Happy Baisakhi 2020: जानें, क्यों मनाई जाती है बैशाखी, क्या हैं इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
Happy Baisakhi 2020ऐसी मान्यता है कि बैसाखी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इस दिन से ही सृष्टि का उद्गम हुआ है।
By Umanath SinghEdited By: Updated: Mon, 13 Apr 2020 12:42 PM (IST)
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Happy Baisakhi 2020: बैसाखी का पर्व पंजाब सहित उत्तर भारत में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल 13 अप्रैल को बैसाखी है। इस दिन लोग रबी की फसल तैयार होने पर ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। इस मौके पर लोग मिठाइयां बांटते हैं और नाच-गाकर खुशियां मनाते हैं। बैसाखी हर साल 13 अप्रैल या 14 अप्रैल को मनाई जाती है।
बैसाखी का महत्वधार्मिक ग्रंथों में इस दिन का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि बैसाखी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इस दिन से ही सृष्टि का उद्गम हुआ है। वहीं, त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी आज के दिन ही अयोध्या के राजा बने थे। जबकि प्राचीन भारत में इस दिन महाराजा विक्रमादित्य ने श्री विक्रमी संवत की शुरुआत की थी और आधुनिक भारत में सिक्ख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 ई. को खालसा पंत की स्थापना की थी। ऐसे में इस पर्व का विशेष महत्व है।
बैसाखी पर्व क्यों मनाया जाता हैयह पर्व नववर्ष के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन रबी फसल की पूरी तैयारी हो जाती है। इस मौके पर किसान खुशियां मनाते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और नाच-गाकर ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। ऐसी मान्यता है कि किसान रबी फसल सर्वप्रथम अग्नि देव को अर्पित करते हैं। इसके बाद ग्रहण करते हैं। पूर्वोत्तर राज्य असम में इस दिन बोहाग बिहू मनाई जाती है।
बैसाखी पर्व नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता हैबैसाखी का पर्व देश के सभी हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बंगाल और ओडिशा में इसे नववर्ष के रूप में मनाते हैं। इस दिन मेष संक्रांति भी मनाई जाती है, जिसमें सूर्य देव मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य आधा उत्तरायण हो जाता है, अर्थात उत्तरायण की आधी दूरी सूर्य देव तय कर लेते हैं। इस दिन भगवान मधुसूदन और शिव जी संग मां अन्नपूर्णा की पूजा आराधना की जाती है।