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भारत में आया घड़ी सही समय, पिछले कुछ साल में तेजी से बढ़ा लग्जरी रिस्ट वॉच का शौक

समय बदलते देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ समय बदला है भारत में घड़ियों के बाजार का। पहले से कई गुणा तेजी से बढ़ रहा है भारत में लग्जरी घड़ियों का शौक। पिछले कुछ साल से भारत रिस्ट वॉच के बड़े बाजार के रूप में उभरा है। एथोस वॉच बुटीक के संस्थापक के रूप में यशो साबू घड़ी व्यवसाय का जाना-माना चेहरा हैं।

By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Sun, 20 Oct 2024 12:00 AM (IST)
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भारत में तेजी से बढ़ रहा घड़ियों का बाजार (Picture Credit- Freepik)

नई दिल्ली। एथोस वॉच बुटीक के संस्थापक के रूप में यशो साबू घड़ी व्यवसाय का जाना-माना चेहरा हैं। 20 साल पहले जब वे चंडीगढ़ के अपने एकमात्र स्टोर को आगे बढ़ाने की शुरुआत कर रहे थे, उन्हें कई नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा। उस संघर्षशील समय में वे ऐसे लोगों से घिरे थे, जो उनकी भावना को खारिज कर रहे थे। वह बताते हैं, ‘मुझे अक्सर कहा जाता था कि यह असफल होने वाला है।’ अब एथोस लिमिटेड के अध्यक्ष यशो साबू और उनके पुत्र प्रनव, जो एथोस के मुख्य कार्यकारी हैं, भारत के 26 शहरों में 64 वॉच बुटीक के नेटवर्क का संचालन करते हैं। इसमें मल्टीब्रांड एथोस स्टोर और मोनोब्रांड स्टोर शामिल हैं, जिन्हें कंपनी रालेक्स, ओमेगा और जैगर-ले-काउत्र के लिए प्रबंधित करती है। यशो साबू कहते हैं, ‘2026 की शुरुआत में, हम संभवतः अपना 100वां स्टोर खोल देंगे।’

स्विस घड़ियों ने बदला समय

पिछले कुछ वर्षों में भारत लग्जरी कलाई घड़ियों के बड़े बाजार के रूप में उभरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में उच्च श्रेणी की घड़ियों के लिए बढ़ते आकर्षण के संकेत चारों ओर हैं। हाल ही में अपने बहुचर्चित विवाह समारोह की रस्मों में अनंत अंबानी ने पांच पैटेक फिलिप्स, दो रिचर्ड मिलीज और एक आडेमर्स पिगेट घड़ी पहनी थी। अपने विशिष्ट अतिथियों के लिए रिटर्न गिफ्ट के रूप में उन्होंने घड़ियां ही भेंट की थीं। इसी जुलाई में डेलाइट स्विट्जरलैंड ने एक विशेष रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत को स्विस वॉच निर्माताओं के लिए एक लाभकारी स्थान कहा गया है। इसके केंद्र में भारत में जनसंख्या का वह महत्वपूर्ण भाग है, जो महंगी स्विस घड़ियों का खर्च उठा सकता है। समृद्ध भारतीयों की संख्या 2023 में लगभग 60 लाख से बढ़कर 2027 तक एक करोड़ पहुंचने की उम्मीद है, जो स्विस घड़ियों के निर्माताओं के बीच भारत के लिए अधिक रुचि पैदा कर रही है।

पैर जमे हैं भारत में

स्विस वॉच इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अनुसार इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक भारत में स्विस घड़ियों का निर्यात 2023 की समान अवधि की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ा है। यह 2022 की समान अवधि की तुलना में 41 प्रतिशत अधिक है। उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था भी आशा की वजह है। अप्रैल में प्रकाशित वर्ल्ड इकोनामिक आउटलुक रिपोर्ट में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 2024 में 6.8 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत तक मजबूत बने रहने का अनुमान लगाया, जिसमें घरेलू मांग की निरंतर शक्ति का प्रतिबिंब स्पष्ट है। सकारात्मक आर्थिक समाचारों के साथ-साथ मार्च में भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के बीच व्यापार समझौते के कारण कस्टम शुल्क में कमी की संभावनाओं ने कई घड़ी निर्माताओं को भारत के लिए अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है। वास्तव में, कई स्विस घड़ी निर्माता पहले से ही भारत में पैर जमाए हैं। जैसा कि बुल्गारी के मुख्य कार्यकारी जीन-क्रिस्टोफ बबिन कहते हैं, ‘हमारे ब्रांड ने देश में एक बड़ा रिटेल बेस स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया है, खासकर मुंबई और नई दिल्ली जैसे शहरों में।’

साथ आए शौकीन

यशो साबू बताते हैं, ‘महंगी घड़ियों के लिए खरीदार हमेशा से थे, लेकिन यह एक वैध व्यवसाय नहीं था। उस समय, भारत में आयात शुल्क आज की तुलना में बहुत अधिक थे। बहुत महंगी घड़ियों को बेचना लगभग असंभव था क्योंकि आपको ढेर सारा सीमा शुल्क भी देना पड़ता था। इसी वजह से इनकी स्मगलिंग होती थी, लेकिन समय के साथ चीजें बदलने लगीं!” घड़ियों का शौक महंगा जरूर है, लेकिन भारत में ऐसे लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। पुनीत मेहता मुंबई में घड़ियों के ऐसे ही एक संग्रहकर्ता हैं। वह बताते हैं, ‘प्रशिक्षित घड़ी विक्रेताओं की कमी वह एक बड़ा कारण था जिसने मुझे 2019 में बांबे वॉच एंथूजियास्ट्स नामक एक छोटे संग्रहकर्ता समूह का गठन करने के लिए प्रेरित किया। मेरा लक्ष्य उन लोगों को खोजना था जो घड़ियों के बारे में बात करना चाहते थे और सामाजिक रूप से जुड़ना चाहते थे।’ 2021 में पुनीत ने रेडबार ग्रुप के साथ साझेदारी की, जो घड़ी संग्रहकर्ताओं का न्यू यार्क स्थित एक वैश्विक समूह है और अपने संगठन का नाम बदलकर रेडबार इंडिया रखा। कोविड लाकडाउन के दौरान, यह समूह मुख्य रूप से वीडियो काल पर मिलता था, जहां घड़ियों से जुड़े अन्यान्य विषयों पर चर्चा होती थी। इसमें अब 500 से अधिक सदस्य शामिल हैं। पुनीत बताते हैं, ‘हम रेस्तरां और बार ही नहीं, घरों में भी बैठक करते हैं। हाल ही में मैंने 20 लोगों को अपने घर पर रविवार को नाश्ते के लिए बुलाया।’ पुनीत गर्व से कहते हैं, ‘भारत में कहीं भी यात्रा करें, आपको 100 किलोमीटर की

परिधि के भीतर एक सदस्य मिलेगा जिसे आप मिल सकते हैं।’

सुदृढ़ भविष्य की आश्वस्ति

पुनीत को भारत के घड़ी समुदाय के भविष्य में इतना दृढ़ भरोसा था कि 2021 में उन्होंने पत्रकार करिश्मा केरे के साथ मिलकर 'द आवर मार्कर्स' नामक एक मीडिया प्लेटफार्म की सह-स्थापना की। यह कंपनी भारतीय दृष्टिकोण से घड़ी से संबंधित सामग्री प्रकाशित करती है, एक वेबसाइट और विभिन्न प्रिंट पत्रिकाओं का संचालन करती है। पुनीत कहते हैं, ‘भारतीयों द्वारा घड़ी से संबंधित मीडिया का उपभोग पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ गया है। वे केवल बड़ी घड़ियों के शौकीन रैपर्स और अभिनेताओं के बारे में पोस्ट नहीं देख रहे हैं बल्कि वास्तव में घड़ियों के बारे में सीख और पढ़ रहे हैं।’ एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पार्डी रैंड कालेज, कैलीफोर्निया में पालिसी एनालिसिस के प्रोफेसर रफीक दोस्सानी के मुताबिक भारत की आर्थिक गति के अलावा उन्होंने इस जुलाई अपनी हालिया यात्रा में भारतीय उपभोक्ताओं के मूड में बदलाव देखा है। रफीक दोस्सानी, जो स्वयं भारतवंशी हैं, ने अपने कार्यालय से वीडियो काल पर कहा, ‘भारत में निश्चित रूप से भविष्य के प्रति एक आशावाद का एहसास है जो पहले नहीं था। एक महंगी घड़ी खरीदना हो या एक अपार्टमेंट बुक करना, भारत की आर्थिक मजबूती की बदौलत भारतीय अब ऐसी चीजों को करने के लिए अधिक इच्छुक हैं!’

हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक चला जादू

इन दिनों हालीवुड से लेकर बालीवुड तक चल रहा है बुल्गारी सर्पेंटी का जादू। एन हेथवे और जेन्डाया से लेकर प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर,सारा अली खान, शिल्पा शेट्टी, ट्विंकल खन्ना तक इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट, प्रमोट और पोज कर रहे हैं इसके साथ! 140 मिलियन स्विस फ्रैंक (13.62 अरब रुपये) कीमत की घड़ियों और कलपुर्जों का भारत को वार्षिक निर्यात करता है स्विट्जरलैंड 10 शीर्ष घड़ी निर्यात बाजारों में से एक बन सकता है भारत स्विट्जरलैंड के लिए। वर्ष 2023 में यह इस सूची में 22वें स्थान पर था।

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