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जानें, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

लाहौर अधिवेशन के अंतर्गत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 31 दिसंबर 1929 ई. को रावी नदी के तट पर तिरंगे को 12 बजे रात में फहराया था। देश की आजादी की खातिर नेहरू जी कई बार जेल गए। इसके बावजूद उनका मनोबल कम नहीं हुआ।

By Pravin KumarEdited By: Updated: Sun, 14 Nov 2021 09:06 AM (IST)
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गांधी जी के साथ मिलकर नेहरू जी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। इनके माता जी का नाम स्वरूपरानी नेहरु और पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरु था। पंडित मोतीलाल पेशे से बैरिस्टर थे। वहीं, पंडित नेहरू की धर्मपत्नी का नाम कमला नेहरु था। इनकी एक बेटी इंदिरा गांधी थी, जो लाल बहादुर शास्त्री जी की उत्तराधिकारी बनी और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी।

नेहरू जी धनी संपन्न परिवार से तालुक्क रखते थे। साथ ही नेहरू जी तीन बहनों के अकेले भाई थे। इसके चलते नेहरू जी की परवरिश में कभी कोई कमी नहीं आई। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद में प्राप्त की। वहीं, उच्च शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की। लंदन से इन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान नेहरू जी ने समाजवाद की जानकारी भी इकठ्ठा की। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नेहरू जी साल 1912 में स्वदेश वापस लौट आए और स्वतंतत्रा संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

नेहरू जी ने साल 1916 में कमला जी से शादी कर ली। इसके एक साल बाद 1917 में होम रुल लीग से जुड़े और देश की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई। वहीं, साल 1919 में नेहरू जी पहली बार गांधी जी के संपर्क आए। यहीं से नेहरू जी की राजनीति जीवन की शुरुआत हुई। इसके बाद गांधी जी के साथ मिलकर नेहरू जी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इतिहासकारों की मानें तो लाहौर अधिवेशन के अंतर्गत पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 31 दिसंबर, 1929 ई. को रावी नदी के तट पर तिरंगे को 12 बजे रात में फहराया था। देश की आजादी की खातिर नेहरू जी कई बार जेल गए। इसके बावजूद उनका मनोबल कम नहीं हुआ। नेहरू जी को बच्चों से बेहद लगाव था। वे बच्चों को गुलाब की फूल मानते थे। इसके चलते बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा कहते थे।

देश की आजादी के बाद उन्हें सर्वसम्मति से देश का प्रधानमंत्री चुना गया। उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की। विश्व पटल पर भी नेहरू जी को प्रखर नेता कहा जाता था। 27 मई 1964 को चाचा नेहरू पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके जन्मदिन पर हर साल बाल दिवस मनाया जाता है।