Independence Day 2023: कोहिनूर ही नहीं, भारत से इन बेशकीमती चीजों को भी चुराकर ले गए थे अंग्रेज
Independence Day 2023 15 अगस्त1947 को देश ने आजाद भारत की पहली सुबह देखी थी। इस साल भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है। इस खास मौके के लिए देशभर में तैयारियां जारी है। गुलामी के 200 साल भारत में अंग्रेजों के कई अत्यातार झेले। इतना ही नहीं इस दौरान अंग्रेज भारत से कई बेशकीमती चीजें भी चुरा ले गए। आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Independence Day 2023: अगस्त का महीना आते ही लोगों के अंदर देशभक्ति की भावना जगने लगती है। यह महीना आजादी के लिए भारत की लंबी और संघर्षपूर्ण लड़ाई की याद दिलाता है। लंबी लड़ाई और कई बलिदानों के बाद आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को गुलामी की बेड़ियां तोड़ भारत में आजादी की सांस ली। इस साल देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाला है। कुछ ही दिनों में आने वाले आजादी के इस पर्व की तैयारियां देशभर में जोर-शोर से हो रही है।
इस दौरान लोग आजादी के लड़ी गई लड़ाई और हमारे वीर सैनानियों की कुर्बानी को याद करते हैं। साथ ही अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ अपना गुस्सा भी जाहिर करते हैं। अंग्रेजों में हमारे देश को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। साथ ही उन्होंने हमारे देश से कई बेशकीमती चीजों की भी चोरी की थी। आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अंग्रेज अपने साथ चुरा ले गए थे। आइए जानते हैं-
कोहिनूर
कोहिनूर का हीरा एक ऐसा बेशकीमती हीरा है, जो भारत का होकर भी आज भारत से बाहर है। यह हीरा वर्तमान के आंध्र प्रदेश राज्य में कोल्लूर खदान से निकला था। 105.6 मीट्रिक कैरेट के हीरे का वजन 21.6 ग्राम है, जो मुगल बादशाह के मयूर सिंहासन में लगा हुआ रहता था। बाद में यह पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के पास भी रहा। हालांकि, साल 1849 में अंग्रेजों ने इसे लूटकर ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया था। मौजूदा समय में यह हीरा टावर ऑफ लंदन के ज्वेल हाउस में रखा हुआ है।
टीपू सुल्तान की अंगूठी
जब मैसूर के शासक टीपू सुल्तान, जिन्हें टाइगर ऑफ मैसूर के नाम से भी जाना जाता है, ने साल 1799 में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी, तो वह इसमें हार गए। इस लड़ाई मे उनकी मौत हो गई, जिसके बाद अंग्रेज उनकी डेडबॉडी से उनकी तलवार और अंगूठी समेत कई कीमती चीजें चुरा कर ले गए थे। हालांकि, साल 2004 में तलवार तो वापस भारत लौट आई, लेकिन अंगूठी आज भी यूके में ही मौजूद है। टीपू सुल्तान की इस बेशकीमती अंगूठी में देवनागरी में भगवान राम का नाम अंकित है।
शाहजहां का वाइन कप
मुगल सम्राट शाहजहां का नाम आते ही लोगों के मन में सबसे पहले ताज महल का नाम आता है, जिसे बादशाह ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। मुगल शासक शाहजहां का एक बेहद खूबसूरत और बेशकीमती वाइन कप हुआ करता था, जिसे अंग्रेज चुराकर अपने देश ले गए। सफेद जेड (हरिताश्म) से बने इस वाइन कप को अंग्रेजों ने 19वीं सदी में चोरी-छीपे ब्रिटेन भेज दिया था। इस कप के नीचे कमल फूल और पत्तियां एकैन्थस थीं। साथ ही इसके हैंडल पर एक सींग और दाढ़ी बकरी भी बनी हुई है। साल 1962 से इसे लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया है।
अमरावती मार्बल
भारत अपने गौरवशाली इतिहास के साथ ही अपनी समृद्ध कला के लिए भी जाना जाता है। यहां कई सारी ऐसी कलाएं, जिन्हें दुनियाभर में पंसद किया जाता है। प्राचीन इमारतों और महलों में कई सारी बेशकीमती धरोहर मौजूद हैं। अमरावती के मार्बल्स इन्हीं में से एक है, जो अपनी चमकदार और अनोखी नक्काशी की वजह से बेहद खूबसूरत लगती थी। हालांकि, अंग्रेज इन्हें भी चुराकर अपने साथ ले गए। आज भी ये मार्बल्स लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में मौजूद हैं।
सुल्तानगंज बुद्ध प्रतिमा
बेहतरीन भारतीय वास्तुकला का नमूना सुल्तानगंज बुद्ध की प्रतिमा भी अंग्रेज लूटकर अपने साथ ले गए। 2 मीटर से अधिक लंबी और 500 किलोग्राम से ज्यादा वजनी यह मूर्ति साल 1862 में रेलवे निर्माण के दौरान एक ब्रिटिश रेलवे इंजीनियर ई.बी.हैरिस को खुदाई के दौरान मिली थी। ऐसा कहा जाता है कि यह मूर्ति लगभग 700 वर्षों तक जमीन के अंदर दफन थी। सुल्तानगंज बुद्ध की यह प्रतिमा आज भी बर्मिंघम म्यूजियम में मौजूद है।
टीपू का टाइगर
टीपू टाइगर महाराजा टीपू सुल्तान का एक ऑटोमैटिक खिलौना था, जिसमें एक बाघ ब्रिटिश सैनिक की ड्रेस पहने व्यक्ति पर हमला कर रहा है। इस खिलौने को खासतौर पर अंग्रेजों के प्रति टीपू सुल्तान की नफरत को दिखाने के लिए बनाया गया था। हालांकि, बाद में साल 1799 में अंग्रेज इसे अपने साथ ले गए थे। हालांकि, मौजूदा समय में यह टाइगर अब "दक्षिण भारत के शाही न्यायालयों" पर स्थायी प्रदर्शनी का हिस्सा है। लंदन पहुंचने से लेकर आज तक, टीपू का टाइगर जनता के लिए एक आकर्षण केंद्र रहा है।