Kulfi: जानिए सबकी पसंदीदा कुल्फी की भारत में कैसे हुई शुरुआत
Kulfi हर किसी के बचपन की याद इस कुल्फी से जुड़ी होती है। बहुत से लोग तो कुल्फी खाने के इतने शौकीन होते हैं कि ठंड में भी इसका लुत्फ उठाते हैं। आइए जानते हैं कुल्फी का इतिहास क्या है?
By Saloni UpadhyayEdited By: Saloni UpadhyayUpdated: Sat, 03 Jun 2023 04:24 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Kulfi: गर्मियों में कुल्फी ना खाई तो क्या ही लिए गर्मी के मजे। जी हां वैसे तो कुल्फी हर मौसम में खाई जाती है, लेकिन गर्मी के मौसम में इसे खाने की बात ही कुछ और है। इसका नाम सुनते ही क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या बड़े सबके मुंह में पानी आ जाता है। ठंडी-ठंडी कुल्फी को गर्मी के मौसम में खाने का अहसास वाकई ही अलहदा है।
कुल्फी की ठंडक मुंह के अंदर जाते ही ऐसा मीठा स्वाद देती है जिसे खाने के लिए हर किसी का मन ललचाता है। दूध, मलाई और ड्राई फ्रूट्स के कॉम्बिनेशन से बनने वाली कुल्फी की एक नहीं बल्कि ढेरो वैराइटी देखने को मिलती हैं। पिस्ता कुल्फी से लेकर मैंगो कुल्फी तक, इसकी हर वैराइटी आपको ललचाने के लिए काफी है।
हर किसी के बचपन की खास याद इस कुल्फी से जुड़ी होती है। बहुत से लोग तो इस कुल्फी खाने के इतने शौकीन होते हैं कि ठंड में भी इसका लुत्फ उठाते हैं। कई लोग खाना खाने के बाद मीठे के रूप में कुल्फी एंजॉय करते हैं।
यहां तक की कुल्फी अलग-अलग राज्यों में अलग- अलग तरीके से परोसी जाती है। उदाहरण के लिए भारत के उत्तरी भाग में, कुल्फी को अक्सर इलायची के साथ सुगंधित किया जाता है और फालूदा के साथ परोसा जाता है, इसे गुलाब जल में भिगोंकर मीठी चाशनी के साथ भी परोसा जाता है।
वहीं, भारत के दक्षिणी भाग में कुल्फी को अक्सर नारियल के दूध और आम और अनानास जैसे स्वाद के साथ बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, हर किसी की यह फेवरेट कुल्फी भारत में आखिर कैसे पहुंची? तो चलिए जानें इसका रोचक इतिहास…
कुल्फी का इतिहास
कुल्फी का इतिहास काफी दिलचस्प है. इसे बनाने की शुरुआत 16 वीं शताब्दी में हुई थी. जब भारत पर मुगल शासक अकबर का राज था। बादशाह अकबर खाने के बहुत शैकीन थे। उन्हें खुश करने के लिए दरबार के रसोई में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते थे। पहली बार कुल्फी बादशाह अकबर के लिए ही बनाई गई थी।
इतिहासकारों के अनुसार, मुगलों के दौर में ज्यादा पर्शियन भाषा का इस्तेमाल होता था। ‘कुल्फी’ शब्द ’भी पर्शियन भाषा से ली गई है।