खामोश जुबां ने सुने बेटी के सपने
इंडियन आइडल 9 की टॉप कंटेस्टेंट भारती गुप्ता ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया है कि अगर आप किसी चीज को दिल से चाहें तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है।
By Srishti VermaEdited By: Updated: Sat, 25 Feb 2017 11:58 AM (IST)
मैं समझ नहीं पा रही थी कि अपने मम्मी-पापा को यह बात कैसे समझाऊं कि करियर के तौर पर मैं एक ऐसे पेशे को चुनने जा रहीं हूं जिसे न तो वे सुन सकते हैं और न ही उसके बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं। इसी कशमकश में समय बीतता रहा। आखिरकार मैंने मम्मी-पापा को इस बारे में बताने का निर्णय लिया कि मैं गायन को बतौर करियर चुनने जा रही हूं। भले ही दोनों बोल और सुन नहीं सकते लेकिन बहुत ही क्रिएटिव हैं। बस इसी की बदौलत मैं उनका भरोसा जीतने में कामयाब रही। भारती गुप्ता जब यह बता रही थीं तब उनके चेहरे पर सुकून की एक रेखा बरबस ही खिंच गई।
मुश्किलों से लड़कर बनाया मुकाम
भारती का संगीत के इस मंच तक पहुंचने का सफर तमाम मुश्किलों भरा रहा। गाजियाबाद के वैशाली की रहने वाली भारती के पिता अरुण कुमार गुप्ता भारतीय वायु सेना में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। वहीं मां शशि गुप्ता घरेलू महिला हैं। परिवार में भारती के अलावा छोटा भाई दीपक भी है। भारती बताती हैं कि मम्मी- पापा बोल या सुन नहीं सकते हैं इसलिए मेरा पालन-पोषण नानी ने किया। मैंने डीयू के मिरांडा हाउस से स्नातक तो कर लिया। फिर लगा कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, ऐसे में किसी ऐसे कोर्स में दाखिला लिया जाए जिसको पूरा करने के बाद तुरंत नौकरी मिल जाए। इसी उधेड़बुन में एमबीए में दाखिला लिया और इसे पूरा करने के बाद नौकरी शुरू कर दी। चार साल तक मल्टी नेशनल कंपनी (एमएनसी) में नौकरी की। फिर एक स्कूल में बतौर म्यूजिक टीचर ज्वाइन कर लिया।
भारती का संगीत के इस मंच तक पहुंचने का सफर तमाम मुश्किलों भरा रहा। गाजियाबाद के वैशाली की रहने वाली भारती के पिता अरुण कुमार गुप्ता भारतीय वायु सेना में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। वहीं मां शशि गुप्ता घरेलू महिला हैं। परिवार में भारती के अलावा छोटा भाई दीपक भी है। भारती बताती हैं कि मम्मी- पापा बोल या सुन नहीं सकते हैं इसलिए मेरा पालन-पोषण नानी ने किया। मैंने डीयू के मिरांडा हाउस से स्नातक तो कर लिया। फिर लगा कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, ऐसे में किसी ऐसे कोर्स में दाखिला लिया जाए जिसको पूरा करने के बाद तुरंत नौकरी मिल जाए। इसी उधेड़बुन में एमबीए में दाखिला लिया और इसे पूरा करने के बाद नौकरी शुरू कर दी। चार साल तक मल्टी नेशनल कंपनी (एमएनसी) में नौकरी की। फिर एक स्कूल में बतौर म्यूजिक टीचर ज्वाइन कर लिया।
संगीत के आसमां में उड़ने का सपना
गाने का शौक तो बचपन से ही था लेकिन कभी इसे जाहिर नहीं कर सकी। इसकी दो वजहें थीं। पहले तो मैं शर्मीली थी और दूसरा मिडिल क्लास फैमिली में इस प्रोफेशन की कोई खास कद्र नहीं है। हालांकि ग्रेजुएशन के बाद मैंने म्यूजिक की ट्रेनिंग लेने की ठान ली और पढ़ाई के साथ-साथ घर के पास ही क्लासिकल संगीत सीखने लगी। उसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ म्यूजिक से वेस्टन म्यूजिक की क्लास लीं। इसी दौरान मैंने म्यूजिक टीचर के तौर पर पारी शुरू की थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही नौकरी छोड़ दी और बस तय कर लिया कि संगीत के आसमान में पंख खोलकर उड़ना है।दूसरी बार में मिली सफलता
म्यूजिक टीचर की नौकरी छोड़ने के बाद असली स्ट्रगल शुरू हुआ। बहुत दिनों तक छोटे-मोटे बैंड के साथ जुड़ी रही और यह सिलसिला चलता रहा। फिर इंडियन आइडल के पिछले सीजन में ऑडिशन दिया, लेकिन सफल नहीं हुई। इससे थोड़ी निराशा तो हुई, लेकिन हार नहीं मानी। पिछले साल वॉइस इंडिया का ऑडिशन दिया और टॉप 100 तक पहुंची। इससे थोड़ा हौसला मिला। इस बार इंडियन आइडल सीजन-9 का ऑडिशन दिया और सफल हो गई। टॉप-12 तक का सफर तय किया। सच कहूं तो यह सपना सच होने जैसा है। इस शो की बदौलत मुझे तो पहचान मिली ही। साथ ही मेरे मम्मी-पापा को भी लोग जानने लगे हैं। भारती बताती हैं कि अब मैं मुंबई जाने की तैयारी कर रही हूं। वहां अधिक स्कोप है और मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे सपनों को पंख वहीं लगेंगे।
गाने का शौक तो बचपन से ही था लेकिन कभी इसे जाहिर नहीं कर सकी। इसकी दो वजहें थीं। पहले तो मैं शर्मीली थी और दूसरा मिडिल क्लास फैमिली में इस प्रोफेशन की कोई खास कद्र नहीं है। हालांकि ग्रेजुएशन के बाद मैंने म्यूजिक की ट्रेनिंग लेने की ठान ली और पढ़ाई के साथ-साथ घर के पास ही क्लासिकल संगीत सीखने लगी। उसके बाद दिल्ली स्कूल ऑफ म्यूजिक से वेस्टन म्यूजिक की क्लास लीं। इसी दौरान मैंने म्यूजिक टीचर के तौर पर पारी शुरू की थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही नौकरी छोड़ दी और बस तय कर लिया कि संगीत के आसमान में पंख खोलकर उड़ना है।दूसरी बार में मिली सफलता
म्यूजिक टीचर की नौकरी छोड़ने के बाद असली स्ट्रगल शुरू हुआ। बहुत दिनों तक छोटे-मोटे बैंड के साथ जुड़ी रही और यह सिलसिला चलता रहा। फिर इंडियन आइडल के पिछले सीजन में ऑडिशन दिया, लेकिन सफल नहीं हुई। इससे थोड़ी निराशा तो हुई, लेकिन हार नहीं मानी। पिछले साल वॉइस इंडिया का ऑडिशन दिया और टॉप 100 तक पहुंची। इससे थोड़ा हौसला मिला। इस बार इंडियन आइडल सीजन-9 का ऑडिशन दिया और सफल हो गई। टॉप-12 तक का सफर तय किया। सच कहूं तो यह सपना सच होने जैसा है। इस शो की बदौलत मुझे तो पहचान मिली ही। साथ ही मेरे मम्मी-पापा को भी लोग जानने लगे हैं। भारती बताती हैं कि अब मैं मुंबई जाने की तैयारी कर रही हूं। वहां अधिक स्कोप है और मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे सपनों को पंख वहीं लगेंगे।
हमेशा अपने दिल की सुनें
युवा हमेशा अपने दिल की सुनें और वही करें जो दिल कहे। दूसरों के दबाव में अपनी इच्छाओं का दमन न करें। हां...एक बात हमेशा याद रखें, मेहनत का कोई जोड़ नहीं है। सही दिशा में मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। भले ही इसमें थोड़ा देरी हो सकती है।प्रस्तुति : प्रभात उपाध्याय, नोएडायह भी पढ़ें : जिदंगी का साथ निभाता चला गया
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