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Mysore Pak: आखिर कैसे आया भारत के सर्वश्रेष्ठ स्ट्रीट फूड मिठाइयों में से एक, मैसूर पाक को बनाने का ख्याल?

Mysore Pak भारत केवल धर्म जाति और रंग के मामले में विविधताओं का देश नहीं है बल्कि खानपान और पहनावे में भी अपने अंदर अनेकों रंग लपेटे हुए हैं। हाल ही में दक्षिण भारत के एक सुप्रसिद्ध मिठाई मैसूर पाक को बेस्ट स्ट्रीट फूड मिठाइयों में से एक के रूप में 14वें स्थान पर मान्यता दी गई। आइये जानते हैं इस मिठाई का इतिहास।

By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Wed, 26 Jul 2023 02:48 PM (IST)
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कैसे हुई मैसूर पाक की शुरुआत ?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Mysore Pak: भारती की मशहूर और स्वादिष्ट मिठाई मैसूर पाक को हाल ही में टेस्ट एटलस द्वारा दुनिया की बेस्ट स्ट्रीट फूड मिठाइयों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। 14वें स्थान पर काबिज होने वाली मैसूर पाक के साथ दो और भारतीय मिठाइयां, फालूदा और कुल्फी फालूदा भी इस लिस्ट में शामिल हैं। आपको बता दें, कि टेस्ट एटलस एक मशहूर फूड-बेस्ड मैगजीन है, जो दुनिया भर के स्ट्रीट फूड के बारे में समीक्षा और जानकारी देती है।

खैर, हम वापस लौटते हैं भारत की मशहूर मैसूर पाक पर। भारत में अब भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो इस सुपर टेस्टी मिठाई के स्वाद से अनजान हैं, तो वहीं, कुछ इसके इतिहास से। मिठाई का स्वाद चखने के लिए, तो आपको खुद इसतक पहुंचना पड़ेगा, लेकिन इसके इतिहास को हम आपको पास ले आए हैं। आइये जानते हैं कि मैसूर पाक का इतिहास क्या है।

मैसूर शहर

कर्नाटक में भारतीय शहर मैसूर (आधिकारिक तौर पर, मैसूरु) एक लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट है, जहां काफी भीड़ उमड़ती है। इतना ही नहीं इस जगह को राज्य की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है, जो भारतीय इतिहास की एक सुंदर झलक पेश करता है। यहां प्रसिद्ध मैसूर पैलेस, मैसूर शाही राजवंश का घर और अन्य ऐतिहासिक आकर्षण स्थल हैं। इतना ही नहीं यह शहर बेंगलुरु की सिस्टर आईटी सिटी के रूप में भी उभर रहा है। मैसूर में दशहरा के त्योहार के समय, वर्तमान राजा के शाही हाथी पर सवार होने के साथ ही जगमगा उठता है। कुल मिलाकर यहां इतिहास और आधुनिकता का संगम देखने को मिलता है।

वैसे मैसूर में देखने के अलावा खाने के लिए भी काफी कुछ है, जैसे मैसूर डोसा, फिल्टर कॉफी, केसरी भात, शविगे बाथ और सबकी जान मैसूर पाक। यहां आने के बाद इन डिशेज को तो आपको जरूर ट्राई करना चाहिए, लेकिन अगर आप मैसूर पाक भूल गए, तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी। घी के गुणों से भरपूर यह मिठाई अपने मूल क्षेत्र के अलावा आसपास की जगहों पर भी काफी लोकप्रिय है। लेकिन सबसे पहले इस डिश को बनाया किसने आखिर कैसे यह अस्तित्व में आया? इन्हीं सवालों के जवाब हम आगे जानेंगे।

कैसे हुआ मैसूर पाक का आविष्कार?

साल था 1935, जब यह शहर महाराजा कृष्णजा वोडेयार द्वारा शासित मैसूर साम्राज्य का हिस्सा था। माना जाता है कि एक भव्य दावत के मौके पर, महल के मुख्य रसोइये, काकसुरा मडप्पा ने अपने राजा को खुश करने के लिए एक खास और अनोखे मिठाई बनाने की ठानी। वह एक बर्तन में बेसन, घी और चीनी डालकर और उन्हें चाशनी बनने तक गर्म करता रहा। बाद में राजा को यह मिश्रण परोसा गया, जो उनके खाने के वक्त तक ठंडा होकर नरम लेकिन ठोस आकार में बदल गया था।

अचानक तैयार हुई इस मिठाई को खाकर राजा इतने खुश होते हैं कि वह इसके बारे में जानने के लिए अपने मुख्य रसोइये मडप्पा को बुलाते। जब मडप्पा से इसका नाम पूछा गया, तो उन्होंने फिर से सुधार किया और इसे "मैसूरु पाका" कहा, पाका चीनी सिरप के लिए कन्नड़ शब्द है। और इस तरह से ट्रेडिशनल मैसूर पाक का जन्म हुआ। हालांकि, तब से लेकर अबतक यह कई बदलावों से गुजरा है और नए-नए रसोइयों ने इसकी कई किस्में बनाईं।

मैसूर पाक का शाही ठाठ

मैसूर पाक को शादियों और त्योहारों के दौरान परोसा जाता है, जो भारत के सबसे शुभ समयों में से हैं। केवल विशेष मिठाइयों को ही इन मौकों पर रहने की अनुमति है, जिससे यह धारणा और मजबूत हो जाती है कि मैसूर पाक रॉयल क्लास में आता है। हालांकि, मैसूर पाक तो जन्म से ही रॉयल है क्योंकि इसकी शुरुआत शाही दरबार में शाही रसोइये के हाथों हुआ है।