट के नुकसान

माइक्रो मैनेजमेंट से सिर्फ कर्मचारियों का ही नहीं, बल्कि सीनियर्स और कंपनी को भी कई तरह के नुकसान होते हैं। आइए जानते हैं कैसे?

प्रोडक्टिविटी डाउन होने लगती है

जब बॉस आपके हर एक काम पर नजर रखने लगता है, तो इससे काम करने की आजादी छीनने लगती है, तनाव के चलते काम धीमा होता है या फिर होता ही नहीं है। हर एक काम से पहले बॉस की परमिशन या डिस्कशन के चलते टाइम वेस्ट होता है। इन सारी चीजों में आप चाहकर भी काम में अपना 100% नहीं दे पाते।

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हर वक्त नए जॉब की तलाश

माइक्रो मैनेज बॉस के अंदर काम करना इतना ज्यादा मुश्किल हो जाता है कि इम्प्लॉई काम करने से ज्यादा नए जॉब की तलाश करते रहते हैं। जैसे ही कोई अच्छा मौका हाथ लगता है, तो कंपनी छोड़ने से पहले जरा भी नहीं सोचते। एक साथ बहुत सारे कर्मचारियों के जाने से कंपनी की इमेज पर भी खराब प्रभाव पड़ता है।

मानसिक सेहत होती है प्रभावित

अपनी क्षमता को जानते हुए भी किसी की निगरानी में काम करने से बहुत ज्यादा तनाव होता है। कई बार ये तनाव डिप्रेशन की भी वजह बन सकता है। मेंटल हेल्थ खराब होने से फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। अच्छा काम करने के लिए फिट बॉडी के साथ माइंड भी रिलैक्स होना चाहिए।

बॉस या सीनियर्स को इस प्रॉब्लम से गहराई से समझना चाहिए और इस ओर ध्यान देना चाहिए।

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