मिर्गी से पीड़ित होने के बावजूद महिलाएं बन सकती हैं मां, पर करना होगा ये
लोगों को लगता है कि मां बनने की संभावनाएं खत्म हो गईं, मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बल्कि 90 प्रतिशत महिलाएं बच्चे को जन्म दे सकती हैं।
मिर्गी मस्तिष्क के विकार की स्वास्थ्य समस्या है, जिसे दौरे पड़ने या आक्रामक व्यवहार जैसे लक्षणों से पहचाना जाता है। जो मरीज इस बीमारी से ग्रस्त हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं से अचानक और असामान्य तरीके से जरूरत से ज्यादा हुए इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज की वजह से मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है।
कर सकती हैं गर्भधारण
मिर्गी की बीमारी से पीड़ित अगर कोई महिला मां बनना चाहती है, तो उसे सबसे पहले न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह
लेनी चाहिए और योजनाबद्ध तरीके से गर्भधारण की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ महिलाओं में गर्भधारण के दौरान होने वाले हार्मोन से संबंधित बदलावों, दवाओं के डोज में बदलाव या इस तरह के अन्य कारणों के चलते प्रेग्नेंसी के दौरान भी दौरे पड़ने की संभावना बनी रहती है।
दौरे का असर
यह भी देखने में आया है कि कुछ गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के उपचार की दवाएं लेते रहने के बावजूद दौरे पड़ते हैं, जो उनके साथ-साथ उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन अगर इस स्थिति को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो खतरा न के बराबर रह जाता है। कुछ मामलों में अपरिपक्व प्रसूति या प्रीमैच्योर बर्थ (निर्धारित समय से पहले जन्म) भी हो सकता है। इसलिए अगर गर्भावस्था के दौरान दौरा पड़ता है, तो गर्भवती महिलाएं शीघ्र ही अपनी गाइनोकोलॉजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट को इसकी जानकारी दें।
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पहले से प्रेग्नेंसी प्लान करें
ऐसे मामलों में यह जरूरी है कि गर्भधारण का प्रयास करने से पहले ही आप अपने न्यूरोलॉजिस्ट से बात करें और उनसे राय लें, ताकि डॉक्टर यह मूल्यांकन कर सके कि आप अपनी बीमारी को सही तरीके से नियंत्रित कर पा रही हैं या नहीं और क्या गर्भधारण करने से पहले आपके ट्रीटमेंट में किसी तरह के बदलाव की जरूरत है। सबसे जरूरी बात यह है कि आप दौरे को नियंत्रित रखने वाली अपनी सभी दवाएं नियमित रूप से उतनी ही मात्रा में खाती रहें।
- डॉ.सुमित सिंह, न्यूरोलॉजिस्ट आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुड़गांव