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History of Imarti: इमरती की तरह ही घुमावदार है इसका इतिहास, मुगल शहजादे की बोरियत मिटाने के लिए हुआ इसका इजाद

भारत अपने खानपान के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां खानेपीने की कई सारी चीजें मिलती हैं। इमरती इन्हीं व्यंजनों में से एक है जिसे कई लोग बड़े चाव से खाते हैं। जलेबी की ही तरह दिखने की वजह से लोग इसे जलेबी की चचेरी बहन कहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले कब और किसने इमरती बनाई। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसका इतिहास-

By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Tue, 18 Jul 2023 11:22 PM (IST)
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जानें कब और कैसे बनी सबसे पहली इमरती
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। History of Imarti: शायद ही कोई ऐसा हो जिसे मीठा खाना पसंद नहीं। शादी-पार्टी हो या कोई खास अवसर मिठाई के बिना अक्सर खाना अधूरा रहता है। मीठे की इसी लोकप्रियता की वजह से बाजार में कई तरह की मिठाइयां आसानी से मिल जाती हैं। खीर, हलवा, लड्डू, बर्फी जैसे मीठे व्यंजन लोग अक्सर मिठाई के तौर पर खाना पसंद करते हैं। जलेबी और इमरती भी इन्हीं में से एक है, जो कई लोगों की पसंदीदा मिठाई होती है।

हालांकि, ज्यादातर लोग जलेबी और इमरती को एक ही समझते हैं, लेकिन बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। दोनों का न सिर्फ स्वाद अलग है, बल्कि इनको बनाने का तरीका और इनकी बनावट भी एक-दूसरे से काफी अलग होती है। इनकी आकृति एक समान होने की वजह से कई लोग इमरती को जलेबी की चचेरी बहन कहते हैं।

कैसे हुआ इमरती का आविष्कार

इमरती और रबड़ी का स्वाद तो सभी ने चखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर गोल और घुमावदार यह मिठाई कब, कैसे और किसके लिए बनाई गई थी। अगर नहीं तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इमरती का ऐसा ही घुमावदार, लेकिन दिलचस्प इतिहास बताने जा रहे हैं।

इस मुगल शहजादे के लिए बनाई गई इमरती

इमरती की बनावट देख और इसके स्वाद को चखने के बाद शायद आप यही सोचते होंगे कि इसे बनाने के लिए काफी मेहनत और समय खर्च किया गया होगा। अगर हम आपसे यह कहे कि इमरती का ईजाद महज बोरियत मिटाने की लिए किया गया था, तो क्या आप इस पर यकीन करेंगे? दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर के बेटे सलीम के लिए सबसे पहले इमरती बनाई गई थी, लेकिन इसे बनाने की पीछे की वजह काफी दिलचस्प और मजेदार है।

बोरियत मिटाने के लिए हुआ ईजाद

दरअसल, राजकुमार सलीम को मीठा खाने का काफी शौक था। यही वजह थी कि उन्हें अक्सर खाने के बाद लड्डू, खीर जैसी कई मिठाईयां पेश की जाती थीं, लेकिन एक दिन ऐसा आया जब उन्होंने मीठे के तौर पर पेश की गई मिठाई को खाने से इनकार कर दिया। शहजादे के इस इनकार से खानसामा काफी परेशान हो गए, लेकिन बाद में उन्हें यह पता चला कि रोज-रोज एक ही तरह की मिठाई खाकर सलीम ऊब चुके थे और अब वह कुछ नया और अलग खाना चाहते थे।

ऐसे बनी पहली बार इमरती

ऐसे में शहजादे सलीम की इस बोरियत को मिटाने के लिए खानसामा ने इमरती जैसे ही एक व्यंजन जिसे फारसी में जुलबिया कहा जाता है, को एक नया ट्विस्ट देकर तैयार किया। इमरती बनाने के लिए उन्होंने उड़द की दाल का बैटर बनाकर पहले उसे फ्राई किया और फिर चाशनी में डुबोकर राजकुमार सलीम के सामने पेश किया। यह नई तरह की मिठाई राजकुमार सलीम को बेहद पसंद आई और इसी वजह से उस समय इसका नाम जांगरी पड़ा था।

इमरती एक, नाम अनेक

मुगल शहजादे की बोरियत मिटाने के लिए बनाई गई यह मिठाई बाद में लोगों के बीच काफी मशहूर हो गई और आज एक लोकप्रिय मिठाई के रूप में देशभर में खाई जाती है। इसे अलग-अलग जगहों पर तरह-तरह के नामों से जाना जाता है। कहीं इमरती को अमीटी कहते हैं, तो कुछ लोग अमरीती कहते हैं, कुछ जांगरी तो कुछ जांगिरी भी कहते हैं।