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Basant Panchami 2020 Drawing Ideas: ड्रॉइंग प्रतियोगिता की तैयारी के लिए यहां से ले टिप्स!

Basant Panchami 2020 Drawing Ideasप्राचीन पुराणों के अनुसार दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती सावित्री और राधा ये पांच देवियां प्रकृति कहलाती हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Wed, 29 Jan 2020 09:07 AM (IST)
Basant Panchami 2020 Drawing Ideas: ड्रॉइंग प्रतियोगिता की तैयारी के लिए यहां से ले टिप्स!
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Basant Panchami 2020 Drawing Ideas: वसंत पंचमी के दिन भगवान शिव ने मां पार्वती को धन और सम्पन्नता की देवी होने का वरदान दिया था। इसी वजह से मां पार्वती का नील सरस्वती नाम पड़ा। प्राचीन पुराणों में ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड में सरस्वती के स्वरूप के बारे में वर्णन मिलता है। इनके अनुसार दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री और राधा ये पांच देवियां प्रकृति कहलाती हैं। ये श्रीकृष्ण के विभिन्न अंगों से प्रकट हुई थीं। उस समय उनके कंठ से प्रकट होने वाली वाणी, बुद्धी, विद्या और ज्ञान की जो अधिष्ठात्री देवी हैं उन्हें सरस्वती कहा गया है। 

इस पर्व पर कई स्कूलों में ड्रॉइंग प्रतियोगिता भी होती है। अगर आपके लिए लाए हैं कुछ ड्रॉइंग आइडियाज़:

बसंत पंचमी पर क्‍यों होता है सरस्‍वती पूजन?

सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा ने जीव-जंतुओं और मनुष्य योनि की रचना की, लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है जिसकी वजह से चारों ओर सन्‍नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उस स्‍त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकि दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। जल धारा कोलाहल करने लगी। हवा सरसराहट कर बहने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्‍वती की उत्‍पत्ती बसंत पंचमी के दिन ही की थी इसलिए हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्‍वती का जन्‍म दिन मनाया जाता है।

मां सरस्‍वती का मंत्र

मां सरस्वती की आराधना करते वक्‍त इस श्‍लोक का उच्‍चारण करना चाहिए:

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।

कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।

वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।

रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।

सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च