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Armed Forces Flag Day 2020: जानें कैसे हुई इस दिन की शुरूआत साथ ही अन्य महत्वपूर्ण बातें

Armed Forces Flag Day 2020 वीर जवानों के हर बलिदान को सम्मान देने के लिहाज से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस आयोजित किया जाता है। जिसका मकसद सैनिकों के प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त करना है।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Mon, 07 Dec 2020 09:30 AM (IST)
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देश की सुरक्षा में तैनात वीर जवान

देश की सीमाओं पर तैनात हर वीर सिपाही का सिर्फ एक ही लक्ष्य है अपना सब कुछ समर्पित कर देश को दुश्मनों की बुरी नजर और प्रकृति के हर कहर से बचाना है। इनके हर बलिदान को सम्मान देने के लिहाज से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस आयोजित किया जाता है। जब आम नागरिकों के पास मौका होता है इनके सम्मान और कल्याण में अपना योगदान देने का। इस 'गौरव माह' में आप भी लाल, गहरे नीले और आसमानी रंग के एक छोटे से झंडे की कीमत अदा करके प्रदर्शित कर सकते हैं इनके प्रति अपना सम्मान..

इतिहास

सैनिकों के शौर्य की बहुरंगी कथा को सुखांत देने के उद्देश्य से 1949 में तत्कालीन रक्षामंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई और प्रत्येक वर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने का निर्णय लिया। भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण एवं पुनर्वसन तथा युद्ध में वीरगति प्राप्त योद्धाओं के कल्याण हेतु आयोजित इस झंडा दिवस पर पूरे देश से 'परोपकारी निधि' में दान प्राप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। केंद्रीय स्तर पर यह कार्य रक्षा मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सैनिक बोर्ड करता है। राज्य स्तर पर 32 राज्य सैनिक बोर्ड तथा जिला स्तर पर 392 जिला सैनिक बोर्ड इस कार्य को करते हैं। झंडा दिवस के अवसर पर संवैधानिक पदों पर आरूढ़ विशिष्ट व्यक्तियों को लेकर आम नागरिक और छात्र तक लाल, गहरे नीले और आसमानी रंग के झंडे को शान से अपनी छाती पर लगाकर मनोवैज्ञानिक रूप से सशस्त्र सेनाओं के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं और स्वेच्छा से दान भी देते हैं। 

इस दिन को मनाने का उद्देश्य 

इस दिन को मनाने का मकसद था कि देश की जनता अपने बहादुर सैनिकों के प्रति अपना आभार व्‍यक्‍त कर सके और साथ ही उन्‍हें इस बात का भी अहसास हो सके कि उनकी और उनके परिवार की मदद करना कितना जरूरी है। सेना के जवानों की मदद और उनके कल्‍याण के लिए ये दिन केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी मनाया जाता है। इसमें ब्रिटेन जहां इसकी शुरुआत 1956 में हुई थी, इसके अलावा साइप्रस, केन्‍या और नाइजीरिया शामिल हैं। 

Pic credit- Freepik