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Daal Baati Churma: गलती से हुआ था राजस्थान की मशहूर दाल बाटी चूरमा का आविष्कार? जानें क्या है इसका इतिहास

Daal Baati Churma राजस्थान अपने अनोखे पहनावे के साथ-साथ टेस्टी फूड्स के लिए भी जाना जाता है। इनमें से एक है दाल बाटी चूरमा जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। चलिए जानते हैं इसके दिलचस्प इतिहास के बारे में।

By Ritu ShawEdited By: Ritu ShawUpdated: Sat, 10 Jun 2023 05:25 PM (IST)
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राजस्थान की मशहूर दाल बाटी चूरमा का इतिहास

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Daal Baati Churma: दाल बाटी चूरमा तीन डिशेज से मिलकर बनने वाली में एक स्वादिष्ट रेसिपी है, जिसमें मसालेदार पंचमेल दाल के साथ बाटी और चूरमा का आनंद लिया जाता है। यह डिश स्वादिष्ट होने के साथ ही हेल्दी भी है क्योंकि इसमें गेहूं और दालों के गुण मौजूद होते हैं और आखिर में चूरमे एक कॉम्प्लिमेंट्री मिठाई के रूप में परोसा जाता है। आज यह डिश राजस्थान की पहचान है और लोग बड़े ही चाव के साथ इसका लुत्फ उठाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दाल बाटी चूरमा अस्तित्व में कैसे आया और इसका इतिहास क्या?

दाल बाटी चूरमा का इतिहास क्या है?

दाल बाटी चूरमा न जाने कितने सालों से राजस्थानी लोगों की डाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत कबसे हुई इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस दाल बाटी चूरमा की उत्पत्ति राजस्थान में मेवाड़ साम्राज्य के संस्थापक बप्पा रावल के शासनकाल के दौरान हुई थी। उस समय बाटी को युद्ध के दौरान खाए जाने वाले भोजन के रूप में देखा जाता था।

बाटी की उत्पत्ति कैसे हुई?

ऐसा कहा जाता है कि जंग के मैदान में डटे राजपूत लोग युद्ध के लिए जाने से पहले गुंथे हुए आटे को रेत में दबा कर छोड़ देते थे और जब तक वे लौटते तब तक सूरज की चिलचिलाती धूप से रेत में रखे आटे पककर तैयार मिलते थे। इसके बाद वे इन पकी हुई बाटियों को खोदकर निकालते थे और घी मलकर खाते थे। इसके अलावा बकरी या ऊंट के दूध से बनी दही या छाछ के साथ भी बाटियों को खाते थे। हालांकि, बाटी के साथ दाल और चूरमा बाद में जुड़े हैं।

पंचमेल दाल की उत्पत्ति कैसे हुई?

बाटी के साथ पंचमेल दाल एक तरह का आविष्कार है। माना जाता है कि जब गुप्त साम्राज्य के व्यापारी मेवाड़ में बसे तबसे दाल और बाटी का साथ लोकप्रिय हो गया। पंचमेल दाल गुप्तों के शाही दरबार में काफी पसंद की जाने वाली दाल थी। पंचमेल दाल जीरा, लौंग, सूखी लाल मिर्च और अन्य मसालों के तड़के वाली पांच दालों का एक सरल और पौष्टिक मिश्रण है।

चूरमा की उत्पत्ति कैसे हुई?

चूरमा एक ऐसा मीठा व्यंजन है जिसका आविष्कार गलती से मेवाड़ के गुहिलोट के रसोइए ने कुछ बाटियों पर गन्ने का रस डालकर किया था। यह जानने बाद कि इससे बाटी को नरम बन जाती है, कबीले की महिलाओं ने भी अपने पतियों के लिए बाटी को नरम और ताज़ा रखने के लिए मीठे पानी (गन्ने या गुड़ से बने) में बाटियों को डुबोना शुरू कर दिया। आज यह चूरमा के रूप में विकसित हो चुका है, जिसे लोग घी, शक्कर और इलायची डालकर तैयार किया जाता है।