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घर-परिवार के लोगों का ध्यान रखने के साथ-साथ जरूरी है स्वयं से प्रेम करना

यदि आप हमेशा दूसरों के लिए जीती रहेंगी तो आपको कभी अपने लिए समय ही नहीं मिलेगा। इसलिए घर-परिवार के लोगों का ध्यान रखने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि आप स्वयं से भी प्रेम करें। इस संदर्भ में लाइफ स्टाइल एक्सपर्ट डा. अदिति गुप्ता से बातचीत

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 16 Jul 2022 01:48 PM (IST)
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सही और सकारात्मक बात करने वाले लोगों की बातें सुनने से हमें फायदा मिलता है।
कानपुर, दिनेश दीक्षित। किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि आप जितना दूसरों से प्रेम करती हैं, उतना ही जरूरी है स्वयं से प्रेम करना। इसके लिए आपको न तो घर से बाहर जाने की जरूरत है न ही कोई विशेष प्रयास करने की। रोजमर्रा के कामों को करते हुए अपने लिए समय निकालना शुरू करें। अपनी दिनचर्या में धीरे-धीरे परिवर्तन लाकर अपने लिए थोड़ा सा समय निकालें। ऐसा करने से आपके मन में स्वयं के लिए प्रेम बढ़ेगा।

किताबें पढ़ें: सही कहा गया है कि किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। इनके साथ समय बिताने से हमारी सोच सकारात्मक रहती है और सबसे अच्छी बात यह है कि इनके साथ बिताया गया समय कभी भी व्यर्थ नहीं जाता है। इसलिए प्रतिदिन अपनी सुविधानुसार चौबीस घंटे में किसी भी वक्त इतना समय अवश्य निकालें, जिसमें आप दिमाग को तरोताजा करने वाली किताबें पढ़ें। किताबें पढऩे से हमारी सोच सही रहती है अर्थात दिमाग में नकारात्मक विचार नहीं आते हैं। किताबें पढऩे के मामले में यह आपको ही चयन करना होगा कि आपको किस प्रकार की किताबें पढऩा पसंद हैं। यदि आपको महापुरुषों की जीवनी पढऩा अच्छा लगता है तो इन्हें पढ़ सकती हैं। आप चाहें तो लोगों के यात्रा वृत्तांत भी पढ़ सकती हैं। इसके साथ ही धर्म और राजनीति से जुड़ी किताबें भी आपके ज्ञान में वृद्धि करने का काम करेंगी। आप कहानी, कविता, गीत-संगीत, खेलकूद और मनोरंजन आदि से जुड़ी किताबें भी पढ़ सकती हैं। यदि आपको उपन्यास पढऩा अच्छा लगता है तो आप ऐतिहासिक उपन्यास भी पढ़कर अपने ज्ञान को बढ़ा सकती हैं। किताबें चाहे नई हों या पुरानी वे हमेशा एक सच्चे पथ प्रदर्शक का काम करती हैं।

योग और व्यायाम है जरूरी: प्रतिदिन के कार्यों को कुशलतापूर्वक पूरा करने के लिए जरूरी है कि आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ रहें। इसके लिए प्रतिदिन सुबह या शाम के समय घर पर ही कुछ योग और व्यायाम अवश्य करें। आप चाहें तो एरोबिक या जुंबा आदि भी कर सकती हैं। आजकल इंटरनेट के विभिन्न माध्यमों के जरिए इन्हें आसानी से घर पर ही सीखा जा सकता है। आप चाहें तो आनलाइन ही किसी कुशल विशेषज्ञ से भी परामर्श कर सकती हैं। योग और व्यायाम के जरिए न केवल हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, बल्कि हमारा शरीर अपने आप विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक समस्याओं को भी दूर रखने में सहायक होता है। आप अपनी दिनचर्या के हिसाब से सुबह या शाम के समय टहलने जा सकती हैं। साइकिल चला सकती हैं। इसके साथ ही मांसपेशियों को सक्रिय रखने के लिए रोज पैदल चलना भी जरूरी है।

किसी से तुलना न करें: स्वयं से प्रेम के लिए यह भी जरूरी है कि आप अपनी किसी और शख्स से कभी भी तुलना न करें। चाहे वह आपका व्यवहार हो, रूप-रंग हो या धन-दौलत की बात हो। कारण, दूसरों से अपनी तुलना करने पर मन में स्ïवाभाविक रूप से हीनभावना पनप सकती है। इसलिए हमेशा इस बात पर गर्व महसूस करें कि आप जैसी हैं, सबसे अच्छी हैं। हालांकि इस संदर्भ में एक और बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि कभी भी अपने बारे में कोई गलतफहमी न पालें। यदि आपको कभी अपने में कोई कमी महसूस होती है या कभी कोई आपका अपना आपको यह इंगित करता है कि आपमें कुछ कमियां हैं तो उनको जल्द से जल्द से दूर करने का प्रयास करें। ऐसा न हो कि आपकी कमियां आपके लिए ही बोझ बनती जाएं और आगे चलकर उनका खामियाजा आपको भुगतना पड़े।

बोलना कम सुनना अधिक: सही कहा गया है कि वे लोग सबसे सुखी और प्रसन्न रहते हैं, जो बोलते कम हैं और दूसरों की बात सुनते अधिक हैं। हालांकि इस संदर्भ में एक बात का विशेष ध्यान रखना है कि उन लोगों की बातें नहीं सुननी हैं, जो हमेशा दूसरों में कमियां निकाला करते हैं या हमेशा नकारात्मक बातें करते हैं या किसी न किसी रूप में आपको कमजोर बनाना चाहते हैं। सही और सकारात्मक बात करने वाले लोगों की बातें सुनने से हमें फायदा मिलता है।

स्वयं की देखरेख करना: आपका रंग-रूप या कद-काठी जैसी भी है, आपकी अपनी है। इसलिए अपने पर भी थोड़ा सा ध्यान अवश्य दें चाहे वो आपका सौंदर्य हो या पहनावा। अपना रंग-रूप निखारने के लिए समय-समय पर प्रयत्न अवश्य करें। इसके साथ ही अपने पहनावे पर भी थोड़ा सा ध्यान अवश्य दें। यदि आप केवल साड़ी पहनती हैं तो कभी सलवार-कुर्ता पहनें तो कभी अन्य परिधान। यदि आप सलवार-कुर्ता पहनती हैं तो साड़ी और अन्य परिधान भी पहनें। इसके साथ ही समय और अवसर को ध्यान में रखकर सही परिधान पहनना भी एक कला है। एक और बात का ध्यान रखना जरूरी है कि कभी भी ऐसे परिधान न पहनें, जिन्हें पहनकर आप सहज न महसूस करें या जो आप पर बिल्कुल भी न जंच रहे हों।