World Science Day 2024: विकास का इंजन है विज्ञान, जानें देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक स्थिति पर इसका प्रभाव
विज्ञान यानी साइंस का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हमारे आसपास हम जो कुछ भी देखने सुनते और करते हैं सब विज्ञान ही है। विज्ञान तकनीक तथा नवाचार का किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है और भारत इसका स्पष्ट उदाहरण है। आज विश्व विज्ञान दिवस (world science day 2024) पर प्रताप सिंह का आलेख।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विज्ञान के क्षेत्र में भारत एक ऐसा विषय है, जिसकी भावभूमि वक्तव्यों पर नहीं, ठोस साक्ष्यों पर आधारित है। लगभग सवा साल का ही तो समय हुआ है, जब 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के अभी तक अज्ञात और अजेय रहे दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर माड्यूल की सफल लैंडिंग के साथ भारत ने ऐसा करने वाला पहला देश बनने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल की।
इससे वह अंतरिक्ष अभियानों की अगुआई करने वाले चार चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हुआ, जिससे वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियां व्यापक रूप से विस्तृत हैं, जैसे मार्स आर्बिटर मिशन (मंगलयान), आदित्य एल-1 सोलर मिशन और गगनयान मिशन, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में मनुष्यों को भेजने और अंततः चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजने के लिए क्रू माड्यूल और अन्य तकनीकों का परीक्षण करना है। इतना ही नहीं, भारत 2033 तक स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन तक स्थापित करना चाहता है l
जन-जन तक पहुंची तकनीक
मुश्किल को आसान करना हम भारतीयों के डीएनए में है और विज्ञान हमारे मस्तिष्क में है। जब पूरा विश्व कोविड-19 से जूझ रहा था, भारत ने दो कोविड टीके विकसित किए, जिससे इसकी अपनी आबादी को घातक महामारी से लड़ने और मानवता को बचाने के लिए विभिन्न देशों को भी टीके उपलब्ध कराने में मदद मिली। भारत पहले से ही एक डिजिटल तकनीक महाशक्ति है और उसने जनधन-आधार-मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी की सहायता से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय समावेशन, डिजिटल समावेशन और सरकारी लाभों के कुशल वितरण में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं।भारत में मार्च 2024 तक 13 खरब से अधिक डिजिटल वित्तीय लेनदेन हो चुके थे, जो चीन या अमेरिका से भी अधिक हैं। आज एक छोटा व्यक्ति, यहां तक कि एक अनपढ़ भी पैसे ट्रांसफर करने या विक्रेताओं को छोटे भुगतान करने के लिए यूपीआई प्लेटफार्म का उपयोग कर सकता है, जिसका आर्थिक विकास और व्यापार करने में आसानी पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है। 5जी तकनीक, ब्लॉक चेन और फिन टेक विकसित करने में हमारी उपलब्धियां भी उल्लेखनीय हैं।
टेक्नो नेशनलिज्म का मार्ग
भारत ने विविध प्रक्षेप्यास्त्रों, मल्टी पेलोड मिसाइल (जो एक साथ कई वारहेड दाग सकती हैं), एलसीए तेजस सदृश लड़ाकू विमान, विमानवाहक, पनडुब्बियों की शृंखला का विकास करके रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। ‘जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान’ के नारे पर अमल करता भारत हरित क्रांति के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन एवं आहार सुरक्षा में भी पर्याप्त सक्षम है। इसी प्रकार हमारी कवच तकनीकें जो स्वदेशी हैं, रेलवे सुरक्षा में चमत्कार कर रही हैं। हमने इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रिक बैटरी प्रौद्योगिकियों में एक बड़ा कदम उठाया है और यहां तक कि ईवी के लिए एल्यूमीनियम आधारित तकनीक भी विकसित की है, जिसका निकट भविष्य में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर परिवर्तनकारी प्रभाव
पड़ेगा।हम किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताएं जोड़ रहे हैं। विज्ञान, तकनीक और नवाचार का किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है और भारत इसका अपवाद नहीं है। अगर हम स्वतंत्रता पश्चात के परिदृश्य पर नजर डालें तो पाएंगे कि भारत ने प्राथमिक तौर पर चार दशक से अधिक समय तक समाजवाद का प्रयोग किया, जिसने प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी और तकनीकों को बाहर रखा। उदारीकरण से पहले के दौर में संसाधनों की कमी और बंद अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी तकनीकों को नकार दिया गया। सुरक्षा और रणनीतिक कारणों से भी उन्हें नकार दिया गया। यह ‘टेक्नो नेशनलिज्म’ का मार्ग ही था कि भारत ने नागरिक क्षेत्रों के साथ-साथ अंतरिक्ष, रक्षा, परमाणु ऊर्जा और सुपर कंप्यूटर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में अपनी तकनीकों के जरिए आत्मनिर्भरता विकसित की।