खेलने के लिए नहीं, बल्कि पढ़ाने के लिए बनाया गया था Rubik’s Cube, 50 साल बाद भी कम नहीं हुआ है जादू
रुबिक्स क्यूब एक ऐसा खिलौना है जिसे दुनियाभर में लगभग हर किसी ने कभी न कभी जरूर खेला होगा। इसे सॉल्व करना आसान नहीं होता लेकिन फिर भी लगातार कोशिश जारी रखते हैं। इसके आविष्कार को 50 साल हो चुके हैं और आज भी जादू बरकरार है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि Rubik’s Cube का आविष्कार खेलने के लिए नहीं बल्कि पढ़ाने के लिए किया गया था।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Rubik's Cube: रुबिक्स क्यूब का नाम आपने जरूर सुना होगा। बच्चों से लेकर बड़ों तक, ऐसा कोई नहीं, जिसे इसे खेलना न चाहे। इसे हल करना कोई मामूली काम नहीं है, इसलिए कई लोग इस जद्दोजहद में लगे रहते हैं कि इसे कैसे सॉल्व किया जाए। अब तो इसे हल करने के लिए आपको ऑनलाइन कई एप्स भी मिल जाएंगी, जो रुबिक्स क्यूब (Rubik's Cube) को हल करने के तरीके बताते हैं। आपको बता दें कि इस मामूली-से दिखने वाले क्यूब का क्रेज आज शुरू नहीं हुआ है, बल्कि इसके आविष्कार से ही यह पॉपुलर रहा है।
इतने सालों में बच्चों के खिलौनों और खेलने के तरीकों में काफी बदलाव हुए हैं, लेकिन इन बदलावों के बीच भी रुबिक्स क्यूब का जादू बरकरार है। पिछले महीने 30 जून को रुबिक्स क्यूब (Rubik's Cube) को 50 साल हो गए। तो रुबिक्स क्यूब की इस गोल्डन जूबली पर आइए जानते हैं इसके आविष्कार से जुड़ी कुछ रोचक बातें और कैसे अभी तक बच्चों से लेकर वयस्कों तक, सभी इसके फैन हैं।
(Picture Courtesy: Freepik)
रुबिक्स क्यूब का आविष्कार कब और किसने किया?
हंगरी के एर्नो रुबिक ने 30 जून 1974 में रुबिक्स क्यूब का आविष्कार किया था। आपको बता दें कि एर्नो रुबिक वास्तुकला यानी आर्किटेक्चर के प्रोफेसर थे और इसे उन्होंने किसी खिलौने की तरह नहीं बनाया था। वो अपने बच्चों को 3-डी आकारों के बारे में पढ़ाना चाहते थे, लेकिन बोर्ड पर इसे समझाने में काफी दिक्कत होती थी। इस परेशानी को हल करने का ख्याल उन्हें प्लूटोनिक सॉलिड से बारे में पढ़ाते हुए आया। उन्होंने बच्चों को 3-डी आकारों के बारे में पढ़ाने के लिए एक क्यूब बनाने का विचार किया, जिसमें 8 छोटे क्यूब्स को मिलाकर एक बड़ा क्यूब बने और उन छोटे क्यूब्स की जगहें आपस में बदली जा सके। लेकिन वे सभी क्यूब्स आपस में जुड़े रहें।
यह भी पढ़ें: पहले सिर्फ पुरुष ही कर सकते थे केरल का मशहूर Kathakali नृत्य, जानें कैसे हुई महिलाओं की इसमें एंट्री
रुबिक क्यूब का दूसरा नाम क्या है?
इसके बाद एर्नो रुबिक ने लकड़ी का एक क्यूब बनाया, लेकिन इस क्यूब में काफी कमियां थीं। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और कई नाकामियों के बाद आखिरकार अपने 30वें जन्मदिन 13 जुलाई 1974 में उन्होंने रुबिक्स क्यूब का सफल मॉडल तैयार किया। रुबिक्स क्यूब का नाम उन्होंने मैजिक क्यूब (Magic Cube) रखा। इस क्यूब को उन्होंने 26 छोटे क्यूब्स को मिलाकर बनाया और हर साइड को एक रंग दिया, जो इस प्रकार थे- लाल, नीला, पीला, हरा, सफेद और नारंगी।
पहली बार हल करने में कितना समय लगा?
रुबिक्स क्यूब को हल करने में एर्नो रुबिक को भी काफी समय लगा था और इसे बनाने के कई महीनों बाद वो इसे पहली बार हल कर पाए थे। 1975 में एर्नो रुबिक ने लिए हंगरी के पेटेंट ऑफिस में अपने मैजिक क्यूब को पेटेंट करवाने के लिए याचिका दायर की और इसके दो साल बाद रुबिक्स क्यूब को खिलौनों की दुकानों में बेचना शुरू किया गया। साल 1979 तक सिर्फ हंगरी में 3 लाख से ज्यादा रुबिक्स क्यूब बिक चुके थे। लेकिन ये क्यूब तब तक सिर्फ हंगरी में ही बिक रहा था। विश्व स्तर पर मैजिक क्यूब का मैजिक चलना अभी बाकी था।
रुबिक्स क्यूब से जुड़ी मजेदार बातें
कैसे पड़ा रुबिक्स क्यूब नाम?
साल 1980 में एर्नो रुबिक ने एक अमेरिकी कंपनी से समझौता किया और इसका नाम मैजिक क्यूब से बदलकर रुबिक्स क्यूब रखा गया। इस समझौते के तहत दुनियाभर में 10 लाख रुबिक्स क्यूब बेचे जाने थे। लेकिन इसकी प्रसिद्धि तब आसमान छूने लगी, जब न्यूयॉर्क में आयोजित एक खिलौने के मेले में एर्नो रुबिक ने इसे हल करने का तरीका बताया। इसके बाद आने वाले सालों में रुबिक्स क्यूब हल करने की कई प्रतियोगिताएं आयोजित होने लगे। रुबिक्स क्यूब का जादू ऐसा चला कि अभी तक 50 करोड़ से ज्यादा क्यूब्स बिक चुके हैं। इतना ही नहीं, टॉय इंसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक यह अबतक का बेस्ट सेलिंग खिलौना है।
यह भी पढ़ें: Edmund Hillary, जिनके जज्बे के आगे छोटा पड़ गया था Mount Everest का शिखर