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समय रहते पेट के कैंसर का ऐसे लगाएं पता और बिना ऑपरेशन कराएं इलाज

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) प्रक्रिया के जरिये पेट के कैंसर का पता लगाकर अब इस आधुनिक विधि के जरिये ऑपरेशन के बगैर रोग का कारगर इलाज संभव है...

By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Fri, 06 Jan 2017 12:47 PM (IST)
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समय रहते पेट के कैंसर का ऐसे लगाएं पता और बिना ऑपरेशन कराएं इलाज

पेट में किसी भी कोशिका (सेल) का असामान्य या अनियंत्रित तरीके से बढ़ने को सहज भाषा में पेट का कैंसर कहा जाता है। यह पेट की भीतरी परतों में फैलता हुआ धीरे-धीरे बाहरी परतों पर आता है। इसलिए शुरुआत में इस बीमारी का पता भी नहीं चलता।

लक्षणों की न करें अनदेखी
पेट के कैंसर की शुरुआती अवस्था में लक्षण जल्दी सामने नहींआते। इसके लक्षण काफी हद तक अल्सर या अन्य पेट के विकारों जैसे होते हैं, इन लक्षणों के प्रकट होने पर सजग हो जाना चाहिए...
- अक्सर बदहजमी की समस्या रहना।
- पेट में अक्सर दर्द महसूस करना।
- भूख में कमी महसूस होना।
- काले रंग का मल निकलना।
- खाने के बाद उल्टी होना।
- वजन का कम होते जाना।
- रक्त की कमी (एनीमिया) से ग्रस्त होना।

मर्ज का आधुनिक इलाज
अगर समय रहते इन समस्याओं में सुधार न हो, तो गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विशेषज्ञ से परामर्श लेने में देर नहीं करनी चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टर कैंसर का अंदेशा होने पर एंडोस्कोपी करते हैं। इससे कैंसर होने की जानकारी मिल जाती है। शुरुआती अवस्था में पेट के कैंसर का पता चल जाए, तो ऑपरेशन के बगैर एंडोस्कोपिक विधि (ईएमआर या ईएसडी) से इलाज किया जा सकता है। कैंसर का पता चलने के बाद एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड ( ईयूएस) के
जरिये बीमारी की गहराई से जानकारी हासिल की जाती है। इसके बाद एंडोस्कोपिक सर्जन पेट के कैंसरग्रस्त भाग को ऑपरेशन के बगैर निकाल देते हैं। इस प्रक्रिया में एंडोस्कोप और दूसरे उपकरणों की मदद से कैंसर टिश्यू को
पाचन तंत्र से हटा दिया जाता है।

ईयूएस’ प्रक्रिया के फायदे
- इस प्रक्रिया द्वारा बिना ऑपरेशन पेट के कैंसर के बारे में गहन जानकारी हासिल कर इलाज किया जाता है।
- सीटी स्कैन और एक्सरे की तरह इसमें रेडिएशन नही होता।

ईयूएस और पारंपरिक एंडोस्कोपी में फर्क
पारंपरिक एंडोस्कोपी में डॉक्टर और सर्जन रोगी के पेट की सिर्फ सबसे अंदरूनी पर्त (लाइनिंग) को ही देख सकते हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों को ‘ईयूएस’ पेट की सभी पर्र्तें देखने में मदद करता है। इसके अलावा पेट के बाहर के अंगों को भी अच्छी तरह से देखा जा सकता है। ईएसयू प्रक्रिया अल्ट्रासांउड और एंडोस्कोपी विधि का मेल है। रोग की डाइग्नोसिस कर इसी प्रक्रिया के जरिये रोग का सटीक और कारगर इलाज संभव है। इस प्रक्रिया की मदद से गैस्ट्रिक कैंसर का शुरुआती अवस्था में पता लगाकर कारगर इलाज संभव है।

जरूरी है जागरूकता
पेट के कैंसर के बारे में जल्द पता लगा कर उपचार कराना जरूरी है। जब तक रोगी इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तब तक बीमारी एडवांस स्टेज तक पहुंच चुकी होती है। ऐसे समय में सीमित विकल्पों के कारण इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए बीमारी का समय रहते पता चलना बहुत जरूरी है। अगर उच्च गुणवत्तायुक्त एंडोस्कोपिक अल्ट्रासांउड मशीनें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होंगी, तो पेट से जुड़े कैंसर की मृत्यु दर में कमी होने की संभावना बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि रोगी को बीमारी का जल्दी पता चल जाएगा और समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टर उसका इलाज भी शीघ्र ही कर सकेंगे।

(डॉ.रणधीर सूद, सीनियर गैस्ट्रो-इंटेरोलॉजिस्ट, मेदांता, गुड़गांव)

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