अगर आप भी है सोरायसिस से परेशान तो ये है सटीक इलाज
सोरायसिस के कारण त्वचा में जलन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ना और सूजन जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
सर्दियों में सोरायसिस नामक रोग के मामले कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सोरायसिस एक
गैर-संक्रामक त्वचा रोग है। इसमें शरीर में वात व पित्त की अधिकता के कारण त्वचा के टिश्यूज में विषैले तत्व
फैल जाते हैं, जो सोरायसिस की समस्या पैदा करते हैं।
ये तकलीफें होती हैं
सोरायसिस के कारण त्वचा में जलन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ना और सूजन जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
कई कारण हैं
यदि माता-पिता दोनों इससे ग्रस्त हैं, तो बच्चे को भी सोरायसिस होने की आशंका 60 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसके अलावा प्राकृतिक वेगों (मल व पेशाब) को कई बार रोकना भी इस रोग का कारण बन सकता है। मसालेदार, तैलीय व जंक फूड्स, चाय-कॉफी और शराब का सेवन सोरायसिस के कारण बन सकते हैं।
उपचार
अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेने के बाद ही उपचार शुरू करें...
-पानी में साबुत अखरोट उबालकर त्वचा के प्रभावित अंगों पर लगाएं।
-प्रभावित अंग को ताजे केले के पत्ते से ढक दें।
-15 से 20 तिल के दाने एक गिलास पानी में भिगोकर पूरी रात रखें। सुबह खाली पेट इनका सेवन करें।
-पांच से छह महीने तक प्रात: 1 से 2 कप करेले का रस पिएं। रस ज्यादा कड़वा लगे, तो इसमें एक बड़ा चम्मच नींबू का रस डाल सकते हैं।
-खीरे का रस, गुलाब जल व नींबू के रस को समान मात्रा में मिलाकर इसे रात में लगाएं।
-घृतकुमारी का ताजा गूदा त्वचा पर लगाया जा सकता है या गूदे का रोज एक चम्मच दिन में दो बार लें।
यदि आपको उपर्युक्त उपचार विधियों से राहत नहीं मिलती है, तो आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह अवश्य लें। आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से सर्वप्रथम रक्त व टिश्यूज की शुद्धि की जाती है। इसके बाद यह पद्धति पाचन-तंत्र को मजबूत कर त्वचा के टिश्यूज को ताकतवर बनाती है।
(डॉ.प्रताप चौहान, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक, दिल्ली)