जरूरी है समय के मूल्य को पहचानना
समय रहते समय का महत्व पहचानना बहुत जरुरी है। समय को टालने का मतलब है आप अपने आने वाले अच्छे भविष्य को टाल रहे हैं।
वर्तमान अर्थात आज, जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाता है तथा भविष्य के निर्माण में सहायक होता है। अतीत तथा भविष्य के बीच समायोजन का कार्य भी वर्तमान ही करता है। यदि वर्तमान कठिन है, तो उसे अनुकूल बनाने के लिए समय के अनुसार कार्य करना होगा, जिसका प्रतिफल उज्ज्वल भविष्य के रूप में हमें प्राप्त होता है। अत: वर्तमान को उद्देश्यपूर्ण बनाने का प्रयास करना चाहिए। समय वह है, जो हम सबको प्रतिपल गतिशील रखता है। जब गतिशील रहने की दिशा निर्णायक पथ पर अग्रसर होती है, तब उद्देश्य को सही मार्ग प्राप्त होता है। समय के सदुपयोग के कारण ही हर कार्य में सफलता मिलती है। ऐसे में, समय नष्ट होने की संभावना कभी नहीं होती। लेकिन अधिकतर लोग समय का सदुपयोग करने पर विचार और इस दिशा में प्रयास नहीं कर पाते। आज के काम को कल पर टालना तथा सही समय को अनदेखा करने का हमारा रवैया एक तरह का आलस्य ही है, जो हमारी कार्यक्षमता को विपरीत दिशा में ले जाता है। कहा जा सकता है कि जब ऐसा होता है, तब हमारा कीमती समय नष्ट ही होता है। दार्शनिक कहते हैं कि समय महत्वपूर्ण है। हर मनुष्य अपने समय को किस आधार और किस तरीके से सफल और हितकारी बना पाता है, इस विषय पर अनेक बार चर्चा हुई है। परीक्षार्थी, शिक्षार्थी, व्यापारी और कर्मचारी भी अपने-अपने कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए समय से कार्य करने का अर्थ और महत्व भलीभांति समझते हैं। इस संबंध में अनेक महत्वपूर्ण परिचर्चाएं हुई हैं, किंतु इसके बावजूद समय की उपयोगिता के विषय में बार-बार विचार करना आवश्यक है। समय का सदुपयोग न करने पर मिली असफलता के कारण हमारे भीतर क्रोध, हिंसा, निराशा आदि भाव भिन्न-भिन्न आकार लेते हैं और हमें विचलित करने लगते हैं। हम दोषारोपण, आक्षेप आदि का सामना करते हैं। हम नहीं समझ पाते हैं कि हमारे लिए समय का सदुपयोग न करने की एक छोटी-सी त्रुटि से इतनी कठोर स्थिति क्यों उत्पन्न हो जाती है और उसका सामना करने में हम विचलित क्यों हो जाते हैं? गलत धारणाएं मन-मस्तिष्क में आती हैं, क्योंकि समाज और परिवार की प्रताड़ना से हम हतोत्साहित हो जाते हैं और कुछ गलत कर बैठते हैं। ऐसी कोई गलती न हो। ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए आवश्यक है कि आप समय का मूल्य पहचानें और उसके अनुरूप काम करें।
ए.के.दास प्रधानाचार्य, द एशियन स्कूल, देहरादून
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