Guru Nanak Dev Ji Quotes and Teachings: गुरु नानक देव के ये विचार, बदल देंगे आपके जीने का नजरिया
Guru Nanak Dev Ji Quotes and Teachings 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन पाकिस्तान स्थित तलवंडी नामक गांव में जन्मे गुरु नानक देव जी ने जीवन जीने का तरीका सिखाया।
By Rajat SinghEdited By: Updated: Tue, 12 Nov 2019 09:16 AM (IST)
Guru Nanak Dev Ji Quotes and Teachings: नई दिल्ली, जेएनएन। गुरु नानक देव ने अपने जीवन का लंबा काल यात्राएं (उदासियां) करने में व्यतीत किया था। इस दौरान उन्होंने कई तीर्थ स्थलों का दर्शन किया और लोगों को जागरुक किया। उन्होंने हमेशा समाज में उपस्थित कुरीतियों का विरोध किया। पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में जन्मे गुरु नानक देव जी ने लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाया। 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन जन्मे गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म को स्थापना की। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन हम आपको उनके विचारों के बारे में बता रहे हैं....
1. सदैव एक ईश्वर की उपसाना करो।2. ईश्वर एक है।
3. जिसे अपने आप पर विश्वास नहीं है, वह कभी भी भगवान में विश्वास नहीं कर सकता है।4. केवल वही बोलें, जो आपको सम्मान दिलाए।
5. मृत्यु को बुरा नहीं कहा जाएगा, अगर कोई जानता है कि वास्तव में कैसे मरना है।
6. यह दुनिया सपने में रचे हुए एक रंगमंच के समान है।7. दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस भ्रम में न रहे कि बिना गुरु के ज्ञान के भवसागर को पार किया जा सकता है।8. ना मैं बच्चा हूं, ना एक युवक हूं, ना पौराणिक हूं और ना ही किसी जाति से हूं।9. यह दुनिया कठिनाइयों से भरी है, जिसे खुद पर भरोसा है, वही विजेता कहलाता है।10. जिन्होंने प्रेम किया है, उन्होंने ईश्वर को पाया है।
Guru Nanak Dev Ji Biography: सिखों के पहले गुरु नानक देव, जिन्होंने बदला सामाजिक ताना-बाना11. जो लोग अपने घर में शांति से जीवन व्यतीत करते हैं, उनका यमदूत भी कुछ नहीं कर पाते हैं।12. उसकी चमक से ही सम्पूर्ण जगत प्रकाशवान है।
13. ईश्वर एक है, उसके रूप अनेक हैं।14. भ्रम का हमें त्याग कर देना चाहिए।15. चिंता से दूर रहकर अपने कर्म को करते रहना चाहिए।16. अपने मेहनत की कमाई से जरूरतमंद की भलाई भी करनी चाहिए।17. बुरे कार्य करने के बारे में ना सोचें और न किसी को सताएं।18. सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।19. कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए।20. माया को जेब में ही स्थान देना चाहिए, अपने हृदय में नहीं।