Biryani History: लखनऊ के नवाबों से लेकर हैदराबाद के निजाम तक, बिरयानी में छिपी है न जाने कितनी कहानी
Biryani History भारत में कई ऐसी लजीज और जायकेदार डिशेज हैं जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। इन्हीं में से एक है बिरयानी जिसने हर किसी के दिल में अपनी जगह बना ली है। वेजिटेरियन हो या नॉन वेजिटेरियन इसके कई रूप और स्वाद हैं जिसे लोग अपने पसंद के मुताबिक खाते हैं। आइये जानते हैं कि बिरयानी की बनाने और खाने की शुरुआत कैसे हुई।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Biryani History: कहते हैं खाना सिर्फ पेट ही नहीं बल्कि दिल पर भी गहरा असर डालता है, शायद इसलिए लोग अपने मनपसंद खाने को इमोशन कहते हैं। हम जो कुछ भी खाते हैं, उसका अलग रंग, रूप और स्वाद तो होता ही है, साथ ही उसका अपना एक अलग इतिहास भी होता है। ऐसी ही एक डिश है बिरयानी, जिसके चावलों की अलग-अलग परतों के बीच इतिहास को छिपाकर अंत में प्याज से सजाकर दम लगाते हुए बंद कर दिया गया है। हालांकि, इस लजीज डिश का जिक्र करते हुए हमारे मुंह में पानी आ रहा है, फिर भी इसे काबू करते हुए हम आपको इसका इतिहास बताने जा रहे हैं। इस आर्टिकल में यही चर्चा करेंगे कि हर शहर और देश में अपनाई गई बिरयानी की शुरुआत असल में हुई कैसे।
भारत में कई शासक हुए और सभी अपने साथ यहां अलग-अलग संस्कृति और नए-नए व्यंजन लाए। फिर चाहे तुर्क हों, अरब, फारस या फिर अफगान, यहां से आए मुस्लिम शासकों ने भारत में दावत करने की संस्कृति पेश की। भारत जिन मुगलई व्यंजनों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है, वे 15वीं शताब्दी से लेकर लगभग 19वीं शताब्दी तक मुगलों के शासनकाल के दौरान बने। मुगलों ने खाना पकाने को एक कला के रूप में पेश किया और भारत को बिरयानी, पुलाव और कबाब जैसे कई मजेदार व्यंजन मिले। माना तो यह भी जाता है कि पारंपरिक रूप से मटन और चिकन बिरयानी के रूप में बनाई जाने वाली यह डिश उपमहाद्वीप में अरब और फारसियों की देन है।
माना जाता है कि कई डिशेज की तरह बिरयानी का इतिहास भी मुगलों से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस बात के कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य यह भी हैं कि मुगल शासन से पहले भी भारत में इसी तरह के चावल के अन्य व्यंजन मौजूद थे। 2 ई. में तमिल में "ऊन सोरू" नाम की चावल से बनी एक डिश का जिक्र मिलता है। ऊन सोरू चावल, घी, मांस, हल्दी, धनिया, काली मिर्च और तेज पत्ता से बनता था और इसका उपयोग सैन्य योद्धाओं को खिलाने के लिए किया जाता था।
प्रसिद्ध यात्री और इतिहासकार अल-बिरूनी ने मुगलों से पहले भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करने वाले सुल्तानों के दरबार में पेश किए जाने वाले खाने का सटीक वर्णन किया है। इनमें मुगल बिरयानी जैसे चावल की डिशेज का भी जिक्र है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस व्यंजन को प्रेरित और लोकप्रिय मुगलों ने बनाया।
बिरयानी शब्द कहां से आया?
"बिरयानी" शब्द फ़ारसी शब्द "बिरियन" से आया है जिसका अर्थ है "खाना पकाने से पहले तला हुआ।"
बिरयानी की कहानी
कुछ लोगों का यह कहना है कि बिरयानी ईरान (जिसे पहले फारस के नाम से जाना जाता था) की देन है। इस जायकेदार डिश को लेकर एक दिलचस्प कहानी यह भी है कि इसे शाहजहां की रानी मुमताज महल ने (1593-1631) ने पहली बार बनाया था, जिनकी याद में ताज महल का निर्माण हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि वह एक बार सेना की बैरक में गईं और वहां सेना के जवानों को अल्पपोषित पाया। जिसके बाद उन्होंने रसौइये से एक विशेष व्यंजन तैयार करने को कहा, जो संतुलित पोषण प्रदान करता हो और इस तरह से बिरयानी हम सभी की जिंदगी में आई।
वहीं, एक अन्य कहानी यह भी प्रचलित है कि जब अंग्रेजों ने नवाब वाजिद अली शाह को कोलकाता में अपदस्थ कर दिया, तो कलकत्ता बिरयानी का निर्माण हुआ। दूसरी ओर, उत्तरी भारत में छोटे क्षेत्रों पर शासन करने वाले निज़ामों ने हैदराबादी बिरयानी और अर्कोट नवाब बिरयानी जैसे बिरयानी को क्षेत्रीय रूप देते हुए प्रोत्साहित किया। मुगलों की बिरयानी रेसिपी आज भी उन जगहों पर पाई जा सकती है, जहां उनके साम्राज्य का दबदबा था।
एक अन्य कहानी पर विश्वास करें, तो बिरयानी को तुर्क-मंगोल विजेता, तैमूर द्वारा वर्ष 1398 में भारत लाया गया था। वहीं, हैदराबाद के निज़ाम और लखनऊ के नवाब भी इस व्यंजन की सराहना के लिए जाने जाते हैं। खैर, बिरयानी के पीछे कहानी कुछ भी हो, यह सच नहीं बदल सकता कि इस डिश ने शाकाहारी और मांसाहारी दोनों के बीच में अपनी एक खास जगह बना ली है और विशेष मौकों को यादगार और स्वाद से भरपूर बनाने की जिम्मेदारी बिरयानी को ही दी जाती है।
परंपरागत रूप से, बिरयानी को मिट्टी के बर्तन में कोयले पर पकाया जाता था। हालांकि, बदलते समय के साथ इसे पकाने की तकनीक में भी बदलाव आया है।
बिरयानी कितने तरह की होती है?
बिरयानी के कई किस्मों मौजूद है और यह सभी स्वादिष्ट हैं।
मुगलई बिरयानी
लखनवी बिरयानी
कलकत्ता बिरयानी
बॉम्बे बिरयानी
हैदराबादी बिरयानी
बैंगलोरियन बिरयानी
थालास्सेरी बिरयानी