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बोरियों की तुलना में सस्ता विकल्प था Paper Bag, साल-दर-साल कई बदलावों के बाद मिला इसे मॉर्डन स्वरूप

Paper Bag इन दिनों हमारी लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बन चुका है। प्लास्टिक के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब हर कोई पेपर बैग का इस्तेमाल करने लगा है। ऐसे में प्लास्टिक के बजाय पेपर बैग के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के मकसद से हर साल 12 जुलाई World Paper Bag Day मनाया जाता है। आज इस मौके पर आपको बताएंगे कब और कैसे हुई पेपर बैग की शुरुआत।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 12 Jul 2024 02:12 PM (IST)
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जानें कब और कैसे हुई पेपर बैग का आविष्कार (Picture Credit- Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज से कुछ समय पहले एक दौर ऐसा भी था, जब हर तरफ बस प्लास्टिक बैग्स ही नजर आते थे। ग्रोसरी स्टोर्स से लेकर रीटेल बिजनेस और यहां तक कि घर और रोजमर्रा के कामकाज तक के लिए सिर्फ प्लास्टिक बैग्स का भी इस्तेमाल किया जाता था। प्लास्टिक हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। न सिर्फ हमारी सेहत बल्कि पर्यावरण पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि जब प्लास्टिक बैग के ऑल्टरनेटिव के तौर पर पेपरबैग (Paper Bag Invention) ने बाजार में दस्तक दी, तो देखते ही देखते यह सभी के लिए काफी पॉपुलर हो गया है।

कुछ ही समय में पेपर बैग हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया और आज लगभग हर जगह इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। पेपर बैग के इसी आविष्कार की याद में हर साल 12 जुलाई पेपरबैग डे मनाया जाता है। इस मौके पर आज जानेंगे कब और कैसे हुई पेपरबैग की खोज-

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बोरियों का सस्ता विकल्प बना पेपर बैग

पेपर बैग के आने से पहले, टोकरियां, कटोरे और अन्य कंटेनर को हर घर और दुकान में स्टोरेज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में एक सुविधाजनक, डिस्पोजेबल कंटेनर का निर्माण काफी क्रांतिकारी साबित हुआ। जितना कारगर इसका आविष्कार है, उतना ही दिलचस्प इसकी खोज की कहानी है। कई सदियों से जूट, कैनवास और बर्लेप से बनी बोरियाों का इस्तेमाल पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में सामान रखने और ले जाने के लिए किया जाता था। इन बोरियों का इस्तेमाल इसलिए किया जाता था, क्योंकि यह काफी मजबूत और टिकाऊ होती थी।

हालांकि, इन्हें बनाने में काफी समय लगता था और इन्हें बनाना काफी महंगा भी होता था। वहीं, दूसरी तरफ कागज से बने बैग का उत्पादन बहुत कम लागत पर किया जा सकता था और इसकी वजह से यह जल्द ही व्यापार मार्गों पर पोर्टेबल बैग के लिए प्रमुख सामग्री बन गया।

1852 में बनी पहली पेपर बैग मशीन

1800 के दशक की शुरुआत के बाद पेपर बैग में कई तरह के अपडेट्स हुए हैं। सन 1852 में फ्रांसिस वॉल ने बड़े पैमाने पर पेपर बैग का उत्पादन करने वाली पहली मशीन का आविष्कार किया। वॉल की मशीन में बनने वाले ये पेपर बैग एक बड़े मेलिंग लिफाफे की तरह दिखता था और इसलिए इन पेपरबैग का इस्तेमाल सिर्फ छोटी वस्तुओं और दस्तावेजों को ले जाने के लिए किया जा सकता था। पेपर बैग की डिजाइन में अगला महत्वपूर्ण योगदान मार्गरेट नाइट का थी, जो उस समय कोलंबिया पेपर बैग कंपनी के लिए काम करने वाली एक आविष्कारक थीं।

ऐसे हुई चोकोर पेपरबैग की शुरुआत

उस दौरान उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वॉल के मेलिंग लिफाले के आकार वाले बैग की तुलना में चौकोर तले वाले बैग इस्तेमाल के लिए ज्यादा आसान और बेहतर होंगे। अपने इस विचार पर काम करते हुए उन्होंने एक औद्योगिक दुकान में पेपर-बैग बनाने की मशीन बनाई, जिससे पेपर बैग के बड़े तौर पर कर्मिशियल इस्तेमाल का रास्ता आसान हो गया। उनकी यह मशीन इतनी लाभदायक साबित हुई, कि उन्होंने आगे चलकर अपनी खुद की कंपनी, ईस्टर्न पेपर बैग कंपनी की स्थापना की।

इस तरह पूरा हुआ पेपर बैग के बनने का सफर

भले ही पेपर बैग को उसका चौकोर आकार मिल गया, लेकिन अभी भी इसमें एक खास चीज की कमी थी, जो वर्तमान में बनने वाले पेपर बैग में नजर आता है। यह पेपर बैग का प्लीटेड साइड था, जिसे पेपर बैग का हिस्सा बनाने के लिए चार्ल्स स्टिलवेल को धन्यवाद दिया जा सकता हैं। पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर स्टिलवेल ने पेपर बैग मोड़ने योग्य बना दिया और इस प्रकार उन्हें स्टोर करना आसान हो गया। स्टिलवेल के डिजाइन को आमतौर पर S.O.S. बैग या “self-opening sacks” के रूप में जाना जाता है।

इसके बाद साल 1918 में लिडिया और वाल्टर ड्यूबनेर नाम के दो सेंट पॉल ग्रॉसर्स ने इन पेपर बैग्स के किनारों में छेद करके और एक स्ट्रिंग जोड़कर हैंडल प्रदान किया और इस तरह पेपर बैग का निर्माण पूरा हुआ।

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