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Teenagers की सुरक्षा के लिए Youtube ने बदला अपना नियम! नहीं देख सकेंगे भ्रमित करने वाला फिटनेस कंटेंट

यूट्यूब (Youtube) ने हाल ही में अपने एल्गोरिदम में एक बड़ा बदलाव किया है जिसका उद्देश्य किशोरों को हानिकारक सामग्री से बचाना है। अब प्लेटफॉर्म किशोरों (Teenagers) को ऐसे फिटनेस वीडियो की सिफारिश नहीं करेगा जो आदर्श शरीर की छवि आक्रामकता या हिंसा को बढ़ावा देते हों। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं इस जरूरी फैसले से जुड़ी खास बातें।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 07 Sep 2024 07:31 PM (IST)
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किशोरों की सुरक्षा के लिए Youtube ने बदला अपना नियम (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आमतौर पर यूट्यूब (YouTube) हमें हमारे पसंद के वीडियो दिखाता है, लेकिन अब, 13 से 17 साल के बच्चों के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं। अब ये बच्चे अगर कुछ खास तरह के वीडियो देखेंगे, जैसे कि शरीर की तुलना करने वाले या हिंसा वाले वीडियो, तो उन्हें उसी तरह के और वीडियो नहीं दिखाए जाएंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि बच्चों को गलत जानकारी या हानिकारक सामग्री से बचाया जा सके।

यूट्यूब ने क्या बदला है?

यूट्यूब ने किशोरों को हानिकारक सामग्री से बचाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब, किशोरों को ऐसे वीडियो कम दिखेंगे जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें वे वीडियो शामिल हैं जो अलग-अलग शरीर के प्रकारों की तुलना करते हैं और किसी एक खास तरह के शरीर को ही सही मानते हैं। इसके अलावा, ऐसे वीडियो जो अवास्तविक फिटनेस लक्ष्य दिखाते हैं या हिंसा को बढ़ावा देते हैं, उन पर भी रोक लगाई गई है। ये बदलाव विशेषज्ञों की सलाह पर किए गए हैं ताकि किशोरों में अपने शरीर को लेकर असुरक्षा और नकारात्मक भावनाएं पैदा होने से रोका जा सके।

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क्यों किया गया यह बदलाव?

यूट्यूब का मानना है कि किशोर वयस्कों की तुलना में आदर्श मानकों से आसानी से प्रभावित होते हैं। बार-बार ऐसे वीडियो देखने से किशोरों में अपने शरीर के प्रति नकारात्मक भावनाएं पैदा हो सकती हैं और वे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो सकते हैं।

कंपनी ने विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर यह निर्णय लिया है। इसके अलावा, यूरोप और अमेरिका जैसे कई देशों में टेक कंपनियों से बच्चों को हानिकारक सामग्री से बचाने के लिए अपने एल्गोरिदम में सुधार करने की मांग की जा रही थी।

कितना कारगर है बदलाव?

यूट्यूब का नया एल्गोरिदम, किशोरों को हानिकारक सामग्री से बचाने का एक सराहनीय प्रयास है। यह एक डिजिटल दुनिया में जहां किशोर लगातार आदर्श छवियों से घिरे रहते हैं, एक वरदान साबित हो सकता है। लेकिन, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। यह बदलाव, भले ही कितना ही अच्छा क्यों न हो, कुछ सीमाओं से बंधा हुआ है।

किशोर, अपनी जिज्ञासा और खोज करने की प्रवृत्ति के कारण, इन प्रतिबंधों को तोड़ने के नए-नए तरीके ढूंढ सकते हैं। एक कुशल खोज या कुछ हैक्स के जरिए, वे आसानी से उन वीडियो तक पहुंच सकते हैं जिन्हें उनके लिए प्रतिबंधित किया गया है। इसके अलावा, यह भी याद रखना जरूरी है कि हर किशोर अपनी सही उम्र का उल्लेख नहीं करता। कई बार, वे बड़े दिखने के लिए अपनी उम्र बढ़ा देते हैं। ऐसे में, यह एल्गोरिदम उनकी सुरक्षा का वादा नहीं कर सकता।

इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि YouTube का यह नया बदलाव एक अधूरी कहानी है। यह एक शुरुआत है, एक प्रयास है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। किशोरों को सुरक्षित रखने के लिए, हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है जिसमें माता-पिता, शिक्षक, और तकनीकी कंपनियां मिलकर काम करें।

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