International Day of Sign Languages: न सुन सकने वाले भी कर सकें बातचीत यही है साइन लैंग्वेज मनाने का उद्देश्य
International Day of Sign Languages हर साल 23 सितम्बर का दिन अंतर्राष्ट्रीय साइन लैंग्वेज दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका मकसद न सुन सकने वालों को बातचीत का जरिया प्रदान करना है। उन्हें इसके लिए जागरूक बनाना है।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Thu, 23 Sep 2021 12:03 PM (IST)
भाषा अपनी भावनाएं, प्यार, गुस्सा, अपनापन जाहिर करने का बहुत ही बेहतरीन जरिया होती है। लोगों से संवाद भाषा द्वारा ही किया जाता है। हमारे भारत में तो एक राज्य से दूसरे राज्य जाते ही पहनावे के साथ भाषा भी बदल जाती है। मलयालम, कन्नड़, उर्दू, भोजपुरी, मैथिली, मराठी, तमिल, पंजाबी आदि बातचीत की भाषाएं है। ठीक इसी प्रकार से न सुन पाने वाले लोग भी एक खास तरह की भाषा के माध्यम से बातचीत करते हैं जिसे सांकेतिक/साइन लैंग्वेज कहा जाता है।
साइन लैग्वेंज डे (Sign Language Day)हर साल 23 सितम्बर का दिन दुनियाभर में इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज के तौर पर मनाया जाता है। जिसका मकसद न सुन पाने वाले लोगों को शरीर के हाव-भाव से बातचीत करना सिखाना है। ऐसे व्यक्तियों को जागरूक बनाने के लिए यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है। साइन लैंग्वेज के माध्यम से उनसे बातचीत करना या उन्हें अपनी बात दूसरे तक पहुंचाने में आसानी होती है। सांकेतिक भाषा महज परेशानी व्यक्त करने का ही जरिया नहीं बल्कि खुशी, एक्साइटमेंट, दया, गुस्सा भी इससे बयां किया जा सकता है.
300 तरह की साइन लैग्वेंज वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के अनुसार दुनिया में 70 मिलियन से ज्यादा लोग नहीं सुन सकते हैं और लगभग 300 तरह की साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों को सुनाई नहीं देता या फिर वह बोल नहीं सकते, जिनकी सुनने की क्षमता बहुत ही कम होती है। उन सभी लोगों के लिए साइन लैग्वेंज ही बातचीत का बेस्ट जरिया होता है। यही बताना इस दिन को मनाने का उद्देश्य है।
अलग है बताने और जताने का तरीकादूसरी भाषाओं की तरह साइन लैंग्वेज का भी अपना व्याकरण और नियम होता है। जो दुनियाभर में न सुन सकने वाले लोगों के लिए बहुत ही जरूरी है। खास बात है कि अलग-अलग देशो में ‘साइन’ के जरिए बधिर व्यक्तियों को एक ही बात कहने और समझाने के अलग-अलग तरीके है।Pic credit- pexels