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जब बढ़ जाएं लाइफ में पड़ोसी की दखलअंदाज़ी तो इन टिप्स को अपनाकर करें उनसे किनारा

जब पड़ोसी आपके घर और जि़ंदगी में ज़रूरत से ज़्यादा ताक झांक करने लगें तो यहां दिए जा रहे सुझावों को अपनाएं। समस्या काफी हद तक दूर होगी।

By Priyanka SinghEdited By: Updated: Mon, 29 Jun 2020 08:43 AM (IST)
जब बढ़ जाएं लाइफ में पड़ोसी की दखलअंदाज़ी तो इन टिप्स को अपनाकर करें उनसे किनारा
हम में से ज्यादातर लोगों की लाइफ में ऐसा कोई न कोई व्यक्ति जरूर होता है जिसका मकसद ही दूसरों की जिंदगी में ताक-झांक करना है। तो इनसे बचने का ‌सबसे अच्छा तरीका उन्हें नजरअंदाज़ करना है। लेकिन फिर भी ऐेसे व्यवहार से पहले उनके इरादे को समझना ज़रूरी है। कई बार अकेले रहने वाले अपनी दुनिया में रोमांच भरने के लिए पड़ोसियों की जिंदगी में झांकने की कोशिश करने लगते हैं। यह बात उन लोगों पर तो और भी ज़्यादा लागू होती है जिनके पास खूब खाली समय होता है। अगर आपके पड़ोसी भी सिर्फ इन्हीं वजहों से आपके घर में ताक-झांक कर रहे हैं तो उनसे अपने शौक और हुनर को नए आयाम देने के लिए कहें। ज़रूरत लगे तो इसमें उनकी मदद करें और हफ्ते में कुछ समय उनके लिए निकालें। बहुत संभव है कि अपनी दुनिया में रमने के बाद वे आपकी जिंदगी में दखल देना बंद कर दें। अगर इसके बाद भी वे आपकी जि़ंदगी में घुसने की कोशिश करें तो उनकी बातों में रुचि लेने के बजाए चुप रहें। कुछ दिनों में वे खुद समझ जाएंगे। दखलअंदाज़ पड़ोसियों से निपटने के और भी बहुत से तरीके हैं। जिनके बारे में जानेंगे।

नीरस व्यवहार करें

दखलअंदाज़ पड़ोसियों से बचने का अच्छा तरीका ख़ुद को व्यस्त दिखाना है। जब भी वे आपके घर आएं तो उनसे औपचारिक व्यवहार करें। उन्हें देखकर केवल मुस्करा दें या उनकी बातों का बेहद फीका जवाब दें। उन्हें अपनी तरफ से कोई जानकारी न दें। उनकी हर बात पर नपे-तुले शब्दों में अपनी बात कहें। लगातार ऐसा होने पर वे समझ जाएंगे कि उनकी बातों में आपकी कोई रुचि नहीं है।

स्पष्ट कहें

लगाातर संकेत करने के बाद भी अगर आपके पड़ोसी आपकी परेशानी समझने और खुद को बदलने को तैयार न हों तो उन्हें साफ़ शब्दों में बताएं कि उनका व्यवहार आपको परेशान कर रहा है। बातचीत पूरी तरह बंद हो इससे बेहतर है कि वे आपके घर और जि़ंदगी में ताकझांक बंद करें। बेहद ज़रूरी काम होने पर ही आपके घर आएं या फोन करें।

खुद को भी जांचिए

पड़ोसी के साथ-साथ अपने व्यवहार की भी की भी समीक्षा करें। हो सकता है कि कभी काम के दवाब और कभी ऑफिस के तनाव की वजह से आपका मन किसी से मिलने-बात करने का नहीं होता हो। ऐसे में किसी का आना आपको रुचता न हो। अगर ऐसा है तो थोड़ा खुद को भी बदलिए। अड़ोसियों-पड़ोसियों की बातों में रुचि लेने से आपका मन और होगा। साथ ही पडोसियों से अच्छे संबंध वक्त पड़ने पर काम भी आएंगे।

पी. बग्गा (रिलेशनशिप काउंसलर) 

Pic credit- Freepik

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